दोस्तों ,

यह कहानी नहीं सच्ची बात है पोलतू जब पैदा हुआ तो करोड़ो में एक था,फिर करीब पैतीस साल बाद जब राज्य सभा का मेम्बर बना तो वह हजारो में एक था,उसके बाद जब मन्त्री बना तो सैकड़ो में एक था लेकिन वही पोलतू यानि प्रणव मुखर्जी आज जब देश के तेरहवे राष्ट्रपति बने तो तेरह में एक है . अब यदि शपथ ग्रहण समारोह में दादा ने अपने भाषण जो बाते कही तो वह यदि काम कर दे तो निश्चित एक में एक हो जायेंगे। भूतो न भविष्यती ! (पूरा भाषण पढने के लिए क्लिक करे )मसलन दादा ने कहा की भूख मानवता के लिये सबसे बड़ा अपमान है यानि देश में किसी को भूखा नही रहना चाहिए. विचार अच्छा है लेकिन दादा अपने ने वित्त मंत्री काल के आठ सालो में जो कुछ किया उससे तो जिनको दो समय खाना मिल जाता था उनको भी मिलना बंद होने की स्थिती है।हालाकि वोह इसके लिए कभी गठबंधन को और कभी अन्तराष्ट्रीय स्थितियो को दोषी ठहराते रहे है।लेकिन सच्चाई यही है की गरीब और ज्यादा गरीब हुआ है और आम आदमी त्राहि-त्राहि कर रहा है।रही आतंकवाद से लड़ने की बात तो उससे कांग्रेस की सरकारपिछले 65 सालो से केवल फायदा उठाने की नीतियो का पालन कर रही है.अब दादा के पास आतंकियों को सजा देने का अधिकार प्राप्त है, अतः इसको कितने प्रभावी ढंग से लागू करवा पाएंगे यह तो समय ही बताएगा।तीसरी महत्वपूर्ण बात दादा ने की भ्रष्टाचार मिटाने की है , तो अभी तक दादा जिस सरकार में नंबर दो पर थे, उस में कम से कम 15 मंत्री ऐसे है जिन पर सिरिअस भ्रष्टचार के आरोप है और सरकार उनकी जाच तक करवाने को तैआर नहीं है।मिटाना तो बहुत दूर की बात है . यह देखना दिलचस्प होगा की राष्ट्रपति रहते हुए भ्रस्टाचार के विरुद्ध किस तरह और कितने प्रभावी ढंग से इसको ख़त्म करने में सफल होते है।

प्रणव दा यानि भारत के राष्ट्रपति और अन्ना दोनों भ्रष्टाचार मिटने की बात कर रहे है एक भूखे पेट टेंट के नीचे और दूसरे शान दार लिमोजीन की सवारी करते हुए. आश्चर्य की बात है दोनों का उद्देश्य एक है. देश से भ्रष्टाचार को मिटाना।

शान्ति सुंदर राजन और पिंकी प्रमाणिक जैसे एथलीटो के विवाद पर यह लोग भारत में जैसे मजबूर कर दिए गये उन्ही हालात में दक्षिण अफ्रीका की एथलीट सैमेन्या के लिए उसने तीसरे विश्व युद्ध की धमकी तक दे डाली और अंतताः सेमेन्या को वोह अधिकार मिल गया जिसकी वोह हक़ दार थी. लेकिन भारत ऐसा करने और कहने का साहस नहीं दिखा सका और इसके पदक विजेता एथलीट ईंट भट्टे पर काम करने को मजबूर है .(पूरा समाचार पढने को यहाँ क्लिक करे). ऐसा देश है मेरा .
अजयसिंह "एकल"