भारत के 11वे राष्ट्रपति कार्यकाल 25 जुलाई 2002 – 25 जुलाई 2007
संछिप्त जीवन परिचय
जन्म 15 अक्टूबर 1931
रामेश्वरम, ब्रिटिश राज (मौजूदा तमिलनाडु में, भारत)
मृत्यु 27 जुलाई 2015 (उम्र 83)
शिलोंग, मेघालय, भारत
रामेश्वरम, ब्रिटिश राज (मौजूदा तमिलनाडु में, भारत)
मृत्यु 27 जुलाई 2015 (उम्र 83)
शिलोंग, मेघालय, भारत
विद्या अर्जन सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली
मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी
पेशा प्रोफेसर, लेखक, वैज्ञानिक
एयरोस्पेस इंजीनियर
धर्म इस्लाम में पैदा हुए और जीवन भर मानवता के धर्म का पालन किया
वेबसाइट abdulkalam.com
अवुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 - 27 जुलाई 2015, रामेश्वरम, तमिलनाडु, भारत), जिन्हें डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम के नाम से जाना जाता है, भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे। वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जानेमाने वैज्ञानिक और अभियंता के रूप में विख्यात हैं।
प्रारंभिक जीवन
15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी गाँव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में
एक मध्यमवर्ग मुस्लिम परिवार में इनका जन्म हुआ| इनके पिता जैनुलाब्दीन न
तो ज़्यादा पढ़े-लिखे थे, न ही पैसे वाले थे। इनके पिता मछुआरों को नाव
किराये पर दिया करते थे। अब्दुल कलाम सयुंक्त परिवार में रहते थे। परिवार
की सदस्य संख्या का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि यह स्वयं पाँच
भाई एवं पाँच बहन थे और घर में तीन परिवार रहा करते थे। अब्दुल कलाम के
जीवन पर इनके पिता का बहुत प्रभाव रहा। वे भले ही पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन
उनकी लगन और उनके दिए संस्कार अब्दुल कलाम के बहुत काम आए।
विद्यार्थी जीवन
विद्यार्थी जीवन
पाँच वर्ष की अवस्था में रामेश्वरम के पंचायत प्राथमिक
विद्यालय में उनका दीक्षा-संस्कार हुआ था। उनके शिक्षक इयादुराई सोलोमन ने
उनसे कहा था कि 'जीवन मे सफलता तथा अनुकूल परिणाम प्राप्त करने के लिए
तीव्र इच्छा, आस्था, अपेक्षा इन तीन शक्तियो को भलीभाँति समझ लेना और उन पर
प्रभुत्व स्थापित करना चाहिए।' अब्दुल कलाम ने अपनी आरंभिक शिक्षा जारी
रखने के लिए अख़बार वितरित करने का कार्य भी किया था। कलाम ने 1958 में
मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि
प्राप्त की है। स्नातक होने के बाद उन्होंने हावरक्राफ्ट परियोजना पर काम
करने के लिये भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में प्रवेश किया।
1962 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में आये जहाँ उन्होंने
सफलतापूर्वक कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी भूमिका निभाई।
परियोजना निदेशक के रूप में भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान
एसएलवी 3 के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जिससे जुलाई 1980 में
रोहिणी उपग्रह सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया था।
व्यावसायिक जीवन
व्यावसायिक जीवन
1962 में वे 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' में आये।
डॉक्टर अब्दुल कलाम को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत का पहला
स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल
हुआ। 1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित
