मित्रो,
पूरे हिंदुस्तान मै केवल एक ही जिन्दा नेता है जो जिन्दा दिल है और हर चीज को मुनाफे मै बदल देता है ,जय प्रकाश नारायण के आन्दोलन का मुनाफा कर बिहार का चीफ मिनिस्टर बना , जानवरों के चारे से मुनाफा कमा जब जेल जाने की बरी आयी तो पत्नी राबड़ी को चीफ मिनिस्टर बना दिया ,रेल मंत्री बना तो रेल मै मुनाफा| बहुत दिन जुगाड़ किया कि फिर मंत्रालय मिल जाये नहीं मिला तो खाली पार्लिअमेन्ट कि मेम्बरी मै मुनाफा |महीने के ` १६००० मिलते थे, महंगाई बढ़ गई इसलिए पगार बढ़ाने कि मांग की, इस बात मै कश्मीर से कन्या कुमारी तक के सारे माननीय एक थे ,सबने राष्ट्रीय एकता का परिचय दिया और ऐसा प्रेशर बना की प्रणव दादा जिनका पर्याय वाची गुस्सा है ,खुशी - खुशी `८०,००० पर राजी हो गए,और हो भी क्यों न आखिर उनका भी तो मुनाफा है | वो दादा जो पेट्रोल की सब्सिडी ख़तम करने के विरोध मै जाने कितने तर्क देते है ,वो दादा जो हर बार महंगाई के खतम होने की तारीख हर बार अप्रैल में दिसम्बर और दिसम्बर में अप्रैल बता कर काम चला लेते है ,और जरुरत पड़ने पर महगाई को आर्थिक विकास का लक्षण बताते है ,बिना किसी न नुकुर के पांच गुना वेतन बढ़ाना स्वीकार कर लेते है | केवल इतना ही नहीं दूसरे लाभ भी लगभग दो गुने करने मै भी गुस्सा नहीं दिखाते क्योकि आखिर मौसेरे भाइओ का ख्याल तो रखना ही पड़ेगा ,चलो गुस्सा फिर कर लेंगे | अभी महंगाई कौन सी कम हुई जा रही है ,जब जनता टैक्स कम करने की बात करेगी तब कर लेंगे गुस्सा | जब जनता कहेगी की राशन सस्ता होना चाहिए तब गुस्सा कर लेंगे अभी तो मामला रिश्ते के मौसेरे भाइओ का है ,इन्हें तो पैसे ज्यादा मिलने ही चाहिए कितनी महगाई बढ गयी है | फिर लालू ने धमका भी दिया की जो लोग पगार बढ़ने का विरोध कर रहे है उनके खाते स्वित्ज़रलैंड मै है तो अब कौन पंगा ले ,सो प्रणव बाबू को भी इसी मै भलाई नजर आई की स्वित्ज़रलैंड की बात चली तो फिर दूर तलक जाएगी पता नहीं कौन सा भाई चपेटे मै आ जाये फिर देते रहो सफाई सो भैया प्रस्ताव लालू का और मर्जी दादा की, बात भी बन गई और मजा भी आगया ,आखिर हम भी तो बाल बच्चे वाले है |इसको कहते है साँप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी |कांग्रेस का हाथ जनता के साथ और लालू की लालटेन बंगले में|
सवालो के लिए पैसा लेने वाले ,आधे दिन पार्लियामेंट में ना आने वाले ,आकर के ऊँघने वाले ,अपनी कुर्सी जाते देख अपनों को बैठाने वाले ,एक बार चुने जाने के बाद बरसो अपने चुनाव क्षेत्र में ना जाने वाले ,मंत्री बन ने के बाद आरोप लगे तो अंडर ग्राउंड हो जाने वाले ,मेम्बरों के चिल्लाने के बाद भी सदन में ना आने वाले,देश हित की किसी भी बात पर एक न होने वाले ऐसे माननियो ने ऐसी एकता दिखाई की लोगो को इस से सबक लेना पड़ेगा की "उंगलिया पांचो चाहे एक जैसी न भी हो तो भी ,जब खाने की बात आती है तो पांचो एक हो जाती है| " अब इस गरीब देश का हर मेम्बर औसतन `३७ लाख हर साल पायेगा,बाकी सुविधाए अलग से , जो की MP's Pay VS Per capita GDP ६८ गुना होगी | यानि भारत के औसत आदमी कि आए से ६८ गुना ज्यादा | ताकि गरीब देश के मान नीयो को गरीबी का एहसास न हो |
मुनाफे की बात केवल यही ख़तम नहीं हुई आखिर बिहार का चुनाव आगया है ,सो उठा दी मदरसे के मौलानाओ को सरकारी खंजाने से पगार दिलाने की बात,मंजूर हो गई तो मैंने दिला दी, इसलिए मैं तुम्हारा दोस्त नहीं मंजूर हुए तो कांग्रेस तुम्हारी दुश्मन इसलिए मैं तुम्हारा दोस्त| वाह भाई वाह मैं तो कहता हूँ हिन्दोस्तान के तमाम नेताओ में केवल लालू ही ऐसे नेता है जिनकी खोपड़ी से भेजा निकल कर मुजिएम में रखा जाना चाहिए ताकि अर्थशाश्त्र और बिजनेस मैनेजमेंट दोनों के विद्यार्थी मुनाफा कमाने की तरकीबे सीख सके और राजनीत शाश्त्र के विद्यार्थी राजनीत की|आखिर ऐसे ही थोड़ी IIM अहमदाबाद और हॉवर्ड के कालिजो ने लेक्चर देने को बुलाया था |इतना प्रतिभावान व्यक्ति फिर कहा मिलेगा ,जो आम ,गुठली और छिलका तीनो का दाम लगा मुनाफा कमा सके |
बात यही ख़तम नहीं हुई ,लालू ने तो उप प्रधान मंत्री बन ने का उपक्रम(In mock session ) कर के आने वाले समय के लिये अपनी तैयारी कि झलक भी दे दी है ,इस लिए हे प्रधान मंत्री पद कि दौड़ में लगे हुए मान नियो समय कि आवाज सुनिए ऐसा न हो कि आप लाइन में लगे रहे और यादव द्वये (मुलायम और लालू) और पासवान जी कुर्सी ले उड़े |तो पहले तो साँप मर गया बिना लाठी तोड़े और बाद में पता चले कि साँप निकल गया और आप लकीर पीट रहे हो |
अतेव कांग्रेस के दादा और दादियो लालू के टैलेंट का उपयोग अपने लाभ के लिए कर ले ,नहीं तो राबड़ी मुख्य मंत्री और लालू प्रधान मंत्री और कैबिनेट में ९ बच्चे और ९ बहुए बाकि कुर्सी सालो को|और फिर मुलायम के रिश्तेदार भी तो है ,इतने से काम चला लेंगे |ठीक ही है "चेरिटी बिगेन एट होम"|आखिर इतनी महंगाई में ज्यादा मंत्रियो कि क्या जरुरत है , हमारी भी तो जवाब देही है जनता के लिए ,हम समाजवादी नेता है तो समाज का ही खायेंगे न |अब ये तो ठीक नहीं है काम करे समाज का और खाए घर जा के |
अब इस देश को गुरु बन ने से कोई नहीं रोक सकता जहाँ का भैस चरने वाला भी हॉवर्ड में पढ़ा सकता है ,तो फिर पढ़े लिखे कि क्या बात है | फिर भी एक भ्रम है -
हमने किया गुनाह तो दोजख हमें मिला ,दोजख का क्या गुनाह जो उसको को हम मिले |
अब कोई बता सके तो बता दे|
"Ajay Ekal"