Tuesday, September 17, 2013

तो मैं क्या करूँ ?

दोस्तों,
इस देश में एक प्रधान मंत्री है यह बात मैं पूरे  होशो हवास में भगवान को हाजिर और नाजिर मान कर कह रहा हूँ। आप यह सोच सकते है की यह बात तो देश के हर बच्चे तक को पता है फिर इसमें ऐसा क्या है जो आप बेफजूल  बात का बतंगड़ बना रहे है तो मैं आपको बतादूँ की बात खास है इसीलिए मैं सौगंध खा रहा हूँ प्रधान मंत्री का वजूद सिद्ध करने के लिये।
कल चंडीगढ़ के एक कार्यक्रम में मनमोहन सिंह ने गरीबो के लिए एक आवासीय योजना का उद्घाटन करते हुए कहा की देश को अब झुग्गी झोपड़ी मुक्त बनाया जायेगा लेकिन एक पत्रकार ने जब यह पूंछा की दिल्ली को यह वादा तो पाँच साल पहले किया था और वहाँ तो चार लाख से ज्यादा  झुग्गी झोपड़ी अभी भी है तो जवाब सीधा था तो मैं क्या करूँ?
आज कल देश में जैसा राजनैतिक माहौल चल रहा इसमें केवल ४ करेक्टर  फ्रंट मैं है बाकी सब साइड रोल में।इसमें सबसे पहले नम्बर पर है नरेन्द्र मोदी। संघ का एक प्रचारक जिसने देश के लिए घर छोड़ दिया हो वह सबसे महत्वपूर्ण कुर्सी का प्रत्याशी बन जाये तो चर्चा का विषय तो बनेगा ही। लेकिन उससे बड़ी बात यह है की जिस आदमी ने सारा जीवन इस कुर्सी तक पहुँचने की योजना बनाकर उन सिद्धान्तों  से भी समझोता करलिया हो जिनका उसने हमेशा विरोध किया (आप ठीक समझे मैं जिन्ना की ही बात
 कर रहा हूँ) अब उसके सामने से कुर्सी निकलती नजर आये तो वह जो कुछ भी करेगा उस पर चर्चा तो होगी ही।  लेकिन तीसरा चेहरा राहुल गाँधी जिनको पूरी कांग्रेस पार्टी प्रधान मंत्री बनाने में लगी  है और खुद राहुल न तो इसकेलिए उत्साहित दिखते है और न ही अपनी कोई योग्यता सिद्ध कर पाए है को रेस में बनाये रख कर भाजपा को वाक ओवर नहीं देना चाहती। चौथे फ्रंट खिलाड़ी खुद मनमोहन सिंह है जिन्होंने साफ़ कर दिया है की उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की परम्परा को अभी तक जिन्दा रखा है जिन्होंने एक बार कहा था की यदि इन्द्रा जी कहे तो झाड़ू भी लगा सकता हूँ उसी तर्ज पर मनमोहन सिंह ने भी गाँधी परिवार का एहसान यह कह कर उतार दिया है की मैं  राहुल के नेतृत्व में सहर्ष काम करूँगा उन्हें  देश का अगला प्रधानमन्त्री बनना चाहिये। दोनों सरदारों ने इस देश के सबसे ऊँचे पदों को  शुषोभित किया है और दोनों कांग्रेस पार्टी  की दो सबसे शक्तिशाली महिलाओं  की कृपा से यह पद प्राप्त कर पाये और दोनों ने उनका ऐहसान उतारने मैं कोई कसर नहीं छोड़ी।
कोयला मन्त्रालय में घोटाले से सम्बंधित  फाइले गायब होने की खबर पर संसद में जबरदस्त हंगामा हुआ। कोयेला मंत्री श्री प्रकाश जैसवाल जी ने अपने स्वभाव के अनुसार समस्या का निदान सुझाया और संसद को आश्वासन दिया की फाईलें ढूढी जा रही है जैसे ही मिलेगी संसद को बता दिया जायेगा,मानों फाईलें न हुई प्याज हो गया पैदावार तो खूब हुई पर बाजार में ढूढे नहीं मिल रहा।  और जब सवाल यह उठा की उस समय क्योकीं प्रधान मंत्री जी के पास ही यह मंत्रालय भी था इसलिये उनको भी जिम्मेदार माना जाये तो मनमोहन जी ने बिना देर लगाये जवाब दिया की फाईलें खो गई तो में क्या करूँ। मैं कोई चौकीदार हूँ जो रखवाली करूँ।और यह तो तब करूँ जब मुझे आलाकमान का एहसान उतारने से फुर्सत मिले।

जब मनमोहन सिंह को खबर मिली की मोदी को भाजपा ने अपना प्रधान मंत्री का उम्मीदवार बनाया है और उनको जैसा जन समर्थन मिल रहा है तो बोले की मैं क्या करूँ और जब उनकी यह कहा गया की इससे कांग्रेस और खास कर युवराज  के लिए मुश्किल खड़ी होने की सम्भावना है तो बोले की मैंने तो पहले ही यह घोषणा कर दी की मैं राहुल के अन्डर काम करके भी खुश रहूँगा फिर धीरे से बोले की इसकी नौबत ही नहीं आयेंगी मैं इस पद पर रहते हुये ऐसा कर दूँगा सरदार का असर सरदार के जाने के बाद पता चलेगा।




और अंत में

 इस नए दौर की   किताबो में , क्या  खाक तुलसी   कबीर ढूंढेंगे 
बिक गया जो चन्द  सिक्को में, उसमे हम क्या जमीर ढूंढेंगे। 
ये  तो  शतरंज   है सियासत  की , गोंटिया खुद वजीर ढूंढेंगे 
पीर अपनी हम भुला कर "शेरी", दिन दुखियों की पीर ढूंढेंगे  ।
                                                                - चाँद शेरी