किया था। इस प्रकार भारत भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया।
इसरो लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम को परवान चढ़ाने का श्रेय भी इन्हें प्रदान
किया जाता है। डॉक्टर कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी (गाइडेड मिसाइल्स) को
डिजाइन किया। इन्होंने अगनि एवं पृथ्वी जैसी मिसाइल्स को स्वदेशी तकनीक से
बनाया था। डॉक्टर कलाम जुलाई 1992 से दिसम्बर 1999 तक रक्षा मंत्री के
विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव थे। उन्होंने
स्ट्रेटेजिक मिसाइल्स सिस्टम का उपयोग आग्नेयास्त्रों के रूप में किया। इसी
प्रकार पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर विस्फोट भी परमाणु ऊर्जा के साथ
मिलाकर किया। इस तरह भारत ने परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता प्राप्त
करने में सफलता अर्जित की। डॉक्टर कलाम ने भारत के विकासस्तर को 2020 तक
विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए एक विशिष्ट सोच प्रदान की।
यह भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे। 1982 में वे भारतीय
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में वापस निदेशक के तौर पर आये और
उन्होंने अपना सारा ध्यान "गाइडेड मिसाइल" के विकास पर केन्द्रित किया।
अग्नि मिसाइल और पृथवी मिसाइल का सफल परीक्षण का श्रेय काफी कुछ उन्हीं को
है। जुलाई 1992 में वे भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार
नियुक्त हुये। उनकी देखरेख में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल
परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों की सूची में
शामिल हुआ।
राजनीतिक जीवन
राजनीतिक जीवन
डॉक्टर अब्दुल कलाम भारत के ग्यारवें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। इन्हें
भारतीय जनता पार्टी समर्थित एन॰डी॰ए॰ घटक दलों ने अपना उम्मीदवार बनाया था
जिसका वामदलों के अलावा समस्त दलों ने समर्थन किया। 18 जुलाई 2002 को
डॉक्टर कलाम को नब्बे प्रतिशत बहुमत द्वारा 'भारत का राष्ट्रपति' चुना गया
था और इन्हें 25 जुलाई 2002 को संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की
शपथ दिलाई गई। इस संक्षिप्त समारोह में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी,
उनके मंत्रिमंडल के सदस्य तथा अधिकारीगण उपस्थित थे। इनका कार्यकाल 25
जुलाई 2007 को समाप्त हुआ। डॉक्टर अब्दुल कलाम व्यक्तिगत ज़िन्दगी में बेहद
अनुशासनप्रिय, शाकाहारी और मद्यपान से दूर थे । इन्होंने अपनी जीवनी
'विंग्स ऑफ़ फायर' भारतीय युवाओं को मार्गदर्शन प्रदान करने वाले अंदाज में
लिखी है। इनकी दूसरी पुस्तक 'गाइडिंग सोल्स- डायलॉग्स ऑफ़ द पर्पज ऑफ़
लाइफ' आत्मिक विचारों को उद्घाटित करती है इन्होंने तमिल भाषा में कविताऐं
भी लिखी हैं। यह भी ज्ञात हुआ है कि दक्षिणी कोरिया में इनकी पुस्तकों की
काफ़ी माँग है और वहाँ इन्हें बहुत अधिक पसंद किया जाता है।
यूं तो डॉक्टर अब्दुल कलाम राजनीतिक क्षेत्र के व्यक्ति नहीं हैं लेकिन राष्ट्रवादी सोच और राष्ट्रपति बनने के बाद भारत की कल्याण संबंधी नीतियों के कारण इन्हें कुछ हद तक राजनीतिक दृष्टि से सम्पन्न माना जा सकता है। इन्होंने अपनी पुस्तक 'इण्डिया 2020' में अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया है। यह भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर राष्ट्र बनते देखना चाहते हैं और इसके लिए इनके पास एक कार्य योजना भी है। परमाणु हथियारों के क्षेत्र में यह