प्रिय देशवासियो ,
हम तो बदनाम हुए ऐसे इस ज़माने में ,
तुम को लग जाएँगी सदिया हमें भुलाने में
- "पदम् भूषण श्री गोपाल दास नीरज "
हम तो बदनाम हुए ऐसे इस ज़माने में ,
तुम को लग जाएँगी सदिया हमें भुलाने में
- "पदम् भूषण श्री गोपाल दास नीरज "
मुन्ना हो या मुन्नी बदनाम कोई भी हो सकता है .लेकिन मजा इस बात का है की बदनामी में मिला क्या.कवि नीरज कहते है की बदनाम भी होंगे तो क्या नाम ना होगा यानि बदनामी में भी कम से कम नाम तो होता ही है ,जो और ज्यादा सयाने है वो बदनाम हो के झंडू बाम का विज्ञापन झटक लेते है जैसा मुन्नी ने किया . लेकिन जो वाकई में सयाने है उनकी कमाई लाखो ,करोडो में नहीं अरबो में है चाहे देश ने इसकी कोई भी कीमत चुकाई हो.
खेल की बिसात बिछ गयी है ,खेल गाँव आबाद हो गया है कुछ साँप पहचान लिए गए है और उनके लिए तो सपेरे भी आगये है, लेकिन आस्तीन के साँपो का क्या होगा ?जिनसे खेल ख़तम होने के बाद निपटने का आश्वाशन प्रधान मंत्री से लगा कर अन्य उच्च अधिकारिओ ने इस देश को दिया है .शायद ठीक ही कहा था शहीदे आजम भगत सिंह ने "गोरे अंग्रेजो से तो एक बार ही निपटना है ,एक बार चले गए तो बात ख़तम लेकिन काले अंग्रेजो से कैसे निपटेंगे जो हमारे बीच में ही है और जिनके पैरोकार भी हमारे लोग ही होंगे" .लेकिन कोई तो बात है जो मिटती हस्ती नहीं हमारी .अगर बाबर,गोरी और गजनी जैसे सैकड़ो लोगो के मिल कर लूटने पर भी हम बने हुए है तो कोई तो बात है . लेकिन ये जीना भी कोई जीना है लल्लू की एक तरफ तो स्थिती है लोग ज्यादा खा कर मर रहे है और दूसरी तरफ लोग भूख से .लेकिन चलो हम तो काम चला ही लेंगे क्योंकि ऐसे ही जीने के आदी है , लेकिन तेरा क्या होगा कालिया ?ये कालिया और कोईं नहीं बस देश में फैला भ्रष्टाचार और भाई भतीजा वाद है जिस वजह से कामन वेल्थ गेम की अर्गेनिजिंग कमेटी में केवल मुन्ना के पास और दूर के लोगो को जगह मिली और जिसका परिणाम हुआ की योजना लागत १० गुना बढ़ गयी और तिस पर भी दुनिया भर में थू थू .पर चलो अंत भला तो सब भला और अब बात बन जाएगी ऐसी उम्मीद है .
जब बारात आई तो बरातियो में कुछ मामा टाइप लोग भी स्वाभविक थे ,अब जब बारात UK से आए तो आस्ट्रेलिया के लोग तो मामा ही हुए ना ,इसिलए इन लोगो ने सबसे ज्यादा उधम काट कर ये दिखा दिया कि केवल चमड़ी गोरी होने से आदमी को तमीज नहीं आती ,बल्कि काले लोग तमीज दार भी होते है ओर सहनशील भी साथ ही घर आए लोगो कि इज्जत भी करते है वर्ना इन्होने तो केवल वाशिंग मशीने तोड़ी यहाँ के लोग तो इन्हें ही तोड़ देते .खैर बरातियो को घर बुलाने के बाद तो हिन्दुस्तानी साथ आए कुत्ते को भी उतनी ही इज्जत देते है जितनी मनुष्यों को ,तो एक बार फिर मेहमान नवाजी का रिकॉर्ड हिन्दुस्तानियो ने दुनिया के सामने रखा.
