क्षद्म सत्य
अश्वथामा मारा गया , नर या कुञ्जर
तुमने तो सत्य ही बोला था युधिष्ठर
किन्तु वे तुम्हारे ही साथी थे धनुर्धर
जिन्होंने गुंजाया था शंख स्वर ,
जब तुमने कहा था नर या कुंजर
ठीक है
तुम सत्यवती भी बने रहे ,और काम भी हो गया
युद्ध जीत गये दुनिया में बड़ा नाम भी हो गया
किन्तु उस छण जो सम्प्रेषित हुआ था
तुम्हारे द्वारा तुम्हे पता है असत्य था
गुरुद्रोण
पुत्र वध सुनकर नहीं मरे
शिष्य का छद्म सत्य देख कर
लज्जा से देह छोड़ चले गए II
अंत में
कितने है दीवाने लोग
आते है समझाने लोग
मन्दिर मस्जिद में मिलती शांति
तो क्यों जाते मैखाने लोग II
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