प्रिय मित्रों ,
घपले, घोटाले और तमाम अनिश्चिंताओं के साल २०१३ के बीतने के साथ ही देश और देशवासिओ के लिए एक अच्छा समय आने के असार बनने लगे है . हाँलाकि चुनाव तो पाँच राज्यो में हुये है लेकिन चर्चा चार की है क्योंकी मिजोरम के चुनाव में विपक्षी दलो ने कांग्रेस को वहाँ वॉक ओवर दे दिया था इसलिये मध्य प्रदेश ,राजस्थान ,छत्तीसगढ़ और दिल्ली के चुनावोँ पर पूरे देश कि निगाह रही। और निगाह रही भाजपा के प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ,प्रधान मंत्री पद के खानदानी उम्मीदवार राहुल गाँधी और अन्ना कि आंधी से निकले हुये अरविन्द केजरीवाल पर ।
साल के अंतिम सप्ताह में अरविन्द केजरीवाल कि आम आदमी पार्टी के सत्ता नसीन हो जाने से कम से कम दिल्ली में तुरन्त चुनाव कि सम्भावना कम हो गई और जनता को कुछ राहत मिली और साथ ही "आप " पार्टी का भी इम्तिहान शुरू हो गया इससे अब लोकसभा चुनाव में अरविन्द यह नहीं कह सकेंगे कि हमको प्रूव करने का मौका नहीं मिला। अरविन्द कि पार्टी ने जिस तरह की तमाम दुविधाओं और परिस्थितयों में दिल्ली के मुख्यमन्त्री का पद स्वीकार कर किया है उसके लिये मैं तो यही कह सकता हूँ "इतने रंग तो न बदले होंगे गिरगिट के भी बाप ने, हद करदी "आप" ने" .
दूसरे साल के शुरू होते ही देश के प्रधान मंत्री जी ने अपना मौन व्रत तोड़ कर एक फड़कती हुई प्रेस कान्फरेंस अति उत्साही नेता मनीष तिवारी के साथ सम्पन्न कर दी और एक नया रिकॉर्ड बनाया १० साल में तीन बार प्रेस से मुखातिब होने का आम जनता और प्रेस दोनों ने मौन मोहन सिंह जी को मुँह खोलने के लिए धन्यवाद दिया मगर बात यही तक होती तो ठीक था लेकिन कान्फरेंस में किंग बने सिंह साहब अपने प्रधान मंत्री के
रोल से ऊबे हुए और सोने के पिंजरे से चार महीने बाद वापस आने को बेताब दिखे और जनता को आश्वाशन दिया कि दस साल के कुशासन से बाहर आने का वक्त अब दूर नहीं और अगले चार-पाँच महीनो में आयेगा पता नहीं उनका इशारा क्या था पर जनता को लगा कि यह भी वही कह रहे जो देश कि जनता कह रही है कि अब सुख चैन मोदी के प्रधान मंत्री बनाने के बाद ही मिलेगा और ऐसा होगा पाँच महीने बाद.और मजे कि बात यह है की प्रधान मंत्री के आर्थिक सलाहकार कौशिक बासु ने २०१२ में भी यही कहा था बस इसको स्वीकार करने में २ साल लग गए चलो "देर आएद दुरुस्त आएद".
देश कि राजनीत में महात्मा गांधी से ज्यादा बिकाऊ नाम और कोई नहीं है इसलिए समय समय पर इसका उपयोग होता रहता है, कभी भ्रष्टाचार मिटाने कि कसम खाने में और कभी सत्ता में बैठे लोगो को हटाने में. सो
आज भाजपाइयों ने भी "आम आदमी" की सफ़ेद टोपी का जवाब भाजपाई "केसरिया टोपी" लगा कर राज घाट में धरना देकर दिया. कुछ आरोप प्रत्यारोप हुये फ़ोटो खींची नाश्ता हुआ और बात ख़तम. दिल्ली कि हांड कपाऊ सर्दी में धूप खाने कि इससे बेहतर जगह हो ही नहीं सकती जहाँ हरियाली में बैठे चाय पीते हुये फोटो शेशन करवाये टीवी में भी आये और अगले दिन अख़बार में भी छप जाये. इसे कहते है आम के आम और गुठलियों के भी दाम और भाजपाइयों से ज्यादा इसे कौन समझता है.
और अंत में
डाला तो मत आप को ,किन्तु न आया काम
उलटे दिल्ली में बढे अब झाडू के दाम
अब झाड़ू के दाम बढ़ा कर बेचे बनिए
होकर मालामाल कहे झाड़ू को चुनिए
कहे केजरीवाल जपो झाड़ू की माला
होगा देश त्रिशुंक वोट जो हम को डाला
अजय सिंह "एकल"