यह एक एतिहासिक सच्चाई है इसे पूरा पढ़े ।।
आदि-काल से क्षत्रियों के राजनीतिक शत्रु उनके प्रभुत्व को
चुनौती देते आये है। किन्तु क्षत्रिय अपने क्षात्र-धर्म के पालन से उन सभी
षड्यंत्रों का मुकाबला सफलतापूर्वक करते रहे है। क्षत्रियों से सत्ता
हथियाने के लिए भिन्न भिन्न प्रकार से आडम्बर और कुचक्रों को रचते रहे।
कुरुक्षेत्र के महाभारत में जब अधिकांश ज्ञानवान क्षत्रियों ने एक साथ
वीरगति प्राप्त कर ली, उसके बाद से ही क्षत्रिय इतिहास को केवल कलम के बल
पर दूषित कर दिया गया। इतिहास में क्षत्रिय शत्रुओं को महिमामंडित करने का
भरसक प्रयास किया गया ताकि क्षत्रिय गौरव को नष्ट किया जा सके। किन्तु जिस
प्रकार हीरे के ऊपर लाख धूल डालने पर भी उसकी चमक फीकी नहीं पड़ती, ठीक वैसे
ही क्षत्रिय गौरव उस दूषित किये गए इतिहास से भी अपनी चमक बिखेरता रहा।
फिर धार्मिक आडम्बरों के जरिये क्षत्रियों को प्रथम स्थान से दुसरे स्थान
पर धकेलने का कुचक्र प्रारम्भ हुआ, जिसमंे शत्रओं को आंशिक सफलता भी मिली।
क्षत्रियों की राज्य शक्ति को कमजोर करने के लिए क्षत्रिय इतिहास को कलंकित
कर क्षत्रियों के गौरव पर चोट करने की दिशा में आमेर नरेशों के मुगलों से
विवादित वैवाहिक सम्बन्धों (Amer-Mughal marital relationship) के बारे में
इतिहास में भ्रामक बातें लिखकर क्षत्रियों को नीचा दिखाने की कोशिश की गई।
इतिहास में असत्य तथ्यों पर आधारित यह प्रकरण आमजन में काफी चर्चित रहा
है।
वैसे तो कई कोशिशें की दुनिया ने हमें बदनाम करने के लिये लेकिन एक सच ये भी है।।
1 – अकबरनामा(Akbarnama) में जोधा का कहीं कोई उल्लेख या प्रचलन नही है।।(There is no any name of Jodha found in the book “Akbarnama” written by Abul Fazal )
2- तुजुक-ए-जहांगिरी /Tuzuk-E-Jahangiri(जहांगीर की आत्मकथा /BIOGRAPHY of Jahangir) में भी जोधा का कहीं कोई उल्लेख नही है(There is no any name of “JODHA Bai”Found in Tujuk -E- Jahangiri ) जब की एतिहासिक दावे और झूठे सीरियल यह कहते हैं की जोधा बाई अकबर की पत्नि व जहांगीर की माँ थी जब की हकीकत यह है की “जोधा बाई” का पूरे इतिहास में कहीं कोइ नाम नहीं है, जोधा का असली नाम {मरियम- उल-जमानी}( Mariam uz-Zamani ) था जो कि आमेर के राजा भारमल के विवाह के दहेज में आई परसीयन दासी की पुत्री थी उसका लालन पालन राजपुताना में हुआ था इसलिए वह राजपूती रीती रिवाजों को भली भाँती जान्ती थी और राजपूतों में उसे हीरा कुँवरनी (हरका) कहते थे, यह राजा भारमल की कूटनीतिक चाल थी, राजा भारमल जान्ते थे की अकबर की सेना जंसंख्या में उनकी सेना से बड़ी है तो राजा भारमल ने हवसी अकबर बेवकूफ बनाकर उस्से संधी करना ठीक समझा , इससे पूर्व में अकबर ने एक बार राजा भारमल की पुत्री से विवाह करने का प्रस्ताव रखा था जिस पर भारमल ने कड़े