दोस्तों,
यह कोई पहली बार नहीं है जब भारत की उपमा किसी ने माँ या मधुमक्खी से की है। इससे पहले उस समय देश की प्रधान मंत्री और राहुल की दादी मां की तुलना इंदिरा इज
इंडिया कह कर की थी।जमाना आपात काल का था और उनकी चौकड़ी के एक सदस्य ने ऐसी तुलना करके पहली बार चमचा गिरी के नए कीर्तिमान स्थापित किये थे और उसकी जब किरकिरी हुयी तो कांग्रेस चौकड़ी के लोगो ने बड़े
-बड़े तर्क दे कर उसको तर्क सिद्ध करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी । उत्तर प्रदेश के एक पदासीन मंत्री आजम खान भारत माँ की तुलना डाईन से भी कर चुके है और शान से मंत्री बने हुये है। इतिहास ने एक बार फिर अपने को दोहराया है।




अनगिनत क्रन्तिकारी साथियों ने हँसते हँसते फांसी का फंदा मधुमक्खी के लिए नहीं भारत को माँ समझ इसको स्वाधीन कराने को चूमा था।गुरू गोविन्द सिंह सरीखे लोगो ने अपने बच्चो को जिन्दा दीवार में मधुमक्खी के छत्ते के लिए नहीं भारत माता की आन बान और शान बचाने के लिए किया था। और महाराणा प्रताप ने भी घास की रोटी मधुमक्खी के छत्ते को बचाने के लिये नहीं बल्कि भारत को अपना जन्म देने वाली माता से भी ज्यादा प्यार और सम्मान देने के लिए
खाई थी। लेकिन विदेशी माता और भारतीय पिता की सन्तान राहुल को तो देश भारत माता के बजाये रानी माँ के लिये शहद इकट्ठा करने का टूल ही दिखाई देगा।और आश्चर्य नहीं की अन्दर खाने मन में यह बात भी हो की शहद इकट्ठा होने के बाद इसको बर्तन में भरकर कहीं ले भी जाया जा सकता है।
खाई थी। लेकिन विदेशी माता और भारतीय पिता की सन्तान राहुल को तो देश भारत माता के बजाये रानी माँ के लिये शहद इकट्ठा करने का टूल ही दिखाई देगा।और आश्चर्य नहीं की अन्दर खाने मन में यह बात भी हो की शहद इकट्ठा होने के बाद इसको बर्तन में भरकर कहीं ले भी जाया जा सकता है।
ठीक ही है पत्थर में भगवान देखने वाले को पत्थर के बने खम्बे से भी भगवान निकलते नजर आते है वर्ना भगवान के अस्तित्व को भी हलफ़नामा देकर नकारा जा सकता है।ऐसे ही लोगो के लिए तुलसी दास ने चार सौ साल पहले कहा था
जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी
अब हमारे जैसे मधुमक्खी की तरह मेहनत करने वाले लोग तो केवल ईश्वर से इन लोगो को सद्बुद्धि देने की प्रार्थना ही कर सकते है।और यह कामना भी कि हमारा लाया और कमाया हुआ शहद खाये कोई भी लेकिन कम से कम देश में ही रहे और देश के काम आये।
और अंत मे
उसी के दम से रौनक आपके बंगले मैं आयी है
इधर एक दिन की आमदनी का औसत है चवन्नी का
उधर लाखो में गाँधी जी के चेलो की कमाई है।
अजय सिंह "एकल "