Saturday, November 26, 2011

जादू की छड़ी

 जी जनाब ,
जिस जादू की छड़ी का इन्तजार मनमोहनी सरकार को पिछले दो सालो से था आखिर वह मिल ही गयी . नतीजतन यू पी ये टीम के सारे लोग एक सुर में रिटेल सेक्टर में ऍफ़ डी आइ के  स्वीकृत होने का स्वागत कर रहे है और तरह तरह के तर्क दे कर जनता को यह समझाना चाह रहे है की बस जनता महंगाई की  समस्या  जो सुरसा की तरह मुहं फैलाये जा रही थी और लोगो को परेशान कर रही  का समाधान हो गया . आखिर जिस जादू की छड़ी का जिक्र शरद पवार , प्रणव दादा तथा मनमोहन सिंह अपने बयानों और भाषणों   में पिछले बहुत दिनों से कर रहें है हाथ लग ही गयी है इसलिए बस अब महंगाई छू मंतर होने वाली है. इन सब लोगो को पता है की अब कम से कम इतना तो पक्का हो गया है जनता की समस्या कम हो न हो कांग्रेसियो की समस्या का तो हल निकल ही गया है.यदि विपक्षी  इसका विरोध करे तो कहो की हम ने तो उपाय  कर दिया लेकिन विरोधी कम नहीं होने दे रहे है और यदि न करे और तो फिर जवाब है न, की भाई समय लगता है  विदेशी स्टोर का लाभ  मिलने  में और उस से रोजगार मिलने में तो इंतजार करो  .तब तक अगले इलेक्शन आ जायेंगे तो हो गया न उद्देश्य पूरा. पिछला चुनाव परमाणु विद्युत के मुद्दे से जीता और अब अगले की तैयारी हो गयी है.

बस एक गड़बड़ हो गई इस बीच. कांग्रेस का हाथ  जो दो- ढाई साल से जनता की गर्दन कसता चला जा रहा था ने, बोउन्स बैक किया और यू पी ये सरकार के एक कद्दावर नेता जिनके बयानों ने भी खाने पीने की चीजो  के भाव बढ़ाये और आग में घी का काम किया ,की ओर घूम गया .अगले दिन संसद में सारे सदस्यों ने एक सुर में बयान दिए लोकतंत्र में हिंसा की जगह नहीं है. विरोध करना है  तो नारे लगाओ ,अनशन  करो ,अख़बार में निकालो   फिर ये हमारी मर्जी है की हम सुने या न सुने .अरे भाई हम न सुने तो अगले इलेक्शन  में दूसरे   को चुन लेना .लेकिन आप ने एक बार चुन के भेज दिया है तो पांच साल तो लूटने दो ,आप हमें ऐसे नहीं रोक सकते .और इतना ही नहीं यदि आप अनसन करोगे तो हम पुलिस भेज के आप को और आप के साथियो को पीटेंगे .आखिर आपने हम को चुन के भेजा है तो इतना अधिकार तो मिलना ही चाहिए.
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लेकिन समस्या केवल इतनी ही नहीं है .तीन साल पहले विदर्भ के एक किसान की विधवा कलावती के घर राहुल ने  खाना  खा के ज़ब संसद में  बयान दिया तो उनकी शान में न जाने कितने कशीदे कांग्रेसी नेताओ ने गढ़ डाले ,लेकिन इतने दिन बाद भी कलावती उसी हाल में जी रही है और कपास किसानो के आन्दोलन की अगुवाई  इस उम्मीद में कर रही है की  शायद कोई चमत्कार हो जाये और विदर्भ के मरते किसानो को कोई राहत मिल जाये .जहाँ पिछले साल भी कम से कम ८०० किसानो ने गरीबी से हार कर आत्महत्या की है.पता नहीं राहुल को इस बात से गुस्सा आया की नहीं जो उत्तर प्रदेश में लोगो से जाकर यह पूँछ रहे है की उन लोगो को माया वती के राज में जो कुछ हो रहा है उस पर गुस्सा क्यों नहीं आता है.

आज तीसरी बरसी है मुंबई में ताज होटल  पर हुए हमले की .फिर रसम अदाएगी हो गयी मुख्य मंत्री ने शहीदों  को याद किया ,सेना ने सलामी दी और विदेश मंत्री ने फिर वैसी ही  चेतावनी  पाकिस्तान को दे कर अपने कर्तव्य की इतश्री कर ली, न पहले कोई   एक्सन   कुछ हुआ न भविष्य में कुछ होने की उम्मीद है . बस एक बात  देश की जनता को पता चल गयी की भारत  सरकार ने कसाब को जिन्दा रखने में गरीब जनता के हिस्से का  कम से कम ५० करोड़ रुपियो  का खर्च कर दिया है.इतने पैसे में हिंदुस्तान के ५०० गांवो का क्या कल्प हो सकता था . लेकिन गाँधी के देश में  कोई अपराधी से कैसे घृणा कर सकता है ,घृणा तो अपराध से करनी है  न इसलिए सरकार में बैठे  गाँधी  के उत्तराधिकारी  और कुछ करे या न करे कसाब को हर हाल में जिन्दा रखने पर अमादा है इसके लिए चाहे १ अरब खर्च हो  या १०० अरब .आखिर भारत इतना गरीब तो नहीं है की पड़ोस के  एक आदमी को ज़िदा न रख सके.