कम से कम अगले खेलो में ऐसा नहीं होगा इस उम्मीद के साथ 2014 में होने वाले खेलो के लिए हमारी शुभ कामनाए.
कम से कम अगले खेलो में ऐसा नहीं होगा इस उम्मीद के साथ 2014 में होने वाले खेलो के लिए हमारी शुभ कामनाए.
मेहमान नवाजी में तो हमारा वैसे भी कोई सानी नहीं ,हम खाने में भी तेज और खिलाने में भी .गेम की तैयारी में ही इतना खा गए की सात पीढ़िया याद करेंगी लेकिन बढ़िया बात ये की मेहमानों को ऐसा खिलाया की उनकी भी पीढ़िया बहुत दिनों तक याद करेंगी .चलिए खेल ख़तम होने के बाद तो वैसे भी यादे ही रह जाती है .थोड़ी अच्छी थोड़ी ख़राब .
सवाल ये नहीं है की लोग हमारे बारे में क्या सोचते है ,सवाल ये है की हम अपने बारे में क्या सोचते है.यदि हम ही अपने आत्म गौरव की राष्ट्र गौरव की बात करने में संकोच करते है तो फिर आप हूपर से कैसे उम्मीद कर रहे है की वो आपके बारे में अच्छा सोचेगे . और जब ओ सी ,चेअरमेन कलमान्द्दी ओर खेल मंत्री गिल आपस में तब ही मित्र बनते है जब मुसीबत से निपटना हो, नहीं तो मोर और साँप के जैसे दोस्ती ,वैसे ये केवल इनके लिए ही नहीं और भी बहुत से लोग ऐसे है जैसे मुख्मंत्री शीला दीक्षित ओर लेफ्टिनेंट गवर्नर तजेंद्र खन्नाजी ,बारात बिदा हुई भी नहीं लग गए हिसाब लगाने कि क्रेडिट किसको मिलेगा ,हमको मिले तो ठीक नहीं तो मेरे सामने दूसरा कैसे ले जाएगा . देश की जनता जो बिचारी मूक दर्शक ही बनी रही खेलो के पहले भी ,खेलो के दौरान भी ओर खेलो के बाद भी क्योंकि खेलने में मजा ही तब है जब ताली बजाने वाली भीड़ भी हो ,तो हमने वही किया भी पर जिनके लिए ताली बजाते है उनको भी तो सोचना है की सबकुछ अपने लिए ही करना है या जो अँधेरे में बैठे है उन पर भी नजर डालेंगे और उनके भी जीने का इंतजाम करेंगे.
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तो भई अब जब २०२० के ओलंपिक का दावा भी करने की बात शुरू हो गई है ,कम से कम इतना निश्चय करे की भारत की वो तस्वीर पेश करेंगे दुनिया के सामने की अब इस देश में कोई भूखा नहीं सोता है ,कोई अनपढ़ नहीं है और सरकार भी केवल बलवानो की नहीं बल्कि आम आदमी की है .देश में श्रम करने वालो की इज्जत होती है ,बेईमानो की नहीं .तब ही हम पुनः विश्व गुरु के पद पर इस महान देश को प्रतिष्ठित कर पाएंगे .आइये हम सब मिलकर दशहरे के पावन पुनीत पर यह प्रण करे और देश में राम राज्य की पुनः स्थापना का काम शुरू करे.
नवरात्री एवं दशहरे की शुभकामनाओ सहित
अजय सिंह "एकल"
2 comments:
Awesome post. Only after reading this you think of that old saying..."word power" but most importantly....u say what you think. Impeccable. Love you sir.
jHAPPEE SING: DickShunNari
VohKabulRe:> WAR DE,PA WER
SABda+Kosh iS noW shABda-Kripaan+KirTan
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