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लोग पहले हमाम में नंगे होते थे अब पब्लिक में है, कुछ की खुल गई है कुछ की खुलने वाली है।किसी को 10 करोड़ का फ्लैट 80 लाख में मिलता है तो किसी की कार के ड्राईवर कम्पनी में डायरेक्टर है। एक को करोड़ो रुपये बिना ब्याज बिना सिकुरिटी के एक नहीं कई सालो के लिए मिल जाते है तो एक के सेबों के बाग़ सात लाख सालना आमदनी के बजाये एक साल में पांच करोड़ की आमदनी करने लग गए है।कौन किसकी कहे इसलिए सब एक दूसरे की तारीफ में लगे है। दुनिया के बड़े-बड़े मैनेजमेन्ट कालेजो के लिए यह अच्छी केस स्टडी हो सकती है।कंपनी मुनाफा कैसे कमाती है ,कुशल व्यापारी 50 लाख की पूंजी लगा कर चाँद सालो में 300 करोड़ के मालिक कैसे बनते है।मुंबई की चाल में करोड़ो का व्यापर करने वाली कंपनी कैसे अपना दफ्तर चलाती है। देश के प्रधान मंत्री को पता ही नहीं चला कब उनकी नाक के नीचे ही पैसे पेड पर उगने लगगये और उनका अर्थ शास्त्र कब और कैसे फेल हो गया।
बचपन मैं पढाई गयी पंचतन्त्र की कहानिया केवल चरित्र निर्माण ही नहीं करती बल्कि आदमी की समझ भी बढाती है और जीवन जीने की कला सिखाती है।भारत के कानून मंत्री की पत्नी के द्वारा चलाये जाने वाले एनजीओ पर भ्रष्टाचार के खुलासे के बाद खुर्शिद साहेब को कुछ सूझ नहीं रहा है इसीलिए तो कभी हाई कमांड तो छोड़िये उनके के दामाद को क्लीन चिट भी दे रहे है और उनके लिए जान देने को भी तैयार है और कभी अरविन्द केजरीवाल को फरुखाबाद से सलामत वापस आने की चुनौती दे रहे है। आज तो उनके एक बयान ने सिद्ध कर दिया की उनका व्यहारिक ज्ञान बिलकुल जीरो है नहीं तो अरविन्द केजरीवाल को चीटी कह कर वह हाथी की तुलना अपने से नहीं करते।शायद उन्हें नहीं पता की चीटी अगर हाथी की सूँड में घुस जाये तो जान भी ले सकती है। दूसरी विशेषता यह भी की हाथी की पीठ पर चीटी नाच सकती है लेकिन हाथी ऐसा नहीं कर सकता। इसलिए मंत्री जी सावधान चींटियो ने झंडा उठा लिया है और आपका मंत्री पद खतरे मैं है।
भारत सरकार के इस्पात मंत्री तो अजब -गजब है कहते है आखिर केंद्र के मंत्री की भी कोई इज्जत है,हैसियत है।अब वोह घोटाला करे तो कम से कम 71 करोड़ का तो होना चाहिए क्या आपने 71 लाख का आरोप लगा दिया है। इतने रुपये का घोटाला तो हमारे यहाँ बाबू लोग कर लेते है। यानि मंत्री जी एनजीओ की बेमानी की मुकालफत करने के बजाय अपनी बेमानी के स्टैण्डर्ड का बखान कर रहे है।और अपने दोस्त का पूरी शिद्दत से साथ दे रहे है इसे कहते है मौसेरे भाई का रिश्ता।
मैंने तो बच्चो को कैरियर काउंसलिंग मे इंजिनियर, डाक्टर वगैरा की पढाई छोड़ कर किसी गडकरी जैसे के यहाँ ड्राईवर या बेनी बाबू जैसे लोगो के यहाँ बाबू बनने की सलाह देना शुरू कर दिया है।और अगर ज्यादा महत्वाकान्छी हो और आवारा गर्दी के अलावा कुछ नहीं कर सकते तो वाड्रा की तरह किसी खानदानी लड़की से शादी करने की योजना बनाना अबकी की जिन्दगी आराम से काटने के लिए अच्छा पेशा हो सकता है। नहीं तो पढ़ लिख कर नवीन जिंदल या मनोज जैसवाल जैसे किसी घोटाले बाज के यहाँ चंद रुपयों की नौकरी करते नजर आओगे। यदि घोटाले की जाँच हुई और जेल जाने को नौबत आयी तो गौतम दोषी या हरी नैअर की तरह तिहाड़ में भी जाना
पड़ सकता है। वैसे रावन की सेना में भर्ती खुले तो उसमे भी जाने का विचार अच्छा है।अब राम तो सतयुग मैं आएंगे और तब तक तो रावन का ही राज् रहने वाला है। इसलिए सबसे अच्छा कैरिअर और अकूत पैसे की वर्षा वही होगी।तो या तो उसे स्वीकार कर लो नहीं तो जिन्दगी भर पता ही नहीं चलेगा की आप महान भारत में रहते है या बनाना रिपब्लिक में जहाँ वोट देकर और अपने ऊपर टैक्स लगवा कर चोरो और लुटेरो की तिजोरी भरने की व्यवस्था करते है।
नव रात्रि एवं विजय दशमी की शुभ कामनाओ के साथ
अजय सिंह "एकल"