जीवन की सीख
जीवन की सीख
न माँझी, न रहबर, न हक में हवाएं,
है कश्ती भी जर्जर, ये कैसा सफर है ?
अलग ही मजा है, फ़कीरी का अपना,
न पाने की चिंता न खोने का डर है.
मौत हर किसी को आती है यारों,
पर जीना हर किसी को नहीं आता.
हम अपनी परिस्थितियों का उत्पाद नहीं हैं,
हम अपने फैसले का उत्पाद हैं.
चक्की के दो पाटों में ,
एक स्थिर और दूसरा गतिमान हो ,
तभी अनाज पिस सकता है।*
इसी प्रकार मनुष्य में भी दो पाट होते हैं ।*
एक मन ,और दूसरा शरीर ।*
यदि मन स्थिर और
शरीर गतिमान रहे
तभी सफल व्यक्तित्व संभव है।
इतने बेताब इतने बेक़रार क्यूँ हैं
लोग जरूरत से होशियार क्यूँ हैं ..
मुंह पे तो सभी दोस्त हैं लेकिन
पीठ पीछे दुश्मन हज़ार क्यूँ हैं ..
हर चेहरे पर इक मुखौटा है यारो
लोग ज़हर में डूबे किरदार क्यूँ हैं ..
सब काट रहे हैं यहां इक दूजे को
लोग सभी दो धारी तलवार क्यूँ हैं ..
सब को सबकी हर खबर चाहिए
लोग चलते फिरते अखबार क्यूँ हैं !!
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