शब्दों में क्रोधित होकर प्रस्ताव ठुकरा दिया था , परंतु बाद में राजा के दिमाग में युक्ती सूझी , उन्होने अकबर के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और परसियन दासी को हरका बाइ बनाकर उसका विवाह रचा दिया , क्योकी राजा भारमल ने उसका कन्यादान किया था इसलिये वह राजा भारमल की धर्म पुत्री थी लेकिन वह कचछ्वाहा राजकुमारी नही थी ।। उन्होंने यह प्रस्ताव को एक AGREEMENT की तरह या राजपूती भाषा में कहें तो हल्दी-चन्दन किया था ।।
3- अरब में बहुत सी किताबों में लिखा है written in parsi (
“ونحن في شك حول أكبر أو جعل الزواج راجبوت الأميرة في هندوستان آرياس كذبة
لمجلس”) हम यकीन नहीं करते इस निकाह पर हमें संदेह है ।।
4- ईरान के मल्लिक नेशनल संग्रहालय एन्ड लाइब्रेरी में रखी
किताबों में इन्डियन मुघलों का विवाह एक परसियन दासी से करवाए जाने की बात
लिखी है ।।
5- अकबर-ए-महुरियत में यह साफ-साफ लिखा है कि (written in
persian “ہم راجپوت شہزادی یا اکبر کے بارے میں شک میں ہیں” (we dont have
trust in this Rajput marriage because at the time of mariage there was
not even a single tear in any one’s eye even then the Hindu’s God Bharai
Rasam was also not Happened ) “हमें इस हिन्दू निकाह पर संदेह है क्यौकी
निकाह के वक्त राजभवन में किसी की आखों में आँसू नही थे और ना ही हिन्दू
गोद भरई की रस्म हुई थी ।।
6- सिक्ख धर्म के गुरू अर्जुन और गुरू गोविन्द सिंह ने इस
विवाह के समय यह बात स्वीकारी थी कि (written in Punjabi font – “ਰਾਜਪੁਤਾਨਾ
ਆਬ ਤਲਵਾਰੋ ਓਰ ਦਿਮਾਗ ਦੋਨੋ ਸੇ ਕਾਮ ਲੇਨੇ ਲਾਗਹ ਗਯਾ ਹੈ “ ) कि क्षत्रीय , ने अब
तलवारों और बुद्धी दोनो का इस्तेमाल करना सीख लिया है , मत्लब राजपुताना
अब तलवारों के साथ-साथ बुद्धी का भी काम लेने लगा है ।।( At the time of
this fake mariage the Guru of Sikh Religion ” Arjun Dev and Guru Govind
Singh” also admited that now Kshatriya Rajputs have learned to use the
swords with brain also !! )ैै
7- 17वी सदी में जब परसि भारत भ्रमन के लिये आये तब उन्होंने
अपनी रचना (Book) ” परसी तित्ता/PersiTitta ” में यह लिखा है की “यह भारतीय
राजा एक परसियन वैश्या को सही हरम में भेज रहा है , अत: हमारे देव (अहुरा
मझदा) इस राजा को स्वर्ग दें ” ( In 17 th centuary when the Persian came
to India So they wrote in there book (Persi Titta)that ” This Indian
King is sending a Persian prostitude to her right And deservable place
and May our God (Ahura Mazda) give Heaven to this Indian King .ं
8- हमारे इतिहास में राव और भट्ट होते हैं , जो हमारा ईतिहास
लिखते हैं !! उन्होंने साफ साफ लिखा है की ” गढ़ आमेर आयी तुरकान फौज ,ले
ग्याली पसवान कुमारी ,राण राज्या राजपूता लेली इतिहासा पहली बार ले बिन
