Monday, August 15, 2011

डंडा ऊँचा रहे तुम्हारा

प्रिय पाठको,
६५वे  स्वतंत्रता दिवस  की बधाई देने में हर्ष भी हो रहा है और दुःख भी.हर्ष इसलिए की६४ वर्ष हो गए अंग्रेजो  को भारत छोड़े हुए और हमने इतनी उन्नत कर ली है की ऊंट और सपेरो का देश समझा जाने वाला  भारत आज दुनिया में एक आर्थिक महाशक्ति बन कर उभर रहा है.शिक्षा के क्षेत्र मे ,रक्षा के क्षेत्र में,सेवा के क्षेत्र में भारत ने नए मानदंड स्थापित कर दिए है .परन्तु शर्म इसलिए आ रही है आज भी  अन्ना हजारे  और स्वामी रामदेव को सरकार से उसी तरह लड़ना पड़ रहा  है  जैसे कभी स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए महत्मा गाँधी ने  अंग्रेजो के खिलाफ जनमत तेयार   कर लड़ाई लड़ी थी . सरकार में बैठे लोगो को ऐसा लग रहा है जैसे अन्ना हजारे की लड़ाई देश हित में न होकर उनकी सरकार के खिलाफ है इसलिए पुलिसिया हथकंडे अपना कर और इनके खिलाफ दुष्प्रचार करके ही इनका अस्तित्व बना रहेगा .एक साधारण सी बात जो इनकी समझ के बाहर है की ये सदा के लिए न तो सरकार है और न हमेशा के लिए  मंत्री .अतः ऐसी बाते जो  तुम्हे अपने लिए अच्छी  न लगती हो वोह दूसरो  को कैसे कह सकते है.

 परन्तु सच है की आदमी को चीजे दो स्थितियो में छोटी दिखाई देती है एक जब वोह दूर से देखता है और दूसरा जब गरूर से देखता है. रावन को जब श्री हनुमान जी ने सीता माता को सम्मान पूर्वक  प्रभु  श्री राम के पास भेजने की बात कही  तो रावन ने अपने  मंत्रियो से सलाह  करने  के बाद श्री हनुमान की पूछ में आग लगवा दिया .जब सोने की लंका जल गयी तब पता चला की यह कोई मामूली बन्दर नहीं बल्कि प्रभु श्री राम का सेवक श्री हनुमान है .कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी और माननीय मंत्री एवं प्रमुख रणनीतिकार  श्री कपिल सिब्बल को भी मामूली बन्दर एवं श्री हनुमान का फर्क नजर नहीं आ रहा है और पद के प्रभाव में इतने मदांध हो चले है की लगता ही नहीं की यह भी इस देश के साधारण नागरिक है जिनको कुछ समय के लिए देश के मंत्री पद की जिम्मेदारी इस देश की आम जनता ने ही दी है और यह सदा के लिए नहीं है.इसलिए हे मानव श्रेष्ठ मंत्री जी स्वतंत्रता की६५वे वर्षगांठ पर झंडा ऊँचा रहे हमारा का ही गीत गाइये और डंडा ऊँचा रहे हमारा को भूल  जाइये .नहीं तो याद रखियेगा समय बड़ा निर्दयी होता है .
प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने लाल किले की प्राचीर से  झंडा फिर फहरा दिया और कुछ वादे भी कर दिए ,साथ में यह भी बताना नहीं भूले की वह जादूगर नहीं,जो पिछले कई सालो से सरकार के वित् मंत्री और स्वयं प्रधानमंत्री भारत की जनता को अपनी सरकार की विफलताओ के दोष से बचाने के लिए कहते आ रहे है. तो जनता इनको जादूगर न मान कर सपेरा मानने लग गई है जिसके पिटारे में हर क़िस्म के साँप है जो अभी जनता को डस रहे है और मौका लगते ही मंत्री परिषद् में भी अपना हुनर दिखा सकते है.अतः जनता को तैआर रहना होगा इन सापों से डँसे जाने से.

स्वतंत्रता संग्राम में जिन लोगो ने तरह -तरह की आहूतिया दी उनमे एक नाम श्री श्याम लाल गुप्त का है जिन्होंने एक प्रसिद्ध गीत तिरंगे झंडे पर लिखा था .यह गीत १९३८  में कांग्रेस के अधिवेशन में प्रेरक गीत की तरह गाया गया था.इस अवसर पर उन्हें याद कर में देशवासियो की ओर से श्रधांजली देना चाहता हूँ .साथ ही आंध्र प्रदेश केश्री प.वेंकैया जिन के बनाये हुए तिरंगे को इस देश ने राष्ट्रीय ध्वज स्वीकार किया किया है ऐसे दोनों स्वतंत्रता सेनानियो को मेरा नमन.

                                             विजयी  विश्व तीरगा   प्यारा 
                                              झंडा ऊंचा रहे  हमारा!!
         सदा  शक्ति  सरसाने  वाला , प्रेम  सुधा  बरसाने वाला
वीरों  को हरषाने  वाला, मातृभूमि  का  तन -मन   सारा ;
विजयी विश्व तिरंगा  प्यारा,
झंडा ऊंचा रहे  हमारा!!
आओ  प्यारे  वीरों आओ , देश -धर्म  पर  बलि  बलि जाओ 
एक  साथ  सब  मिलकर  गाओ , प्यारा भारत  देश हमारा;
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झंडा ऊंचा रहे हमारा!!
शान  न  इसकी  जाने  पाए , चाहे  जान  भले  ही जाए 
सत्य  की विजय  कर  दिखलाये , तब  होवे  प्रण पूर्ण   हमारा

विजयी  विश्व तीरगा   प्यारा ,
झंडा  ऊंचा  रहें   हमारा ;

लेखक : श्री श्याम लाल गुप्त, कानपुर
             


अजय सिंह "एकल"