दोस्तों ,
पानी और हवा ईश्वर की ऐसी देन है जिसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। लेकिन आज के युग में शुद्ध हवा और शुद्ध पानी दोनों ही मिलना मुश्किल हो गया है। आज से बीस -पच्चीस साल पहले तक जब बोतल वाला पानी और आरओ वगैहरा की उपलब्ध नहीं था तो नलों में सप्लाई होने वाला पानी सभी लोग निश्चिंत हो कर पी लेते थे। परन्तु अब जो लोग आर्थिक रूप से संपन्न है उन की कोशिश है की बोतल का पानी ही पिया जाये। ताकि अशुद्ध पानी पीने के खतरे से बचा जा सके।
पिछले बीस -तीस वर्षो में देश ने तकनीकी क्षेत्र में बहुत उन्नति की है। खास तौर पर सॉफ्टवेयर ,अन्तरिक्ष , ऑटोमोबिल इत्यादि में भारत ने विश्व में अपना स्थान बनाया है। किन्तु कुछ सेक्टर जैसे कृषि , ऊर्जा इत्यादि में हम उस मुकाबले में उन्नति नहीं कर पाए है। हवा ,पानी जैसे कई अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र तो बिलकुल ही पिछड़ गए है। नतीजा पर्यावरण और शुद्व पानी की समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है। भारत सरकार ने अब इसके लिए नए सिरे से युद्धस्तर पर प्रयास शुरू कर दिया है। उम्मीद की जानी चाहिए की स्थितियों में शीघ्र ही परिवर्तन देखने को मिलेगा।
पानी स्वास्थ्य के लिए तो महत्वपूर्ण है ही ,इस क्षेत्र में रोजगार की भी असीम सम्भावनाये है। उपयुक्त रणनीतिक योजना बना कर काम करने से अगले पांच वर्षो में दस लाख से ज्यादा रोजगार एवं दस हजार से ज्यादा उद्दयम इस क्षेत्र में स्थापित हो सकते है। यह प्रयास अर्थव्यस्था के फाइव ट्रिलियन के लक्ष्य के साथ ही यूनाइटेड नेशन्स के सेल्फ डेवलपमेंट गोल २०३० को भी प्राप्त करने में सहायक होगा। प्रधान मंत्री मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के लाल किले के प्राचीर से हुए स्वतंत्रता दिवस के भाषण में जल मंत्रालय के द्वारा किये जाने वाली एक अति महत्वाकांक्षी योजना "वर्ष २०२४ तक हर घर में नल" पहुंचाने की घोषणा की है और इसके लिए तीन लाख पचास हजार करोड़ का बजट भी दे दिया है। इन लक्ष्यों की तय समय में प्राप्ति हो इसके लिए योजनाबद्ध तरीके सभी आवश्यक पहलूओं पर काम करना होगा। यह जरुरी है की जब हर घर मे नल पहुंचे तो उसमे निकलने वाला पानी पीने लायक हो। यह बहुत बड़ा काम है जिसको अंजाम देने के लिए कुशल एवं प्रशिक्षित लोगो की बड़ी टीम की जरुरत पुरे देश में होगी। अभी देश में पानी के क्षेत्र में कौशल विकास प्रशिक्षण का बहुत अभाव है। पीने के पानी के शुद्धिकरण और इसके वितरण प्रबंधन के लिए जिस तरह का कौशल चाहिए उसके लिए केवल काम चलाऊ अनौपचारिक प्रशिक्षण की व्यस्था है। नतीजतन हम आज भी वर्षो पुरानी तकनीक का प्रयोग पानी के शुद्धि करण और वितरण के लिए कर रहे है।
वर्ष २०१४ में मोदी सरकार के आने के बाद से ही इस दिशा काम करना शुरू हो गया था। माननीय प्रधान मन्त्री ने एक बड़े व्यापारिक प्रतिनिधि मंडल जिसमे नेशनल स्किल डेवलपमेंट कार्पोरेशन के प्रतिनिधी भी शामिल थे के साथ 2015 में फ्रांस, जर्मनी कनाडा और अमेरिका चार देशो की यात्रा की थी। इस यात्रा में कनाडा के प्रसिद्ध फ्लेमिंग कॉलेज जो पानी से सम्बन्धित प्रशिक्षण का प्रतिष्ठित केंद्र है, के साथ एक ऍम ओ यू साइन हुआ था। पानी से सम्बंधित तकनीकी के लिए कनाडा दुनिया का एक अग्रणी देश है इस नाते से भारत सरकार की यह एक सराहनीय कोशिश थी। लेकिन दुर्भाग्य से पांच साल बीत जाने के बाद भी इसमें कोई प्रगति नहीं हो पायी है।
अब समय आ गया है की इस दिशा में योजना बद्ध तरीके से कार्य किया जाये। इसके लिए एक कार्य दल (टास्क फ़ोर्स) बना कर पानी के क्षेत्र में किये जाने वाले सभी कामों की सूची बनाना ,उन कामो को करने के लिए जिस तरह के कौशल विकास की आवश्यकता है उसका निर्धारण करना। काम को ठीक ढंग से अंजाम देने के लिए पूर्व योग्यता का निर्धारण और इंडस्ट्री के साथ मिलकर पाठ्यक्रम बनाना कार्यदल का प्रथम कार्य होगा। इसके बाद कौशल प्रशिक्षण के लिए विशेषज्ञ शिक्षक (मास्टर ट्रेनर्स) तैयार करना और हर प्रदेश में आवश्यक प्रयोगशालाओं का निर्माण एवं प्रबन्धन करना। तत्पश्चात मास्टर ट्रेनर्स की सहायता से पूरे देश की नगर पालिकाओं और जल विभाग के अधिकारिओं का प्रशिक्षण करके नियमित रूप से इनका समय समय पर परिक्षण (ऑडिट) करके पूरी पारदर्शिता के साथ इस सूचना का वेब साइट पर प्रसारण होने की जिम्मेदारी भी कार्यदल की होनी चाहिए। जिन कामों को किया जा रहा है उसकी गुणवत्ता बनाये रखने की जिम्मेदारी जिन लोगो की है उन अधिकारिओं की जवाब देही तय करना और उसमे कमी होने पर उनसे जवाब मांगे जाने की व्यस्था हो जाने पर आम आदमी का व्यस्था में विश्वास पुनर्स्थापित होगा। और देश के लोगों का नगर पालिकाओं द्वारा वितरित पानी पीकर भी स्वास्थ ठीक रहेगा इसे सुनिश्चित कर सकेंगे।
अजय सिंह "एकल"