लड़िया जीत (1563 AD )।”मत्लब आमेर किले में मुघल फौज आती है और एक दासी की
पुत्री को ब्याह कर ले जाती है, हे रण के लिये पैदा हुए राजपूतों तुमने
इतिहास में ले ली बिना लड़े पहली जीत 1563 AD (In our Rajputana History
our History writers were “Raos and Bhatts ” They clearly wrote “Garh
Amer ayi Turkaan Fauj Le gyali Paswaan Kumari , Ran Rajya Rajputa leli
itihasa Pehlibar le bin ladiya jeet !! This means that when Mughal army
came at Amer fort their Emperor got married with persian female servant
of RajputsThe Rajputs who born for war And in history this was the first
time that the Rajput has got a victory without any violence
9-यह वो अकबर महान था जिसके समय मे लाखों राजपुतानी अपनी
इज्जत बचाने के लिये जोहर की आग में कूद गई ( अगनी कुन्ड में )कूद गई ताकी
मुघल सेना उन्हे छू भी ना सके , क्या उनका बलिदान व्यर्थ हे जो हम उस जलाल
उद्दीन मोहोम्मद अकबर को अकबर महान कहते हे सिर्फ महसूर कर माफ कर देने के
कारण भारतीय व्यापारीयों ने उसे अकबर महान का दर्जा दिया !!अब ये बात
बताईये की क्या हिन्दूस्तान में हिन्दूओं पर तीर्थ यात्रा पर से कोई टेक्स
हटा देना कौन सी बड़ी महानता है , यह तो वैसे भी हमारा हक था और बेवकूफ ने
एक कायर को अकबर महान का दर्जा दि (हिन्दूस्तान पर राज करने के लिये अकबर
ने अपने दरबार में नौ लोगों को नवरत्न बनाया जिसमे 4 हिन्दू थे । राजा मान
सिंह जो कि अकबर के समकालीन थे और अकबर के नवरत्नो में से एक थे उन्होंने
अकबर से हिन्दूओं पर से तीर्थ यात्रा(महसूर)कर माफ करने की मांग उठाई सत्ता
के लालची अकबर को डर था क्यौ कि उसके 4 रत्न हिन्दू थे और अगर वह मान सिंह
की मांग को खारिज कर देता तो बाकी के हिन्दू रत्न उसके लिये काम छोड़
सक्ते थे क्यों की अकबर की झूटी सेक्यूलर छवी का असली चहरा सामने आजाता (और
सच्चाई भी यही थी की वह एक कट्टरवादी और डरपोक(फट्टू) किस्म का शासक था
उसको यह बात पता थी कि हिन्द पर कट्टर छवी के बदोलत राज नही किया जा सक्ता
यही वजह थी की उसके पूर्वज हिन्द पर राज ना कर सके थे इस बात को समझते हुए
अकबर ने हिन्दू राजाओं में फूट डालने का राजनितिक तरीका अपनाया ) और उसका
हिन्दुस्थान पर शासन का सपना अधूरा रह सक्ता था इस बात के भय से उसने तीर्थ
यात्रा कर(टेक्स) हटा दिया ।।यह वो समय था जब राणा प्रताप, राणा उदय
सिंह,दुर्गा दास, जयमल और फत्ता(फतेह सिंह) जैसे वीर सपूत हुए , यह वही समय
था जब रानी दुर्गावती रानी भानूमती रानी रूप मती जैसी वीर राजपुतानीयो ने
अकबर से युद्घ लड़ा !!
10- मुघलों ने जब चित्तौड़ किले पर आक्रमण किया तब मात्र
5,000 से 10,000 राजपूत किले पर मैजूद थे जिन से अकबर ने 50,000 से 80,000