अजय सिंह "एकल" 

  

Sunday, November 13, 2011

गुस्सा आता है ?

प्रिय दोस्तों ,
पहली बार इस देश के किसी नेता ने जनता से पूछा है की आपको व्यवस्था पर गुस्सा क्यों नहीं आता है .बहुत अच्छा लगा . सदा मुस्कराते रहने वाले राहुल गाँधी  जब गुस्सा करते है तो सारी मिडिया का ध्यान आकर्षित करते है और उनके पार्टी जन उनकी इस अदा पर फ़िदा हो जाते है .राहुल का दलित के घर जाना और वहां खाना ,कभी मेट्रो ट्रेन में जाना ,कभी मुंबई की लोकल में सफ़र करना राहुल की अदाओ में शुमार है और क्योंकि मीडिया में इस बहाने से चर्चा हो जाती है इसलिए समय -समय पर  ऐसा करना जरुरी है  . नेता गिरी करने के लिए मीडिया में बने रहना राहुल की जॉब प्रोफाइल का हिस्सा है .

मगर राहुल को यह पता नहीं है की गुस्सा करने के लिए दो आवश्यक बाध्यताए है जिनके बिना कोई गुस्सा कर ही नहीं सकता ,एक तो उसका पेट भरा होना चाहिए और दूसरा कोई गुस्सा देखने वाला होना चाहिए . तो जनाब राहुल के पास दोनों है और इस देश की ७० फीसदी जनता के पास दोनों नहीं है .इसी लिए मिर्जापुर में राहुल साहेब ने जब पूछा की आप लोगो को व्यवस्था पर गुस्सा क्यों नहीं आता  तो जनता को कोई जवाब नहीं सूझा.

लेकिन देश की ३० फीसदी जनता जो अपना  पेट किसी तरह भर लेती है और और जिसका गुस्सा भी कोई न कोई देखने वाला है को गुस्सा आता  है :

जब महंगाई बे हिसाब बढती और कमाई कम पड़ने लगती है .और अर्थशास्त्र के ज्ञाता   प्रधान मत्री जी कहते है की उनके पास जादू की छड़ी नहीं है.

जब हर दूसरे महीने पेट्रोल के दाम बढ़ जाते है और वित्त मंत्री जी कहते है की हम कुछ नहीं कर सकते है.

जब बेकसूर  जनता आतंक वादियो के द्वारा मारी जाती और देश के  गृह मंत्री का बयान आता है की ३२ महीने से कोई आतंकवादी घटना नहीं हुई  यह क्या कम है .और देश के युवराज राहुल कहते है आतंकी घटनाओ को १०० फीसदी रोक पाना असंभव है.

जब कोई मंत्री देश की जनता की गाढ़ी कमाई को लूट कर अपना और सम्बन्धीयो का घर भर लेता है और उसको जेल में भी घर जैसी सुविधाएँ प्राप्त होने की खबर आती है.

जब आपकी पार्टी के कानून मंत्री दागी कंपनियो के अधिकारियो को छोड़ देने की वकालत यह कह कर करते है की इससे देश में लोग व्यापार करने में झिझकेंगे .

जब संचार मंत्री ५० करोड़ के जुर्माने को ५ करोड़ कर देते है और विरोध करने पर जवाब आता है की फिर कोई मंत्री निर्णय नहीं ले सकेगा इसलिए आप  इसकी तारीफ करें या न करे लेकिन आलोचना तो बिलकुल न करे.

जब आपकी पार्टी हर उस आदमी को परेशान करने लगती है लो भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठता है चाहे वोह बाबा राम देव हो या अन्ना हजारे .

जब देखता हूँ की मोंटेक सिंह अहलुवालिया जी का जी -२०  मीटिंग के बाद बयान आता है की यूरोप    को भारत बेल आउट पैकेज दे सकता है .

जब भारत के  प्रधान मंत्री भारत के खिलाफ अतंकवादियो की फ़ौज तैयार करने वाले देश पाकिस्तान के प्रधान मंत्री को  शांति का मसीहा बताते है.

कहाँ तक आपको  बताऊँ बड़ी लम्बी है फेहरिस्त .लेकिन अच्छा है  आप देखने को तैआर हो  तो जनता समय -समय पर आपको बताती रहेगी. इसकी एक बानगी आपको उत्तर प्रदेश के चुनाव के नतीजो में  पांच महीने बाद देखने को मिलेजाएगी    इसी आशा के साथ,

आपका 

अजय सिंह "एकल"