दोस्तों,
इसे कहते हैं सफलता ,इसे कहते है तेजी .भारत सरकार ने आखिरकार ५० ऐसे आतंकियो की सूची जारी कर दी जिनकी अरसे से देश को तलाश थी .जारी लिस्ट के कम से कम दो लोग पहले से ही हिंदुस्तान में थे.
फिरोज अब्दुल खान नामक आतंकी पहले से ही भारत
की जेल में बंद है और वजाहुल कमर खान नाम का दूसरा आतंकी जरा जेल के बाहर था और अपने परिवार के साथ मुंबई के पास में जिला ठाणे में रह रहा था ,और बाकायदा अपनी अदालती तारीखों में पिछले कई वर्षो से अदालत में जा रहा था यानि पुलिस और अदालत के रिकॉर्ड में दर्ज था .
अब लोग ये कह रहें है की गृह मंत्री चिदंबरम की गलती है और उनकी टीम नाकारा है , कल दबाव में उन्होंने भी यह कह दिया की चलो मानवीय गलती हो गए होगी ,जब बड़े काम करने हो तो छोटी -मोटी गलती हो ही जाती है.
पर मै तो कहता हूँ इससे ज्यादा अच्छा क्या हो सकता है की जिसे वोह पाकिस्तान से लाना चाहते थे वो
इनकी ही जेल मे बंद था. राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने अपनी कविता चेतक मे राणा प्रताप के प्रिय एवं स्वामिभक्त घोड़े का जिक्र कुछ यों किया है "राणा की पुतली फिरी नहीं तबतक चेतक मुड़ जाता था " उसी तरह अब हम निश्चिन्त हो कर कह सकते है की गृह मंत्री चिदम्बरम के हाथो में देश सुरक्षित है और उनकी टीम इतनी प्रतिभाशाली है की सूची जारी होने से पहले ही अपराधी जेल मे आ जाता है .वैसे फिल्म स्टार मनोज कुमार की एक पिक्चर थी " दस नम्बरी" उनका कहना भी यही था की ऊँगली देखते ही ताला खुल जाता था और इशारा पाते ही मॉल उधर का इधर हो जाता था वगैरा -वगैरा .तो भाई साहेब अब आपने देख लिया न चिदम्बरम की टीम के चेतक और दस नंबरियो की करामत इसलिए इसे अब उनकी गलती बताने के बजाये इसको राष्ट्रीय अभिमान बताना चाहिए .और इनको हिंदुस्तान का प्रधान मंत्री बनाने के लिए प्रयास होना चाहिए .आप विश्वास कीजिये पाकिस्तान और अमरीका मिलकर यह कर सकते है .आखिर जब इनके कहने पर दूसरे मंत्री बन सकते है तो प्रधान मंत्री क्यों नहीं. और अब तो लादेन भी जिन्दा नहीं है अमरीका के मंसूबो को रोकने के लिए .हालाँकि अमरीका को पता है की मनमोहन कौन निर्णय अपने आप करते है वो भी तो हिंदुस्तान मे विदेशियो का ही हित साधते है नहीं तो कात्रोची कैसे छूट जाता और विदेशो मे जमा धन वापस लाने के लिए क्यों प्रयास नहीं किये जाते. इसे कहते है की मुंबई मे छोरा और पाकिस्तान मे ढिंढोरा .
राष्ट्रीय शर्म की बात तो राहुल गाँधी ने पहले ही मान ली है भट्टा परसोल मे .राहुल का कहना है की ग्रेटर नॉएडा के भट्टा परसोल मे जितनी ज्यादती किसानो के साथ हुयी है इससे उन्हें अपने को भारतीय कहने कहने मे शर्म आ रही है .मुझे थोडा भ्रम हो गया यह सुनकर .मैं सोंच में पद गया की उन्हें शर्म तब क्यों नहीं आई जब जैतपुर मे किसानो की उपजाऊ जमीन बिजली संयंत्र लगाने के लिए ली गयी , किसानो पर लाठी चलाई गयी और किसान मारे गए क्योंकि वहा प्रदेश मे सरकार कांग्रेस की है , और काग्रेस राज मे ये तो आम बात है दरअसल शर्म इस बात पर है की कांग्रेस के रहते किसानो की पिटाई और लूट का काम माया वती की पार्टी ने कैसे कर दिया .और उस पर तुर्रा यह १९ मई को प्रदेश सम्मलेन मे राहुल ने यह घोषणा भी कर दी की अब हम उत्तर प्रदेश के हर गाँव -गाँव मे वो करंगे जो ग्रेनो मे हुआ .मेरी तो रूह कॉप रही है राहुल की बात सुन कर.
कांग्रेस सम्मलेनके समापनमे सोनिया कहती है जिनके घर शीशे के
होवो दूसरो पर पत्थर नहीं फेकते है ,मुझे नहीं पता नहीं की वक्त पिक्चर मे यह
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अब इतना सबकुछ
जानने के बाद हम तो केवल ये ही कह सकते है की "बर्बाद गुलिश्ता (प्रदेश ) करने को बस एक ही उल्लू काफी है ,अंजामे गुलिश्ता क्या होगा हर साख पर उल्लू बैठा है". इसको पढ़ कर आप बुरा न माने उल्लू लक्ष्मी की सवारी है और हर समझदार आदमी चाहता है की लक्ष्मी उसके पास रहे यानि सवारी करे.
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अजय सिंह "एकल"