मुघलों को लड़वाया , मत्लब साफ है की अकबर राजपुताना से बराबरी से लड़ने की
दम नहीं रखता था , इस युद्ध में जयमल सिंह राठौढ़ मेड़तिया और फतेह सिंह
सिसौदिया ने अकबर के दांत खट्टे कर दिये थे । उस युद्ध में अकबर की आधी से
ज्यादा सेना को राजपूतों ने मौत के घाट उतार दिया था और भारी मात्रा में
नुकसान पहुंचाया था इस नुकसान को देखकर खिस्याए अकबर ने चित्तौड़ के लगभग
25,000 गैर इस्लामिक परिवारों को मौत के घाट उतरवा दिया था ।। लाखों
मासूमों के सर कटवा दिये , लाखों औरतोको अपने हरम का शिकार बनाया इस युद्ध
के दौराम 8,000 राजपुतानीयाँ जैहर कुण्ड में प्राण त्याग जिन्दा जल गईं
।।नोट- अकबर ने राजपूतों के आपसी मन मुटाव का फाएदा उठाया क्यो की वह
जान्ता था कि आपसी फूट डालकर ही क्षत्रीय से लड़ा जा सक्ता हे।।
11 .- 1947 की आजादी के बाद पं नेहरू को यह डर था कि जम्म्
-कश्मीर के राजा हरी सींह ने जिस तरह अपने क्षेत्र पर अपना अधिपथ्य और राज
पाठ त्यागने से मना कर दिया था उसी तरह कहीं बाकी की क्षत्रीय रियासतें
फिरसे अपना रूतबा कायम कर देश पर अपना अधिपथ्य स्थापित ना कर लें इसलिए
भारतीय इतिहास में से राजपूताना , मराठा , जाट व अन्य हिन्दू जातीयों के
गौरवशाली इतिहास को हटा कर मुघलों का झूटा इतिहास ठूस(भर) दिया ताकी
क्षत्रीय जातीयों का मनोबल हमेशा इस झूटे इतिहास को पड़ के गिरता रहे ,
लेकिन कुछ बहादुर वीरों के कारनामे छुपाए भी नही छुप सके जैसै राणा प्रताप ,
क्षत्रपती शिवाजी व जाट् सामराज्य।अगर मुघल कभी राजपूतों से जीत पाए थे तो
सिर्फ मेवाड़ के राणा प्रताप से हल्दी घाटी युद्घ में अकबर की इतनी बड़ी
सेना क्यों नही जीत पाई जब की उस वक्त राणा जी मेवाड़ भी खो चुके थे अत:
उनकी आधी सेना मुघलों के चितौड़ आक्रमण में ही समाप्त हो चुकी थी बावजूद
इसके नपुंसक व हवसी अकबर क्यों नही जीत पाया ।। अत: क्यों अकबर ने कभी राणा
प्रताप का सामना नही किया !! क्योकी जो राणा का मात्र भाला ही 75 किलो का
हो जो राणा रणभूमी में 250 किलो से अधिक वजन के अश्त्र शश्त्र लेके पूरा
दिन रणभूमी में एसे लड़ता हो जैसे खेल रहा हो उसका सामना करना मौत का सामना
करने के बराबर हे और यह बात अकबर को तब पता चली जब राणा प्रताप ने अकबर के
सबसे ताकतवर सेनापती व सेना नायक बहलोल खाँ को अपने भाले के प्रथम प्रहार
में नाभी से गरदन तक के धड़ को सीध में फाड़ दिया था ।। इस घटना की खबर
सुनकर अकबर इतना डर गया की वह स्वयम कभी राणा प्रताप से नही लड़ा अब जरा यह
सोचिए की सिर्फ कुछ वीरों ने अकबर की सेना को इस तरह नुकसान पहुचाया तो
क्या किसी भी तुर्क मुघलिया, अफगानी या कोइ अन्य नपुंसक किन्नर फौज में
इतना दम था कि पूरे राजपूताना , पूरा मराठा व सम्पूर्ण जाटों से लड़ पाते
!! ना तो इनमें इतना साहस था ना ही शौर्य इन्का साहस तो गंदे राजनितिक
कीड़ो ने झूटी किताबों में लिखवाया है !!
