दोस्तों,
विवादस्पद बयान और बडबोला पन नेता के बड़े होने की निशानी है।अखबार और अन्य माध्यमो से समाचार में बने रहने का तरीका भी। तभी तो नितिन गडकरी जो अभी -अभी खुद बेआबरू होकर और अपने चाहने वाले बहुतो को बेआबरू होते देख कर अध्यक्ष पद से रुखसत हुएँ हैं और भाजपा को और ज्यादा शर्मिंदगी से बचाने के लिए धन्यवाद के पात्र है, ने 24 घन्टे से भी कम समय में यह बता दिया की वह भी मर्द है इसलिए जब एन डी ऐ की सरकार आयेगी तो उन इन्कम टैक्स अफसरों को कोई बचा नहीं पायेगा जो उन्हें तंग कर रहे है। अब गडकरी कोई मामूली आदमी तो है नहीं आखिर एक राष्ट्रीय पार्टी के पूर्व अध्यक्ष है इसलिए उन्हें ऐसे बयान देने से कोई रोक नहीं सकता और अब तो वह उन मर्यादाओं को भी लाँघ सकते है जो पद पर रहते संभव न थी।लेकिन अपनी मर्दानगी का बखान करने में उन्होंने तीन महीने यानी अक्टूबर के महीने से अबतक का समय ख़राब क्यों किया यह आम आदमी और पार्टी कार्यकार्ताओ की समझ के बाहर है। अगर उसी समय पद से इस्तीफा देकर ताल ठोकते तो लोग वाकई मर्द समझते और फिर उन्हें इसकी घोषणा नहीं करनी पड़ती। उनकी और पार्टी की इज्जत बढती सो अलग।
लेकिन देश में गडकरी अकेले मर्द नहीं है। इस देश का गृह मंत्री भी मर्द है। तभी तो पाकिस्तानियो द्वारा भारतीय सैनिको के सर काटने पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करता। हाफिज सईद को सईद जी कह कर संसद में बयान देता है।दिल्ली रेप कांड जिससे पूरा देश आंदोलित हो गया उस पर सात दिनों तक चुप्पी साधे रहता है।लेकिन मर्दानगी का सबूत देने और अपनी मालकिन को खुश रखने के लिए देश भक्तो के संगठन आर एस एस को देश द्रोही संगठन करार देता है।उसी क्रम में देश का गृह सचिव अपने मालिक यानी मंत्री जी को खुश करने के लिए कहते है की उनके पास सबुत भी है लेकिन कोई कार्यवाही क्यों नहीं कर रहे है यह बताने की हिम्मत इन मर्दों में नहीं है। भगवा जिसने देश में शिवाजी महराज जैसे कितने ही देश भक्तो को बलिदान होने के लिए प्रेरित किया है, को आतंकवाद का प्रतीक बताने में मर्दानगी महसूस कर रहे है। अब इनसे कोई यह पूछे की राहुल के पर नाना (राजीव के नाना) जवाहर लाल जी ने इसी संगठन को क्यों देशभक्त संगठन ही करार नहीं दिया बल्कि 1963 की गणतन्त्र दिवस परेड में भागीदारी के लिए बुलाकर सम्मान भी किया था।लेकिन इन मर्दों का पढने लिखने से तो कोई सम्बन्ध है नहीं बस तलवे चाटने की आदत ने पद और प्रतिष्ठा दिल दी है तो उसीको बाकी जिन्दगी में हथियार बनाये रखने की कोशिश जारी है। फिर देश का नफा हो या नुकसान हमें तो बस अपने वोटो से है काम।
राहुल की दादी श्रीमती गाँधी ने भी 1971 पाकिस्तान युद्ध में संघ को उस के द्वारा युद्ध के समय देश सेवा के किये हुए कार्यो के लिए बधाई दी थी . उनका भाषण संसद के दस्तावेजो में दर्ज है और साथ ही अटल जी का वह बयान भी जिसमे उन्होंने इंद्रा गाँधी की तुलना माँ दुर्गा से की थी। इस लिहाज से तो नेहरु और इंद्रा संघ के आतंक वाद का समर्थन करते हुए माने जाने चाहिए और इस से जो नतीजा निकलेगा वह यह है की कांग्रेसी कई पीढियो से आतंकवादी संगठन अर्थात संघ का समर्थन समय समय पर करते रहे है और राहुल उसी खानदान के कुलदीपक है तो क्या वह आतंकी समर्थक है , इस सवाल का जवाब यदि आपके (शिंदे के) पास न हो तो कांग्रेस पार्टी के सबसे बड़े मर्द दिग्विजय सिंह से पूछ लीजिये जिनकी घिघ्घी ओसामा के मर जाने और दफ़न होने की खबर आने के बाद भी बहुत दिनों तक बंधी रही और उसको ओसामा जी कह कर बुलाते रहे। लेकिन देश भक्तो पर किसी भी तरह का आरोप लगा कर मर्दानगी दिखाने में नहीं चूकते ।
अजय सिंह "एकल"