भारत को सुपर पॉवर बनाने की बात सोचते रहे हैं। वह विज्ञान के अन्य क्षेत्रों में भी तकनीकी विकास चाहते हैं। डॉक्टर कलाम का कहना है कि 'सॉफ़्टवेयर' का क्षेत्र सभी वर्जनाओं से मुक्त होना चाहिए ताकि अधिकाधिक लोग इसकी उपयोगिता से लाभांवित हो सकें। ऐसे में सूचना तकनीक का तीव्र गति से विकास हो सकेगा। वैसे इनके विचार शांति और हथियारों को लेकर विवादास्पद हैं। इस संबंध में इन्होंने कहा है- "2000 वर्षों के इतिहास में भारत पर 600 वर्षों तक अन्य लोगों ने शासन किया है। यदि आप विकास चाहते हैं तो देश में शांति की स्थिति होना आवश्यक है और शांति की स्थापना शक्ति से होती है। इसी कारण मिसाइलों को विकसित किया गया ताकि देश शक्ति सम्पन्न हो।"
मृत्यु
अब्दुल कलाम का बेथनी अस्पताल, शिलोंग में आई आई एम शिलोंग
में एक भाषण के दौरान हृदयघात (हार्ट अटैक) से निधन हो गया। इससे पूर्व वे
भारतीय प्रबन्धन संस्थान, शिलौंग में भाषण देने के दौरान बेहोश हो गए थे। आईआईएम शिलॉन्ग में लेक्चर के दौरान ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा,
जिसके बाद वह बेहोश होकर गिर पड़े। इसके बाद उन्हें तुरन्त शिलॉन्ग के
बेथानी अस्पताल लाया गया। अस्पताल में डॉक्टरों ने भरसक प्रयास किया लेकिन
तब तक उनका देहांत हो चुका था। देर शाम 7:45 बजे उन्हें मृत घोषित किया
गया।
पुरस्कार:
अवुल पकीर जैनुलबीदीन अब्दुल कलाम को भारत सरकार द्वारा १९८१
में प्रशासकीय सेवा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
डाक्टर कलाम को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से 1997 में
सम्मानित किया गया।[6] 18 जुलाई, 2002 को डाक्टर कलाम को नब्बे प्रतिशत
बहुमत द्वारा भारत का राष्ट्रपति चुना गया और उन्होंने 25 जुलाई को अपना
पदभार ग्रहण किया। इस पद के लिये उनका नामांकन उस समय सत्तासीन राष्ट्रीय
प्रजातांत्रिक गठबंधन की सरकार ने किया था जिसे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
का सम्रथन हासिल हुआ था। उनका विरोध करने वालों में उस समय सबसे मुख्य दल
भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी और अन्य वामपंथी सहयोगी दल थे। वामपंथी दलों ने
अपनी तरफ से 87 वर्षीया श्रीमती लक्ष्मी सहगल का नामांकन किया था जो
सुभाषचंद्र बोस के आज़ाद हिंद फौज में और द्वितीय विश्वयुद्ध में अपने
योगदान के लिये जानी जाती हैं।
व्यक्तिगत
व्यक्तिगत
डॉक्टर कलाम अपने व्यक्तिगत जीवन में पूरी तरह अनुशासन शाकाहार और ब्रह्मचर्य का पालन करने वालों में से हैं। ऐसा कहा जाता है कि वे क़ुरान और भगवद् गीता दोनों का अध्ययन करते हैं। कलाम ने कई स्थानों पर उल्लेख किया है कि वे तिरुक्कुरल का भी अनुसरण करते हैं, उनके भाषणों में कम से कम एक कुराल का उल्लेख अवश्य रहता है। राजनीतिक स्तर पर कलाम की चाहत है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की भूमिका विस्तार हो और भारत ज्यादा से ज्याद महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाये। भारत को महाशक्ति बनने की दिशा में कदम बढाते देखना उनकी दिली चाहत है। उन्होंने कई प्रेरणास्पद पुस्तकों की भी रचना की है और वे तकनीक को भारत के जनसाधारण तक पहुँचाने की हमेशा वक़ालत करते रहे हैं। बच्चों और युवाओं के बीच डाक्टर क़लाम अत्यधिक लोकप्रिय हैं। अंतिम समय तक आप भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के कुलपति रहे।
डॉक्टर कलाम ने साहित्यिक रूप से भी अपने शोध को चार उत्कृष्ट
पुस्तकों में समाहित किया है, जो इस प्रकार हैं- 'विंग्स ऑफ़ फायर',