12 – प्रथवीराज रासो जो कि चंद्रबरदाई (प्रथवी राज के दरबार
में मंत्री) द्वार की गई रचनात्मक किताब को राजनितिक तरिके से पहले उसके
साक्षों को नष्ट करवा दिया गया बाद में एतिहासिक दर्जे से हटा कर मात्र
पौराणिक कहानी सिद्ध करवा दिया ।नोट – भारतीय इतिहास मे लिखित तौर पर सिर्फ
उन वंशों का भारी जिक्र हे जिनके वंश और रियासत पूर्ण रूप से समाप्त हो
चुकीं है मत्लब इनके गौरवशाली इतिहास से पंडित नेहरू की सत्ता को कोइ भी
क्षती नही पहुचनी थी क्यों की राजपूत , मराठा इत्यादी यह वो ताकतवर
रियासतें हें जिनका अस्तित्व आज भी जीवित है ।। े
13 – मात्र बुंदेला राजपूतों ने मराठों के साथ मिलकर अपने
सामराज्य से अकबर के पुत्र एवं उत्तराधिकारी जहांगीर ( कच्छवाहा राजपूतों
की परसियन दासी मरियम-उज्-जवानी का पुत्र था ) को अपने राज्य क्षेत्र से
खदेढ़ दिया था ।।
14- जहांगीर की माँ व अकबर की बेगम मरियम उज्जवानी अगर राजपूत
होती तो अपने पुत्र जहांगीर को बुंदेला राजपूत व मराठों से कभी लड़ने ना
देती !! और वैसे भी किसी तुर्की का विवाह किसी असली राजपूत से कर दिया जाए
तो वह या तो क्रोध से मर जाएगा या फिर अपने रहते उस तुर्क को जिंन्दा नहीं
रहने देगा ।।
15 – अब सवाल यह उठता है की अजकल के यह मन घड़ित नाटक(सीरियल)
क्यों चलाए जाते है यह इसलिए क्यों की यह इतिहास के किसी भी पन्ने में
दर्ज नही है कि मरियम जिसे हम जोधा बोलते हैं वह राजपूत थी दूसरी बात ये की
यह एक विवादित मुद्दा है जिसका राजपूत समुदाय कड़ा विरोध करता है इसलिये
यह विवादों में आ जाता है और इस झूटे सीरियल को फ्री की प्बलिसिटी मिल जाती
है जिसका लाभ प्रोड्यूसर(एकता कपूर) को मिल जाता है !! और कुछ मासूस
हिन्दू लड़कियाँ इस झूठी लव स्टोरी वाले सीरियल को देखकर अकबर के प्रती
इम्प्रेस हो जाती है जो की एक कायर और एक अत्याचारी व क्रूर शासक था जिसने
लाखों औरतों को अपने हरम का जबरन शिकार बनाया उनकी मजबूरियों का फाएदा
उठाकर ।।और आजकल की मोर्डन लड़कियाँ बड़े आसानी से लव जिहाद ( इसका मत्लब
धर्म को बड़ाना ज्यादा से ज्यादा लोगों को मुसलमान बनाना मार के जबरन या
प्यार से भी ) का शिकार बन जातीं है और किसी बी मुसलमान लड़के के झूटे
प्यार में फस जातीं है , बाद में जों होता है उसे में यहाँ लिख नही सक्ता
लेकिन इन सब के पीछे इस्लामिक कट्टरता और धार्मिक राजनीति होति है जिसमें
वर्षो से कान्ग्रेस का हाथ रहा है लिकिन हकीकत तो यही ह मित्रों की अकबर एक
क्रूर व अत्याचारी शासक था !! जिसने अपना झूटा इतिहास लिखवाया और
मरियम(जोधा) जो कि खुद एक दासी होकर भी अकबर की बेगम नहीं बनना नही चाहती
थी ।।ँ
16- अकबर की अकबरनामा जिसे कुछ मूर्ख अकबर की आत्मकथा कहते है
वह उसकी आत्मकथा नहीं कहला सक्ती क्योकी आत्म कथा एक मनुष्य खुद लिखता है
और अकबर एक अनपढ़ शाषक था अकबर नामा के रचनाकार मोहोम्मद अबुल फजल थे जो की
अकबर के उत्तीर्ण दर्जे ( उच्च कोटी ) के चाटुकार थे अब अगर वो उसमें ये
भी लिख देते की अकबर आसमान के तारे गिनने की क्षमता रखता था तो आप आज
एक्झाम में इस प्रश्न को भी पढ़ रहे होते ।।
17 क्षत्रपती शिवाजी ने ओरंगजेब के कई बार दांत खट्टे किये और
उससे कई महत्वपूर्ण राज्य छीन लिए और अपने राज्य को स्वतंत्र राज्य बनाया
