Thursday, July 26, 2012

वीर भूमि का वीर पुत्र, प्यादा से बादशाहत तक

दोस्तों , 

यह कहानी नहीं सच्ची बात है पोलतू जब पैदा हुआ तो करोड़ो में एक था,फिर  करीब पैतीस साल बाद जब राज्य सभा का मेम्बर बना तो  वह  हजारो में एक था,उसके बाद जब मन्त्री  बना तो सैकड़ो में एक था लेकिन वही  पोलतू यानि प्रणव मुखर्जी आज जब देश के तेरहवे राष्ट्रपति बने तो तेरह में एक है . अब यदि शपथ ग्रहण समारोह में दादा ने अपने भाषण जो बाते कही तो वह यदि काम कर दे तो निश्चित एक में एक हो जायेंगे। भूतो न भविष्यती ! (पूरा भाषण पढने के लिए क्लिक करे )मसलन दादा ने कहा की भूख मानवता के लिये  सबसे बड़ा अपमान है यानि देश में किसी को भूखा नही रहना चाहिए. विचार अच्छा है लेकिन दादा अपने  ने वित्त मंत्री काल  के  आठ सालो में जो कुछ किया उससे तो जिनको दो समय खाना मिल जाता था उनको भी मिलना बंद होने की स्थिती है।हालाकि वोह इसके लिए कभी गठबंधन को और कभी अन्तराष्ट्रीय स्थितियो को दोषी ठहराते रहे है।लेकिन सच्चाई यही है की गरीब और ज्यादा गरीब हुआ है और आम आदमी त्राहि-त्राहि कर रहा है।रही आतंकवाद से लड़ने की बात तो उससे कांग्रेस की सरकारपिछले 65 सालो से  केवल फायदा उठाने की नीतियो का पालन कर रही है.अब दादा के पास आतंकियों को सजा देने का अधिकार प्राप्त है, अतः इसको कितने प्रभावी ढंग से लागू करवा पाएंगे यह तो समय ही बताएगा।तीसरी महत्वपूर्ण बात दादा ने की  भ्रष्टाचार मिटाने  की  है , तो अभी तक दादा जिस सरकार में नंबर दो पर थे,  उस में कम से कम 15 मंत्री ऐसे है जिन पर सिरिअस भ्रष्टचार के आरोप है और सरकार उनकी जाच तक करवाने को तैआर नहीं है।मिटाना  तो बहुत दूर की बात है . यह देखना दिलचस्प होगा की राष्ट्रपति रहते हुए भ्रस्टाचार के विरुद्ध किस तरह और कितने प्रभावी ढंग से इसको ख़त्म करने में सफल होते है।


आज ही यहीं नई दिल्ली में संसद भवन से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर  भ्रष्टाचार का विरोध करने के  लिए   टीम अन्ना भी अनशन पर बैठ गयी  है लेकिन बा मुश्किल दिन भर में कोई समाचार इस बारे में आया . शाम होते-होते केवल इतनी खबर बताई गयी की पिछली बार से कम लोग आये थे।दूसरी महत्व पूर्ण बात नारायण सामी ने यह कही की अब सरकार  इनसे कोई बात नहीं करेगी , लेकिन सबसे ज्यादा मजेदार वक्तव्य दिया सलमान खुर्शीद साहेब ने.उन्होंने कहा की यदि ज्यादा परेशानी हो अन्ना को तो वह  यूनाइटेड नेशन क्यों नहीं जाते .शायद उत्साह में जनाब यह भूल गए की  कश्मीर मसले पर नेहरु  एक बार यू एन जा चुके है.और नतीजा सामने है पिछले 60 बर्षो से देश उसकी कीमत चूका रहा है  .लेकिन इन मदहोस मंत्रियो को तो कोई बात समझ में मुश्किल से ही आती है.आखिर देश और उसकी जनता चुनाव के बाद इनकी आखरी वरीयता क्यों हो जाती है.
 प्रणव दा यानि भारत के राष्ट्रपति और अन्ना दोनों भ्रष्टाचार मिटने की बात कर रहे है एक भूखे पेट टेंट के नीचे और दूसरे शान दार लिमोजीन की सवारी करते हुए. आश्चर्य  की बात है दोनों का उद्देश्य एक है. देश से भ्रष्टाचार को मिटाना।

शान्ति सुंदर राजन और पिंकी प्रमाणिक जैसे एथलीटो के विवाद पर यह लोग भारत में जैसे मजबूर कर दिए गये उन्ही हालात  में दक्षिण अफ्रीका की एथलीट  सैमेन्या के लिए उसने तीसरे विश्व युद्ध  की धमकी तक  दे डाली और अंतताः सेमेन्या को वोह अधिकार मिल गया जिसकी वोह हक़ दार थी. लेकिन भारत ऐसा करने और कहने का साहस नहीं दिखा सका और इसके पदक विजेता एथलीट ईंट भट्टे पर काम करने  को मजबूर है .(पूरा समाचार पढने को यहाँ क्लिक  करे). ऐसा देश है मेरा .


