दोस्तों,
कल सलमान खान के हिट एंड रन केस का निर्णय हाई कोर्ट ने सुना दिया। कोर्ट ने कहा की सलमान के खिलाफ सुबूत पुख्ता न होने के कारण सन्देह का लाभ उन्हें देते हुए केस से रिहा कर दिया गया है। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की,कि पुलिस के जिन लोगों ने इस केस की जाँच की उन्होंने उसमें अनेक गलतियाँ की जिससे केस कमजोर हुआ और गुनाह साबित नहीं हो सका। लेकिन कोर्ट ने पुलिस के खिलाफ किसी कार्यवाही किये जाने
का कोई आदेश नहीं दिया। पूरे केस में अब तक तेरह साल निकल गये है। यदि केस को लेकर महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट तो कुछ और साल आराम से निकल जायेंगे। घटना में जिस गरीब की मृत्यु हुई उसके परिवार वालों को इस निर्णय से घोर निराशा हुई जो उनकी अंतिम उम्मीद थी।
इस निर्णय की चारों तरफ चर्चा हो रही है। सुरेश जरीवाला मोदी के बड़े मुस्लिम समर्थक है और गुजरात से आते है उन्होंने कहा की " हम तो पहले से कह रहे थे की सलमान निर्दोश और उन्हें जान कर फँसाया गया था। कई और नामी गिरामी फ़िल्मी और सामाजिक हस्तियों ने भी अपने ऐसे ही विचार प्रकट किये हैं ।
इस निर्णय से मुझे एक ज्ञान तो यह हुआ की न्यूटन का दूसरा नियम "हर एक्शन का बराबर और उल्टा रिएक्शन" होता है को नयी तरह परिभाषित करने जरुरत महसूस हो रही है। नई परिभाषा कुछ ऐसी होगी "हर एक्शन रिएक्शन होता है लेकिन यह कब होगा, कितना होगा और होगा भी नहीं होगा यह समय, जगह और किन लोगो के बीच होना है पर निर्भर करेगा। उदाहरण के लिए यदि आपको चींटी काट ले तो आप नहीं काट सकते ,हाथी अपनी सूंड़ में लपेट कर फेक दे तो भी आप इसके बराबर और उलटी रिएक्शन नहीं सकते है। यदि कोई मुस्लिम किसी हिन्दू को गाली दे और आप हिंदुस्तान है तो इसकी रिएक्शन आपको इजाजत नहीं सकती और यदि उसने आपको मार दिया हो तो उसे सक आधार पर छोड़ा सकता है लेकिन यदि कोई हिन्दू किसी मुस्लिम को गाली दे रिएक्शन आपकी पिटाई और जेल दोनों सकती है और यदि हिन्दू ने मुसलमान की पिटाई कर दी तो आपको दंगा फैलने के डर से या उसके आरोप जेल तो होगी ही साथ ही आप की सम्पति इत्यादि जब्त सकती है। अतः न्यूटन के दूसरे नियम के बारे में आप अपनी समझ को जितनी जल्दी ठीक कर सके उतना ही सुरक्षित आप अपने को महसूस कर सकते है।
इस निर्णय से दूसरी यह बात भी समझ आ गई वैसे तो शक सन्देह करना बहुत बुरा माना जाता है और इसे न करने की सीख हमेशा हम अपने लोगो तो देते रहते है लेकिन। इसके कुछ अनकहे लाभ भी है इसलिये मौका देख कर कभी कभी शक संदेह करना देश हित में होता है और इससे आप के पैसे कमाने की सम्भावनाये भी बढ़ती है और इज्ज़त भी। इसका क्या और कितना लाभ मिलेगा यह इस बात पर निर्भर करेगा की आपके शक की क्वालिटी और उसकी टाइमिंग क्या है और उससे दूसरे आदमी का क्या और कितना लाभ हो सकता है। यानि न्यूटन का नियम यहाँ भी लागू होगा।
मुझे पूरी उम्मीद है जैसे इस नियम बारे में संशोधन बताने से आइन्स्टीन को नोबल प्राइज मिला था,उसी तरह मेरा नाम भी इस बार के भारत रत्न के लिए रिकमेंड किया जायेगा। अन्यथा अपनी कथा की व्यथा लेकर मैं यूनाइटेड नेशन जाने के लिए स्वतंत्र हूँ। कम से कम इतनी रिएक्शन तो मेरा अधिकार है।
अजय सिंह "जे एस के "
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