दोस्तों,
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एक बात और जो निश्चित रूप से होने वाली है वोह यह की जो लोग सोचते थे की भगत सिंह पडोसी के यहाँ पैदा हो तो ठीक है उन्हें पता चलेगा की अब भगत सिंह उनके घर में ही जन्म ले चुके है .जिस उत्साह से विद्यार्थी और दुसरे यंग प्रोफेसनल इस आन्दोलन में सक्रीएता से भाग ले रहे है उस से तो यही लग रहा है .
हांलाकि अन्ना, गाँधी की तरह न तो पढ़े लिखे है और न ही उतने अमीर परिवार से है लेकिन जिस साफगोई से बात कहते है और दलील देते है वोह निश्चित ही काबिले तारीफ है .उनकी यह कमजोरी ही उनकी ताकत भी है जो आन्दोलन को आम आदमी से जोड़ने में समर्थ हुई है.
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स्वतंत्रता आन्दोलन के बाद जय प्रकाश नारायण के आन्दोलन ने जिस तरह युवाओं को आंदोलित किया था अन्ना के भ्रष्टचार विरोधी आन्दोलन का प्रभाव उस से कम नहीं है .एक बात जो दोनों में कामन है वोह है काग्रेस का गाँधी परिवार .उस आन्दोलन में इन्द्रा गाँधी शीर्ष पर थी और इसमें सोनिया गाँधी है ,उसमे ढिल्लो जैसे लोग इन्द्रा को इंडिया बताते थे तो इसमें स्वयं मनमोहनसिंह जी कुछ उसी सुर में गुणगान करते है और सोनिया तो क्या राहुल के लिए कुर्सी छोड़ने की घोषणा प्रेस कान्फेरेंस में कर रहे है .
खैर हम भारत वासी अब चाहे भारत में रहते है या फिर दुनिया में कही और , सब इस आन्दोलन से मानसिक और शारीरिक रूप से जुड़ गए है ,और ये इस धरती की ताकत ही है जो "सत्यमेव जयते " का घोष करती है अत: इसका इस आन्दोलन का परिणाम भी अच्छा होगा सच जीतेगा और ये ही देश हित में होगा ,जन हित में होगा ऐसा हम सब का विश्वास है.
भारत माता की जय
अजय सिंह"एकल"