जनाब,
दिल्ली का ठग नाम से एक पिक्चर आई थी १९५८ में कलाकार थे, किशोर कुमार और नूतन .अब इसका री मेक बना है ४ जून २०११ में .फिल्म का एक टेलर अप्रेल २०११ को भी हुआ था जंतर मंतर में जिसमे अन्ना हजारे ने हीरो प्ले किया ,परन्तु जब दिल्ली के राम लीला मैदान में योग गुरु राम देव के नेतृत्व में देश दुनिया से आए हुए लोगो को लेकर काले धन के खिलाफ भक्तो की अपार भीड़ के साथ पिक्चर शुरू हुई तो दिल्ली के ठगों जो बिहार ,बंगाल पंजाब तमिलनाडु इत्यादि के साथ दिल्ली में आ मंत्री बन बैठे है का भी दिल मुश्किल में पड गया ,हालांकि बाबा के ३ जून को हवाई जहाज से उतरते ही दिल्ली के ठगों ने बाबा को हैंडिल करने की कोशिश की और जब हैंडिल नहीं हुए तो मैन-हैंडल कर दिया . नतीजतन राम देव के खिलाफ कपिल सिब्बल का विलेन प्ले सबके सामने आगया .
कहते है की जब रोम जल रहा था तो वहां का राजा नीरो बंसी बजा रहा था , (यहाँ सोनिया चैन की बंसी बजा रही है लगता है रोम वाले ऐसे ही होते है) मुझे नहीं पता की जब दिल्ली के राम लीला मैदान में लाठिया चल रही थी तो इस महान लोकतान्त्रिक देश का प्रधान मंत्री कहाँ चैन की नींद सो रहा था और देश का गृह मंत्री कहाँ कपड़े बदल रहा था अथवा ठगी का प्लान बना रहा था, क्योंकि कार्यवाही रात में एक बजे शुरू हुयी लेकिन ९ बजे सुबह तक केवल दिग्विजय सिंह जो ओसामा को ओसामा जी कहते हैं,अफ्जलं गुरु को फांसी न होने पाए इसके लिए तरह -तरह के बयान देते है,आजमगढ़ जा कर आतंक वादियो को विश्वास दिलाते है की उनके रहते उन्हें चिंता की जरुरत नहीं , वोह सबसे पहले करोडो लोगो के पूज्य एवं श्रद्धा के पात्र स्वामी को ठग कहते और उनकी संपत्ति की जाँच की मांग करते हुए नजर आए . अब मुझे समझ आरहा है की खून के रिश्ते कितने असर कारक होते हैं .
इतिहास में पढ़ा था की अंग्रेजो के साम्राज्य में सूरज कभी डूबता नहीं था.अंग्रेज अभी भी निश्चिन्त रह सकते है की उनका सूरज कम -से - कम भारत में अभी डूबा नहीं है .बेशक चमड़ी का रंग कुछ श्यामल हुआ हो और शक्ले हिन्दुस्तानियो जैसे लगती हो पर जून ७४ का आपातकाल और आज दिल्ली के राम लीला मैदान ने फिर याद दिला दिया है की जलिया वाला बाग़ में गोली चाहे इंग्लैण्ड से आये हुए जनरल डायेर ने चलवाई हो ,लेकिन अब जनरल जैसो को इंग्लॅण्ड से आने की जरुरत नहीं पिछले ६० वर्षो में अब हम अब हमारा देश इतना समर्थ(self sufficient) हो गया है की हमने अंग्रेजो की पूरी नस्ल यही पैदा करनी शुरू कर दी है.
वैसे ठगने की घटनाये अतीत में भी हुई है मसलन सावित्री के पति सत्यवान की जान ले कर जब यमराज जा रहे थे तो सावित्री ने एक ऐसा वरदान मांग लिया जिसको देने के बाद यमराज अपने को ठगा महसूस करने लगे परन्तु वरदान देने का बाद उसका पालन करने हेतु उन्हें सत्यवान को जिन्दा करना पड़ा. ऐसी ही योजना बाबा रामदेव ने भी बनाई थी ,लेकिन इस बार मामला उल्टा पड़ गया .अब आप ही बताइए की अपने डेथ वारंट पर बाबा के कहने से कोई कैसे साइन कर सकता है .जरा गंभीर मसला है सो ध्यान से समझना होगा . विदेशो में जमा धन ८० फीसदी नेताओ का है और २० फीसदी व्यापारियो का .बात ये है की व्यापारी अपने पैसे को आइडल यानि अन प्रोडक्टिव नहीं रखता , उसके पास काले धन को इन्वेस्ट करने के मौके है इसलिए उसको इन्वेस्ट कर वोह उससे और धन पैदा करता है ,जबकि आम तौर पर नेताओ के पास ऐसी कोई व्यवस्था नहीं होती और थोडा बहुत अपने विश्वाशपात्रो की मदद से इन्वेस्ट करने के अलावा धन को सुरक्षित जगहों (Tax haven) पर जमा करना उनकी मज़बूरी है .हर रोज डील पर डील होती है और पैसे का जेनेरेशन लगातार होता है ,अब बाबा कहते है की ऐसा विधान बना दो की पैसा राष्ट्रीय सम्पति घोषित हो जाये और ऐसा करने वालो को मृत्यु दंड अथवा आजीवन कारावास मिले, एक बार को तो सरकार भुलावे में आ ही गयी थी और ऐसा दिखावा किया की मानो वोह समझ नहीं पाई और बाबा ने भी ९० प्रतिशत बातें सरकार ने मानली है ऐसी घोषणा भी कर दी , दरअसल ये यह छोटे ठग पर बड़े का दावं था .सरकार ने सोचा की एक बार ऐसा दिखाने से कि बाबा की सारी मांगे मान ली है बाबा का अनशन ख़तम हो जायेगा लोग चले जाएँगे और फिर बात ख़तम . लेकिन बाबा शातिर निकल गया उन्हें ये बात समझ आगई और उन्होंने चिठ्ठी से मानने से मना कर दिया और कहा कि विधान लाओ , जैसा की अन्ना ने भी सावधान किया था , तब सरकार में बैठे ठगों को लगा की बाबा को ठगना आसान नहीं है तो फिर आगे वही किया सरकार ने जो होना चाहिए था अर्थात सोते हुए निहथ्थे लोगो को डंडा ,लाठी और गोली के द्वारा डरा धमका कर आम लोगो लो भगा दिया और बाबा के खिलाफ तड़ी - पार के आदेश कर दिए गए तथा १५ दिन दिल्ली में बाबा के प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है . जो सरकार देशद्रोहियो को बिरयानी खिलाने के लिए जिन्दा भी रखती है और पास भी ,उसी सरकार को बाबा के दिल्ली में रहने पर खतरा महसूस होता है .बात सिंपल है जिस दिल्ली में बड़े -बड़े ठग रहते हो वहां छोटे ठगों का प्रवेश वर्जित होना ही चाहिए ,तभी दिल्ली का अंतर्राष्ट्रीय स्टैण्डर्ड बनेगा.
अभी लड़ाई जारी है .अब लड़ाई में दूसरे दलों के नेताओ ने जो थोड़े छोटे ठग है उन्होंने भी हाथ बटाने का निर्णय किया है .भाजपा के लोग राज घाट पर गाँधी की समाधी पर अनशन करेंगे मुलायम और मायावती भी बाबा का लड़ाई में साथ देंगी यानि अब मोर और सांप एक डाली पर रहेंगे .और भी कई रणनीतिया बनेगी देखना है की निर्णायक लड़ाई की बाजी किसके हाथ लगती है.
अजय सिंह "एकल"