विवादस्पद बयान और बडबोला पन नेता के बड़े होने की निशानी है।अखबार और अन्य माध्यमो से समाचार में बने रहने का तरीका भी। तभी तो नितिन गडकरी जो अभी -अभी खुद बेआबरू होकर और अपने चाहने वाले बहुतो को बेआबरू होते देख कर अध्यक्ष पद से रुखसत हुएँ हैं और भाजपा को और ज्यादा शर्मिंदगी से बचाने के लिए धन्यवाद के पात्र है, ने 24 घन्टे से भी कम समय में यह बता दिया की वह भी मर्द है इसलिए जब एन डी ऐ की सरकार आयेगी तो उन इन्कम टैक्स अफसरों को कोई बचा नहीं पायेगा जो उन्हें तंग कर रहे है। अब गडकरी कोई मामूली आदमी तो है नहीं आखिर एक राष्ट्रीय पार्टी के पूर्व अध्यक्ष है इसलिए उन्हें ऐसे बयान देने से कोई रोक नहीं सकता और अब तो वह उन मर्यादाओं को भी लाँघ सकते है जो पद पर रहते संभव न थी।लेकिन अपनी मर्दानगी का बखान करने में उन्होंने तीन महीने यानी अक्टूबर के महीने से अबतक का समय ख़राब क्यों किया यह आम आदमी और पार्टी कार्यकार्ताओ की समझ के बाहर है। अगर उसी समय पद से इस्तीफा देकर ताल ठोकते तो लोग वाकई मर्द समझते और फिर उन्हें इसकी घोषणा नहीं करनी पड़ती। उनकी और पार्टी की इज्जत बढती सो अलग।
लेकिन देश में गडकरी अकेले मर्द नहीं है। इस देश का गृह मंत्री भी मर्द है। तभी तो पाकिस्तानियो द्वारा भारतीय सैनिको के सर काटने पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करता। हाफिज सईद को सईद जी कह कर संसद में बयान देता है।दिल्ली रेप कांड जिससे पूरा देश आंदोलित हो गया उस पर सात दिनों तक चुप्पी साधे रहता है।लेकिन मर्दानगी का सबूत देने और अपनी मालकिन को खुश रखने के लिए देश भक्तो के संगठन आर एस एस को देश द्रोही संगठन करार देता है।उसी क्रम में देश का गृह सचिव अपने मालिक यानी मंत्री जी को खुश करने के लिए कहते है की उनके पास सबुत भी है लेकिन कोई कार्यवाही क्यों नहीं कर रहे है यह बताने की हिम्मत इन मर्दों में नहीं है। भगवा जिसने देश में शिवाजी महराज जैसे कितने ही देश भक्तो को बलिदान होने के लिए प्रेरित किया है, को आतंकवाद का प्रतीक बताने में मर्दानगी महसूस कर रहे है। अब इनसे कोई यह पूछे की राहुल के पर नाना (राजीव के नाना) जवाहर लाल जी ने इसी संगठन को क्यों देशभक्त संगठन ही करार नहीं दिया बल्कि 1963 की गणतन्त्र दिवस परेड में भागीदारी के लिए बुलाकर सम्मान भी किया था।लेकिन इन मर्दों का पढने लिखने से तो कोई सम्बन्ध है नहीं बस तलवे चाटने की आदत ने पद और प्रतिष्ठा दिल दी है तो उसीको बाकी जिन्दगी में हथियार बनाये रखने की कोशिश जारी है। फिर देश का नफा हो या नुकसान हमें तो बस अपने वोटो से है काम।
राहुल की दादी श्रीमती गाँधी ने भी 1971 पाकिस्तान युद्ध में संघ को उस के द्वारा युद्ध के समय देश सेवा के किये हुए कार्यो के लिए बधाई दी थी . उनका भाषण संसद के दस्तावेजो में दर्ज है और साथ ही अटल जी का वह बयान भी जिसमे उन्होंने इंद्रा गाँधी की तुलना माँ दुर्गा से की थी। इस लिहाज से तो नेहरु और इंद्रा संघ के आतंक वाद का समर्थन करते हुए माने जाने चाहिए और इस से जो नतीजा निकलेगा वह यह है की कांग्रेसी कई पीढियो से आतंकवादी संगठन अर्थात संघ का समर्थन समय समय पर करते रहे है और राहुल उसी खानदान के कुलदीपक है तो क्या वह आतंकी समर्थक है , इस सवाल का जवाब यदि आपके (शिंदे के) पास न हो तो कांग्रेस पार्टी के सबसे बड़े मर्द दिग्विजय सिंह से पूछ लीजिये जिनकी घिघ्घी ओसामा के मर जाने और दफ़न होने की खबर आने के बाद भी बहुत दिनों तक बंधी रही और उसको ओसामा जी कह कर बुलाते रहे। लेकिन देश भक्तो पर किसी भी तरह का आरोप लगा कर मर्दानगी दिखाने में नहीं चूकते ।
अजय सिंह "एकल"
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