अभी जमीर में थोड़ी सी जान बाकी है
अभी जमीर में थोड़ी सी जान बाकी है
अभी हमारा कोई इम्तिहान बाकी है
हमारे जेहन की बस्ती में आग लगी ऐसी
की जो था वह खाक हुआ बस एक दुकान बाकी है ll
हमारे घर को उजड़े तो एक जमाना हुआ
मगर सुना है अभी वो मकान बाकी है
अब आया तीर चलाने का फन तो क्या आया
हमारे हाथ खाली कमान बाकी है II
जरा सी बात फैली तो दास्तान हुई
वो बात खतम हुई सिर्फ दास्तान बाकी है
वो जखम भर गये तो अर्सा हुआ मगर अबतक
जरा सा दर्द और निशान बाकी है II
2nd One
बयाबां हमें इसलिए पूछता है
की बहारों की दुनिया से हम आ रहे है ,
बताये कोई अपनी नाकामियों को क्या
की सहारों की दुनिया से हम आ रहे है II
न कलिओं का मजमा , न काटों का सदमा
खुदा जाने गुलशन को क्या हो गया है
महकने के मौसम को आबाद रखने
निखारो की दुनियाँ से हम आ रहे हैII
कभी शामे गम में जो खुल के न रोये
वो क्या मुस्कराएंगे लुत्फे सहर में
हमें चांदनी की चकाचोंध से क्या
सितारों की दुनियाँ से हम आ रहे है II
हमारे लिए क्या नहीं आबेजमजम
फ़रिश्तो ने क्या उसका ठेका लिया है
तुम्हारे लिए मैकदा हो मुबारक
खुमारी की दुनिया से हम आ रहे है II
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