'इण्डिया 2020- ए विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम', 'माई जर्नी' तथा 'इग्नाटिड
माइंड्स- अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया'। इन पुस्तकों का कई भारतीय तथा
विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। इस प्रकार यह भारत के एक विशिष्ट
वैज्ञानिक हैं, जिन्हें 30 विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डॉक्टरेट की
मानद उपाधि प्राप्त हो चुकी है।
इग्नाइटेड माइंडस: अनलीशिंग थे पावर विदीन इंडिया एपीजे
अब्दुल कलाम कृत (पेंग्विन बुक्स, 2003) ISBN 0-14-302982-7 इंडिया-
माय-ड्रीम एपीजे अब्दुल कलाम कृत (एक्सेल बुक्स, 2004) ISBN 81-7446-350-X
एनविजनिंग अन एमपावर्ड नेशन: टेक्नालजी फार सोसायटल ट्रांसफारमेशन एपीजे
अब्दुल कलाम कृत (टाटा मैकग्रा हिल पब्लिशिंग कंपनी लिमिटेड, 2004) ISBN
0-07-053154-4 आत्मकथात्मक
विंग्स ऑफ फायर: एन आटोबायोग्राफी ऑफ एपीजे अब्दुल कलाम एपीजे अब्दुल कलाम कृत, अरुण तिवारी (ओरियेंट लांगमैन, 1999) ISBN 81-7371-146-1 साइंटिस्ट टू प्रेसिडेंट एपीजे अब्दुल कलाम कृत (ज्ञान पब्लिशिंग हाउस, 2003) ISBN 81-212-0807-6 इटरनल क्वेस्ट: लाइफ ऐंड टाइम्स ऑफ डाक्टर अवुल पकिर जैनुलाआबदीन अब्दुल कलाम एस चंद्रा कृत (पेंटागन पब्लिशर्स, 2002) ISBN 81-86830-55-3 प्रेसिडेंट एपीजे अब्दुल कलाम आर के पूर्ति कृत (अनमोल पब्लिकेशन्स, 2002) ISBN 81-261-1344-8 ए पी जे अब्दुल कलाम: द विजनरी ऑफ इंडिया' के भूषण एवं जी कात्याल कृत (एपीएच पब्लिशिंग कार्पोरेशन, 2002) ISBN 81-7648-380-X
विंग्स ऑफ फायर: एन आटोबायोग्राफी ऑफ एपीजे अब्दुल कलाम एपीजे अब्दुल कलाम कृत, अरुण तिवारी (ओरियेंट लांगमैन, 1999) ISBN 81-7371-146-1 साइंटिस्ट टू प्रेसिडेंट एपीजे अब्दुल कलाम कृत (ज्ञान पब्लिशिंग हाउस, 2003) ISBN 81-212-0807-6 इटरनल क्वेस्ट: लाइफ ऐंड टाइम्स ऑफ डाक्टर अवुल पकिर जैनुलाआबदीन अब्दुल कलाम एस चंद्रा कृत (पेंटागन पब्लिशर्स, 2002) ISBN 81-86830-55-3 प्रेसिडेंट एपीजे अब्दुल कलाम आर के पूर्ति कृत (अनमोल पब्लिकेशन्स, 2002) ISBN 81-261-1344-8 ए पी जे अब्दुल कलाम: द विजनरी ऑफ इंडिया' के भूषण एवं जी कात्याल कृत (एपीएच पब्लिशिंग कार्पोरेशन, 2002) ISBN 81-7648-380-X
श्रद्धांजलि
बोलते-बोलते अचानक धड़ाम से
जमीन पर गिरा एक फिर वटवृक्ष
फिर कभी नहीं उठने के लिए
वृक्ष जो रत्न था
वृक्ष जो शक्तिपुंज था
वृक्ष जो न बोले तो भी
खिलखिलाहट बिखेरता था
चीर देता था हर सन्नाटे का सीना
सियासत से कोसों दूर
अन्वेषण के अनंत नशे में चूर
वृक्ष अब नहीं उठेगा कभी
अंकुरित होंगे उसके सपने
फिर इसी जमीन से
उगलेंगे मिसाइलें
शान्ति के दुश्मनों को
सबक सीखने के लिए
वृक्ष कभी मरते नहीं
अंकुरित होते हैं.
नए-नए पल्ल्वों के साथ
वे किसी के अब्दुल होते हैं किसी के कलाम
अलविदा .अलविदा ,अलविदा
बोलते-बोलते अचानक धड़ाम से
जमीन पर गिरा एक फिर वटवृक्ष
फिर कभी नहीं उठने के लिए
वृक्ष जो रत्न था
वृक्ष जो शक्तिपुंज था
वृक्ष जो न बोले तो भी
खिलखिलाहट बिखेरता था
चीर देता था हर सन्नाटे का सीना
सियासत से कोसों दूर
अन्वेषण के अनंत नशे में चूर
वृक्ष अब नहीं उठेगा कभी
अंकुरित होंगे उसके सपने
फिर इसी जमीन से
उगलेंगे मिसाइलें
शान्ति के दुश्मनों को
सबक सीखने के लिए
वृक्ष कभी मरते नहीं
अंकुरित होते हैं.
नए-नए पल्ल्वों के साथ
वे किसी के अब्दुल होते हैं किसी के कलाम
अलविदा .अलविदा ,अलविदा
अजय सिंह "एकल"
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