Thursday, April 7, 2011

अकेला चना

 दोस्तों,

बचपन में  पढ़ा था की अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता ,पढने के बाद जिन्दगी  की  व्यस्तताओ में सोचने का मौका ही नहीं मिला की वास्तव में यह सही  था या नहीं ,परन्तु अन्ना हजारे के अनशन पर बैठने के बाद तो यह पक्का हो गया की चना जब भी भाड़ फोड़ेगा तो  वोह अकेला ही होगा .चाहे गाँधी हो ,विवेकानंद या सुभाष चन्द्र बोस सब अकेले ही चले थे घर से ,बस लोग मिलते गए काफिला बनता गया .

अन्ना की टीम के अरविन्द केजरीवाल  समय पूर्व अवकाश प्राप्त IRS अधिकारी है जिन्होंने भ्रस्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए सरकार की नौकरी छोड़ी ,श्रीमती किरण बेदी एक Ex.IPS अधिकारी है  और   ये उन हजारो-लाखो देशवाशियो की नुमाइंदगी अन्ना हजारे के आन्दोलन में कर रहे है जिन्होंने देश से भ्रष्टाचार ख़तम करने की मुहीम चलाई हुई है. इस आन्दोलन का परिणाम क्या निकलेगा ,भ्रस्टाचार ख़तम हो जायेगा  या नहीं यह तो समय बताएगा लेकिन इतना तो निश्चित है लोगो  का   आत्म विश्वाश बढेगा और भ्रस्टाचार के खिलाफ जागरूकता बढ़ेगी .इस से शायद कुछ नेताओ और अफसरों  की मरी हुई आत्माए भी जी उठे .


एक बात और जो निश्चित रूप से होने वाली है वोह यह की जो लोग सोचते थे की भगत सिंह पडोसी के यहाँ पैदा हो तो ठीक है उन्हें पता चलेगा की अब भगत   सिंह उनके घर में ही जन्म ले चुके है .जिस उत्साह  से विद्यार्थी और दुसरे यंग प्रोफेसनल इस  आन्दोलन में सक्रीएता से  भाग ले रहे है उस से तो यही लग रहा है .


हांलाकि अन्ना, गाँधी की तरह न तो पढ़े लिखे है और न ही उतने अमीर परिवार से है लेकिन जिस साफगोई से बात कहते है और दलील देते है वोह निश्चित ही काबिले तारीफ है .उनकी यह कमजोरी ही उनकी ताकत भी है जो आन्दोलन को आम आदमी से जोड़ने में समर्थ हुई है. 


भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुए    इस आन्दोलन और आजादी के आन्दोलन की तुलना करने पर ऐसा लगता है की यह आन्दोलन ज्यादा  मुश्किल है क्योकि यहाँ पक्ष और विपक्ष दोनों में अपने ही लोग है और वोह कब अपने रिश्तेदार की तरफ से छद्म वकालत शुरू करदेंगे  और कब  पहचाना जायेंगे  और जब तक पहचान में आए तब तक   कितना नुकसान करेंगे  इसका पूर्व अनुमान लगाना  मुश्किल  है . लेकिन खैर यह गणित तो उन लोगो के लिए है जो दर्शक है या विचारक है ,जो योद्धा होते है उन्हें तो लड़ने से फुर्सत ही  तब मिलती है या तो जब जीत  जाते है या हार जाते है . 


स्वतंत्रता आन्दोलन के बाद जय प्रकाश नारायण के आन्दोलन ने जिस तरह युवाओं को आंदोलित किया था अन्ना के भ्रष्टचार विरोधी आन्दोलन का प्रभाव उस से कम नहीं है .एक बात जो दोनों में कामन  है वोह है काग्रेस का गाँधी परिवार .उस आन्दोलन में इन्द्रा गाँधी शीर्ष पर थी और इसमें सोनिया गाँधी है ,उसमे ढिल्लो जैसे लोग इन्द्रा को इंडिया बताते थे तो इसमें स्वयं मनमोहनसिंह जी कुछ उसी सुर में गुणगान करते है और सोनिया तो क्या राहुल के लिए कुर्सी छोड़ने की घोषणा प्रेस कान्फेरेंस में कर रहे है .


खैर हम   भारत वासी अब चाहे भारत में   रहते है या फिर   दुनिया   में कही  और , सब इस आन्दोलन से मानसिक और शारीरिक रूप से जुड़ गए है ,और ये  इस धरती  की ताकत ही है  जो "सत्यमेव  जयते " का घोष करती है  अत: इसका इस आन्दोलन का  परिणाम भी अच्छा होगा सच जीतेगा और ये ही देश हित में होगा ,जन हित में होगा ऐसा  हम सब का विश्वास है.


भारत माता की जय 


अजय  सिंह"एकल"  

Saturday, April 2, 2011

बलि हारी गुरु आपने....

दोस्तो,ं
 दरअसल क्रिकेट के बारे में मेरा ज्ञान भी किसी आम भारतीयों  के जैसा ही है.इसलिए  जब भी  क्रिकेट का  जिक्र होता है  तो सचिन तेंदुलकर ,महेंद्र सिंह धोनी और दूसरे टीम मेम्बर का ही नाम ध्यान आता था.आज फ़ाइनल मैच में पहेली बार साउथ अफ्रीका के क्रिकेट खिलाडी और भारतीय टीम के कोच और     गुरु गैरी क्रिस्टन का नाम आया तो पता चला की सक्षम गुरु क्या नहीं करवा सकता है .परदे के पीछे रह कर बिना किसी लालच के गैर्री आपने जो काम किया है हम भारतीय आपके आभारी है और आने वाले अनेक वर्षो तक आपका गुण गान करते रहेंगे .

२८ साल के बाद भारत को यह गौरव  शील जीत हासिल हुई है भारत के १२१ करोड़ लोगो की तरफ से भारतीय टीम को बधाई  तथा कोच एवं गुरु गैरी का धन्यवाद .


मै तो केवल यह कहूँगा

गुरु गोविन्द दोनों      खड़े काके लागों पाएं
बलि हारी गैरी आपने वर्ड कप दिओ जिताय.

अनेक बधाई भारत को ,भारतीयों को और टीम भारत को ,

अजय सिंह "एकल"