प्रिय जनता जनार्दन,
मैंने सुना है आप तो बड़े दयालु हो ,आपके सामने कोई हाथ जोड़ कर खड़ा हो जाये तो आप उसका कल्याण कर देते हो ,तो लो भैया हम फिर आ गए है पांच साल मौज मस्ती करके ,अपना घर भर के और आप से निवेदन करते है की अबकी बार फिर जीता दो बस मजा आ जाये । अबकी बार तो पक्का मंत्री बन ने का पूरा चांस है अरे इसीलिए तो हम बिभीषण बने है नहीं तो राम का नाम तो हमारी जबान पर कभी भूल के भी नहीं आया ये तो पता नहीं की हनुमान को क्या सुझा अचानक चुनाव घोषणा के बाद घर आ गये और बोले की चिंता न करो राम का मुझमे पूरा विश्वास है ,और में जिसको चाहे भीषण बना कर लंका का राजा बनवा सकता हूँ बस मैंने सोचा की मौका भी है और दस्तूर भी सो हम आपकी शरण में आ गए है बस अबकी वोट दे कर जीता दो ,जिन्दगी भर आपका आभारी और बाकी नेताओ पर भारी रहूँगा बस एक बार और...
इस उम्मीद के साथ की नेता हम लोगो को ऐसे ही सपने दिखा कर ठगते रहेंगे, और हम ठगे जाते रहेंगे.
सभी भारत वासियो को गणतंत्र के ६३ वी वर्षगांठ की बधाई .
अजय सिंह "एकल"
और अंत में
पाप
न जन्म लेता अगर कही मैं ,धरा नहीं ये मसान होती,
न मंदिरों में मृदंग बजते ,न मस्जिदों में अजान होती।
कभी सुनी मोहनी मुरलिया ,कभी अयोध्या बजे बधाए ।
मुझे दुआ दो ,बुला रहा हूँ हजार गौतम हजार गाँधी,
बना दिए देवता अनेको ,मुझे मगर तुम पूज न पाए।
मुझे रुला कर न स्रष्टि हंसती ,न सूर,तुलसी ,कबीर आते ,
न क्रास का ये निशान होता ,न पाक पावन कुरान होती ।
बुरा बताले मुझे मौलवी ,की दे पुरोहित हजार गाली,
सभी चितेरे शक्ल बना ले बहुत भयानक कुरूप काली ।
मगर वही जब मिले अकेले सवाल पूंछो यही कहेंगे ,
की पाप ही जिन्दगी हमारी,वही ईद है वही दीवाली ।
न सींचता मैं अगर जड़ो को कभी जहाँ में न पुण्य फलता,
न रूप का यूँ बखान होता ,न प्यास इतनी जवान होती । मृत्यु १७ दिसंबर 2011