अजयसिंह "एकल"

Saturday, July 21, 2012

ये क्या हुआ ?

प्रिय दोस्तों,
पिछले दिनों  फिल्मी दुनिया के  दो महान कलाकार रुस्तमे हिंद दारा सिंह  और राजेश खन्ना नहीं रहे .दारा सिंह  केवल फिल्मी कलाकार ही नहीं फ्री स्टाइल कुश्ती में  दुनिया में हिन्दुस्तान का नाम रोशन करने वाले प्रथम व्यक्ति थे।हिन्दुस्तान के सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय टी वी धारावाहिक में  वीर हनुमान का चरित्र निभा कर दारा सिंह जनता में अत्यंत प्रिय कलाकार भी हो गए और श्रद्धा के पात्र भी।


काका यानी  राजेश खन्ना जो हिंदी सिनेमा के पहले सुपर स्टार बने , लम्बी बीमारी के  बाद पार्थिव शरीर को छोड़ कर अपने पीछे  अच्छी और ख़राब लगने वाली तमाम  कहानिया छोड़ गए.अनेक अमर फिल्मो में अभिनय का लोहा मनवाने वाले राजेश ने जिन्दगी जितने उतार चढ़ाव देखे उतने उतार चढ़ाव बहुत कम लोगो की जिन्दगी में होते है .वोह राजेश जिनके सड़क पर निकलने पर जाम लगा करते थे आखरी दिनों में उसी राजेश से मिलने के लिए महीनो में कोई आता था  सिवाए डाक्टर  या सेवक के। एक सुपर स्टार से गुमनामी की जिन्दगी तक राजेश खन्ना का सफ़र अब सिर्फ यादो में सिमट जायेगा. एक ही जिदगी में उन्होंने बहुत कष्ट झेले. उन्होंने शोहरत की ऊंचाईयां भी छुई और उपेक्षा की सुनसान गलियो से भी गुजरे,लेकिन उन्होंने सबकुछ अपने सीने में छुपाये रखा. मगर एक अवार्ड फंक्सन में वोह बोल ही पड़े -इज्जते,शोहरते,चाहते,उल्फ़ते कोई भी चीज दुनिया में रहती नहीं.आज में जहाँ हूँ वहां कल कोई और था,ये भी एक दौर है वो भी एक दौर था।


सुना है एक बार फिर कांग्रेसियो ने फिर  राहुल को सरकार में आने के लिए उकसाया है,मैं  उकसाया इसलिए कह रहां हूँ क्योंकि समझाने  से  तो उन्होंने सरकार में कोई रोल किया नहीं .और संगठन के लिए के अबतक कुछ कर नहीं पाए. अब एक बार कांग्रेसी फिर राहुल के लिए बड़ा रोल माँग रहे है . अभी तक कांग्रेसियो को यह समझ नहीं आया जो आदमी आज तक अपनी शादी नहीं कर पाया, अपनी गर्ल फ्रेंड को हिंदुस्तान नहीं ला पाया उससे क्या रोल की उम्मीद की कांग्रेसियो ने लगा रखी है भगवान  जाने .लेकिन फिर भी राहुल के लिए बड़ा रोल चाहिए. राहुल ने भी कह दिया है अब कांग्रेस की अध्यक्षा यानी मम्मी जी रोल तय करेंगी की अमूल बेबी क्या रोल करेंगे और कितना बड़ा रोल करंगे।लेकिन  भारत की जनता को मालूम है  की राख  के ढेर मैं शोला है न चिंगारी हैं .

देश में एक नया बाबरी कांड होने  की भूमिका यही दिल्ली में निष्क्रिय केंद्र सरकार और शीला की राज्य सरकार  की नाक के नीचे सुभाष पार्क में बन गयी है , कोर्ट के आदेश के बावजूद नमाज पढने का सिलसिला जारी है . जमीन का मालिकाना हक़ और भारतीय पुरातत्व विभाग  की रिपोर्ट  अभी कोर्ट में आयी नहीं है किन्तु जबरदस्ती स्थान को 17वी  शताब्दी की अकबराबादी मस्जिद घोषित कर नमाज  पढवा कर देश मे एक नया विवाद देश के सेकुलरिस्टो ने खड़ा करवा कर अगले चुनाव की व्यूह रचना  शुरू करदी है. बहुसंख्य हिन्दू समाज को अपमानित करने  का कुचक्र कांग्रेस सरकार ने फिर शुरू कर दिया है .अब बात निकली है तो दूर तलक जायेगी . पूरा समाचार पढने के लिए यहाँ क्लिक   करे .


 और अंत में 

कान पर जूं रेंगने से, अब भला क्या फाएदा 
हर तरफ दाउद का घर ,हर तरफ अलकायदा ll 
अजय सिंह "एकल "