Friday, January 13, 2017

पाप का महत्त्व




 स्वर्गीय भारत भूषण जी की लिखी पाप के महत्व को समझती  हुई कविता

न जन्म लेता अगर कहीं में ,धरा बनी ये मसान होती,
न मंदिरों में मृदङ्ग  बजते,न मस्जिदों में अज़ान होती.
मुझे सुलाते रहे मसीहा ,मुझे मिटाने रसूल आये,
कभी सुनी मोहनी मुरलिया,कभी अयोध्या बजे बधाये,
मुझे दुआ दो बुला रहा हूँ हज़ार गौतम,हज़ार गाँधी,
बना दिए देवता अनेकों ,मुझे मगर न तुम पूज पाए,
मुझे रुलाकर न स्रष्टि हंसती,न सुर ,तुलसी , कबीर आते,
न क्रास का ये निशाँ होता , न पाक-पावन कुरान होती,
 न जन्म लेता अगर कहीं में ,धरा बनी ये मसान होती,
न मंदिरों में मृदङ्ग  बजते,न मस्जिदों में अज़ान होती.

बुरा बता लें मुझे  मोलवी,की दें पुरोहित हज़ार गली,
सभी चित्र या  शकल बना लें बहुत भयानक ,कुरूप , काली,
मगर ये ही जब मिलें अकेले सवाल पूछो यही कहेंगे,
की पाप ही ज़िन्दगी हमारी ,वही ईद है वही दीवाली,
न सीचता अगर में जड़ों को कभी जहां में पुण्य न फलता,
न रूप का यूँ बखान होता , न प्यास इतनी जवान होती.
न जन्म लेता अगर कहीं में ,धरा बनी ये मसान होती,
न मंदिरों में मृदङ्ग  बजते,न मस्जिदों में अज़ान होती.

अजय सिंह  


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