।। मालुम हो कि शिवाजी ने अपना सामराज्य का जमीनी स्तर से विस्तार किया था
जब की औरंगजेब को सत्ता विरासत में मिली थी और शिवाजी ने अपने सामराज्य को
इस कदर ताकतवर बनाया कि मुघल आँख उठाकर देखने की भी चेष्ठा ना करें बाद में
ओरंगजेब ने संधी करने के लिए शिवाजी को आगरा बुलाया और छल पूर्वक शिवाजी
को बंधी बना लिया और आगरा किले में कैद कर लिया और शिवाजी के सभी राज्यों
को हड़प लिया अंत: शिवाजी काराग्रह से भाग गए और अपने सभी राज्य ओरंगजेब से
छीन लिए ।।
18- औरंगजेब को जब अकबर का विवाह दासी की पुत्री से होने वाली
बात पता चली तो उसने अकबर के द्वारा हटाए गए जिजया कर(tax for non
muslims) और महसूर कर(tax for hindus for doing tirath तीर्थ) को दोबारा
चलवाया इसके साथ – साथ उसने इस्लामिक कट्टरवाद को बड़ावा दिया जो कि
मुघलिया सल्तनत के पतन का कारण बनी अंत: राजपूतों , मराठों ने मिलकर मुघलों
को खत्म कर डाला और यह थी इतिहास की पहली क्रांती इसके बाद अंग्रेजों का
विस्तार हुआ जिन्हें मुघलों ने ही निमंत्रण दिया था
19- नेशनल जियोग्रेफिक(National Geographic Channel) चैनल पर
(डेड्लीलीएस्ट वारीयर/Deadliest warrior) नाम के कार्यक्रम में बहुत से
विदेशी इतिहासकारों ने दावा किया है की हल्दीघाटी त्रतीय युद्घ में राणा
प्रताप की 20,000 की जन संख्या वाली सेना जिसमे ब्राहमण वैश्य शूद्र व सभी
जाती के लोग अकबर की 60,000 की आबादी वाली सेना से लड़े थे जिसमें युद्ध का
कोई परिणाम नही निकला या ये कह लो की अकबर की सेना को रण भूमी छोड़ भागना
पड़ गया ।।ेयाद रहे विक्कीपेडिया पर लिखी हर बात सच नहीं होती आप खुद भी
उसमे मेनिपुलेशन (Manipulation)कर सक्ते हैं !! क्षत्रीयों का इतिहास
क्षत्रीय बता सक्ते है और मुघलों का इतिहास कोन्ग्रेस ।।
कुछ लोग हार के भी जीत जातेहैं, कुछ लोग जीत के भी हार जाते हैं…
नहीं दिखते अकबर के बुत कहीं ,राणा के घोड़े हर चौराहे पे नजर आते हैं..
इसी तरह का एक और उदाहरण आमेर के इतिहास में मिलता है। राजा मानसिंह द्वारा अपनी पोत्री (राजकुमार जगत सिंह की पुत्री) का जहाँगीर के साथ विवाह किया गया। जहाँगीर के साथ मानसिंह ने अपनी जिस कथित पोत्री का विवाह किया, उससे संबंधित कई चौंकाने वाली जानकारियां इतिहास में दर्ज है। जिस पर ज्यादातर इतिहासकारों ने ध्यान ही नहीं दिया कि वह लड़की एक मुस्लिम महिला बेगम जैनब कयूम की कोख से जन्मी थी। जिसका विवाह राजपूत समाज में होना असंभव था। जिसके बारे में जानकारी हम आगे चल कर देंगे।
नहीं दिखते अकबर के बुत कहीं ,राणा के घोड़े हर चौराहे पे नजर आते हैं..
इसी तरह का एक और उदाहरण आमेर के इतिहास में मिलता है। राजा मानसिंह द्वारा अपनी पोत्री (राजकुमार जगत सिंह की पुत्री) का जहाँगीर के साथ विवाह किया गया। जहाँगीर के साथ मानसिंह ने अपनी जिस कथित पोत्री का विवाह किया, उससे संबंधित कई चौंकाने वाली जानकारियां इतिहास में दर्ज है। जिस पर ज्यादातर इतिहासकारों ने ध्यान ही नहीं दिया कि वह लड़की एक मुस्लिम महिला बेगम जैनब कयूम की कोख से जन्मी थी। जिसका विवाह राजपूत समाज में होना असंभव था। जिसके बारे में जानकारी हम आगे चल कर देंगे।
लेखिका- मनीषा सिंह
(व्हाट्स अप पर प्राप्त लेख इसकी सत्यता का पता आप खुद करे )
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