प्रिय दोस्तों,
आपने ढपोर संख की कहानी तो सुनी ही होगी. अरे वही जो हमेशा दूना देने की बात करता है . लेकिन वोह आपसे वोह बात कभी नहीं करेगा जो व्याहारिक हो और संभव हो.नतीजा बड़ी-बड़ी बाते और काम ,बस यही मत पूछो(कहानी पढने के लिए यहाँ क्लिक करे) .चलो अगर आपने अबतक न देखा और सुना हो तो हम आपको बताते है . आज के अनेक राजनीतिज्ञ भी ढपोर संखी है. आपने जन लोकपाल बिल माँगा तो उन्होंने संवैधानिक शक्तिओ से युक्त शक्तिशाली जन लोकपाल बनाने का वादा कर के जनता को ऐसा सपना दिखा कर बात टाली की अब बस करते रहो इंतिजार .क्योंकि इसकी संवेधानिक प्रक्रिया इतनी लम्बी होगी की यह एक सत्र तो छोडिये ४ में भी होने वाला नहीं तब तक चुनाव आ जायेंगे फिर आसान होगा जनता के सामने जाना और यह कहना की हमने वादा तो कर दिया है लेकिन यह मिलीजुली सरकार में संभव नहीं तो हमें पूर्ण बहुमत दो फिर बनायेगे हम जन लोकपाल .बस फिर क्या अभी अगले तीन साल मौज मनाओ और अगले इलेक्शन को जीतने की भी तैयारी हो गयी .क्या आप अब भी राहुल गाँधी को प्रधान मंत्री बनने के लायक नहीं मानते ?आप अब भी अमूल बेबी समझते है ? अमूल बड़ा हो कर के अब मूल (मुख्य) हो गया है .
दुनिया में ४२ साल राजाओ की तरह रहने और २०० अरब डालर का बैंक बैलेंस बनाने वाले कर्नल गद्दाफी की दुनिया से बिदाई जिस तरह से हुई उस से पैसे को भगवान मानने और पैसे से सबकुछ हो सकता है यह समझने वालो की समझ में कुछ परिवर्तन आए और इस दिवाली हमारे देश के ए राजा और रानी की तरह रहने वाली कनिमोझी और इनके जैसे लोग जो एन कें प्रकारेण धन कमाने की चेष्टा में है उनको इस दीपावली में भगवान सद्दबुधी प्रदान करे मेरी येही प्रार्थना है . हालाँकि यह इतना आसान भी नहीं है क्योकिं विनाश के समय भगवान बुद्धि भी विपरीत कर देता है .यदि ऐसा नहीं होता तो जनाब सलमान खुर्शीद साहेब जो इस देश का कानून मंत्री भी है , देश के साथ विश्वाश घात करने वाले कॉर्पोरेट जगत के जेल में बंद दिग्गजों के साथ सहानभूति यह दलील दे कर न दिखाते की यदि इन लोगो को जेल में रखा गया तो देश में लोग व्यापार करने में डरेंगे और विदेशो से भी धन का प्रवाह रुकेगा.
लेकिन श्रीमान दिग्विजय सिंह जी की हस्ती तो वास्तव में अद्वितीय है और उनसे किसी भी सद्दाम या गद्दाफी को भी रस्क हो सकता है क्योंकि उनके ऊपर अन्तराष्ट्रीय दबाव थे और अपने देश में राजा होते हुए भी दुनिया में चौधराहट करने वाले अमरीका से डरते थे .लेकिन दिग्विजय सिंह को तो कोई डर नहीं . तभी तो कलमान्दी जो ८ महीने से जेल में बंद है की तरफदारी करते हुए उनकी जमानत की वकालत की है और किरण बेदी जिनके ऊपर हवाई टिकटों के किराये में ज्यादा पैसे वसूलने का आरोप लगा है और उन्होंने उसे वापस करने का भी वादा किया है के बारे में बयान दिया है की वापस करने से भी गुनाह कम नहीं होता ऐसे तो राजा भी वापस करके के गुनाह बन सकते है .वाह भाई वाह करवा दीजिये एक लाख छिहत्तर हजार करोड़ इस गरीब मुल्क के जहाँ अभी भी एक तिहाई जनता केवल एक बार का खाना जुटा पाती है.
आखिर अन्ना साहेब और उनकी टीम भी राजनीत और राजनीतिज्ञों के चक्कर में आ ही गए . और अब इन पर इतने दाग यह राजनीतिज्ञ खिलाडी लगा देंगे की थोड़े दिन बाद इनको भी लगने लगेगा की मेरे गुनाह भी उतने ही है जितने इनके तो फिर किस बात का झगड़ा . इसको कहते है राजनीत .अगर मेरी कमीज तेरी कमीज से ज्यादा साफ़ नहीं तो क्या ,मैं तेरी कमीज अपनी कमीज से ज्यादा गन्दी तो कर ही सकता हूँ . तो अन्ना जी अब आप राजनीत के अखाड़े में आगये है और ये तो है कोठरी काजल की ,इसमें कितना भी सयाना आदमी जाये मुश्किल ही है यदि बिना दाग के निकल आए .इसलिए तैयार हो जाइये अपनी कमीज को साफ़ करने के बजाये दूसरो की गन्दा करना शुरू कीजये तभी मुक्ति मिलेगी.
एक और दिवाली आ गयी लोग फिर खुशिया मनाएंगे ,बच्चे पटाके बजायेंगे लेकिन देश की ७० प्रतिशत जनता की आवाज कैसे मुल्क के रहनुमाओ तक पहुचाई जाये यह प्रश्न अभी भी मुहं फाड़े खड़ा है .
और अंत में मुल्क के रहनुमाओ से प्रार्थना :
अधेरे में जो बैठे है , नज़र उन पर भी कुछ डालो
अरे ओ रोशनी वालो
बुरे हम है नहीं इतने , ज़रा देखो हमें भालो
अरे ओ रोशनी वालो ...
कफ़न से ओढ़ कर बैठे है , हम सपनों की लाशो को
जो किस्मत ने दिखाए , देखते है उन तमाशो को
हमें नफ़रत से मत देखो , ज़रा हम पर रहम खालो
अरे ओ रोशनी वालो ...
हमारे भी थे कुछ साथी , हमारे भी थे कुछ सपने
सभी वो राह में छूटे , वो सब रूठे जो थे अपने
जो रोते है कई दिन से , ज़रा उनको भी समझा लो
अरे ओ रोशनी वालो ...
दीपावली की शुभकामनाओ सहित,
अजय सिंह "एकल"
2 comments:
Interesting, funny yet very serious, deep meanings, few so very true words said in such a way that will make it "so unforgettable"......
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इसको कहते है राजनीत .अगर मेरी कमीज तेरी कमीज से ज्यादा साफ़ नहीं तो क्या ,मैं तेरी कमीज अपनी कमीज से ज्यादा गन्दी तो कर ही सकता हूँ . तो अन्ना जी अब आप राजनीत के अखाड़े में आगये है और ये तो है कोठरी काजल की ,इसमें कितना भी सयाना आदमी जाये मुश्किल ही है यदि बिना दाग के निकल आए .इसलिए तैयार हो जाइये अपनी कमीज को साफ़ करने के बजाये दूसरो की गन्दा करना शुरू कीजये तभी मुक्ति मिलेगी. hahaha.... Anna tum sangharsh karo....hum tumhare ____ hai? (Fill in the blank with: Saath/Khilaf/kaun)
अच्छे प्रवाह में लिखते हैं आप! यही वस्तुत ब्लॉगिंग है!
वर्ड वैरीफिकेशन हटा दें तो बेहतर!
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