दोस्तों ,
अभी दो महीना भी नहीं हुआ मोदी सरकार पार्ट २ का, अभी अभी तो अमित शाह गृह मन्त्री बने है, लोक सभा का भी पहला सेशन चल ही रहा है लेकिन देश के कथित बुद्ध जीविओं का विधवा विलाप शुरू हो गया। मोदी पार्ट १ में भी ऐसा ही नाटक कथित बुद्ध जीविओं ने अपने पुरुस्कार वापस करके शुरुवात की थी। थोड़े दिनों में शांत होना पड़ा क्योंकि जनता ने कोई खास तब्बजो नहीं दी। फिर जैसे तैसे करके संतोष कर लिया चलो किसी तरह रह लेंगे इस देश में हालाकिं दर तो बहुत लगा नसरुद्दीन शाह जैसे लोगो को । लेकिन मोदी कौन सा दुबारा आने वाले है यह सोच कर संतोष कर लिया । फिर भी कोई चूक न हो जाये इसलिए सब मिल गए चुनाव लड़ने के लिए। लेकिन अफ़सोस जनता ने इन लोगो को अंगूठा दिखा दिया। और मोदी सरकार को प्रचंड बहुमत मिल गया। सारे अरमान धराशाइ हो गए।
अब जब सारी उम्मीद टूट गयी तो फिर दुबारा नाटक शुरू करने के अलावा कोई विकल्प नहीं सूझ रहा है । डर
लग रहा है की अगले पांच सालो में अस्तित्व ख़तम न हो जाये। इस लिए इसी को विकल्प मान कर कार्यवाही शुरू कर दी है शायद लोग बिचारा समझ कर ही कुछ दया दिखाए और सहानभूति से कोई चुनाव जितने का जुगाड़ लग जाये। दिल्ली के चुनाव पास है और केजरीवाल सरकार आखरी सांसे गिन रही है तो यह आखरी दांव चलने में भी क्या बुराई है।
पूरे देश में ४९ लोगो को माब लिंचिंग को लेकर एक विशेष समुदाय के लोगो की चिंता हो रही है। अब क्या करे तो कही ममता की जय न बोलने पर पिटाई कर रहे है और कही कही तो खून खराबा करने में भी कोई परहेज नहीं। इन लोगो को भी पता है आगे क्या होने वाला है। जिस तरह का कड़ा रुख मोदी सरकार ने आतंकवादिओं और उनकी मदद करने वालो पर अपनाया है तो अब वह दिन भी दूर नहीं की देश में प्रपंच करने वालो और किसी भी तरह से माहौल गन्दा करने वालो की खैर नहीं रहने वाली है।
इसलिए अच्छा है संभल जाये आदते सुधार ले या फिर देश के बाहर का रुख करले नहीं तो इसके अगले सीन में "हाय राम मैं क्या करू" के अलावा और कुछ नहीं हो सकेगा। समय रहते चेतना जरुरी है। और सोच में परिवर्तन भी।
अजय सिंह "एकल"