Friday, July 22, 2011

तो दाग भी अच्छे है.......और दागी भी..

प्रिय जनों,
"अरे मौसी बसंती का हाथ मेरे दोस्त  वीरू के हाथ में दे दो" , "अरे तुम का कहत हो सगी माँ ना सही पर हूँ तो बसंती की मौसी ऐसे वैसे के हाथ में कैसे दे दूँ" ."मगर  मेरा दोस्त तो  निहायत ही शरीफ है ,केवल एक ही लत है जुएँ में हारने के बाद थोड़ी सी पी लेता है और पीने के बाद मनोरंजन के लिए कोठे पर चला जा जाता है बस . "अब ये लो दोस्त जुआ खेलता है शराब पीता है कोठे पर जाता है और फिर भी शरीफ है वाह भई  वाह दोस्त हो तो ऐसा " मनमोहन सरकार की कहानी भी कुछ-कुछ  रमेश सिप्पी की पिक्चर "शोले " की तरह ही  लगती है .

मनमोहन सरकार के   मंत्रियो  और  कार्पोरेट की मिली भगत अब जग  जाहिर हो चुकी है,कामन वेल्थ खेलो के मुखिया के टीम सहित अंदर  हैं , कनिमोझी को अदालत जमानत देने में घबरा रही है ,चिदंबरम के ऊपर भी कई  आरोप लग रहे हैं  , वित् मंत्री के कार्यालय की जासूसी करने में  भी सरकार में शामिल लोगो के हाथ का शक है ,प्रधान मंत्री के सबसे काबिल और प्रिय मंत्री सिब्बल का रिलाएंस प्रेम जाहिर हो गया है ,इसके पहले भी वे 2G घोटाले में भी बयान  दे कर राजा को भी पाक साफ़ साबित करने की कोशिश कर चुके है. रामदेव के साथ जो खेल उन्होंने देश के सामने किया उस पर मनमोहन जी खेद तो     प्रगट कर रहे है लेकिन कहते है की कोई और उपाय नहीं  था. 

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में फिर बम  धमाके होने के बाद गृह मंत्री ने बड़ा संतोष जाहिर किया की उनकी वजह से आतंकवादी हमला ३२ महीनो बाद हुआ इसके लिए उन्होंने आतंकियों का भी धन्यवाद किया और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार पुलिस और सुरक्षा कर्मियों का भी.केवल यह नहीं बताया की जो योजनाये २६ /११ के बाद बनी थी उसमे कितनी शुरू हुयी है . और भविष्य में आतंकी हमले न हो इसके क्या उपाए सरकार ने किया है.   राहुल  गाँधी ने भी सरकार की तरफ से देश को यह बता दिया की हालाकिं सरकार ९९ प्रतिशत हमले रोक लेती है लेकिन १ प्रतिशत को रोकना मुश्किल ही नहीं असंभव है इसलिए जब भी कोई आतंकी हमला देश पर हो तो वोह १% ही माना जाये और जो नहीं हुए उनको यह मान लिया जाये की ९९% हैं. यानि खेल के नए नियम भावी प्रधान मंत्री ने लिखने शुरू करदिये .   आप के बाकी   के सिपाह सालारो ने भी हमेशा की तरह पुराने डायलागों को दोहरा कर अपने कर्तव्य की इत्श्री करली .दो मंत्री हमलो की खबर के बाद फैशन शो देखने चले गए और जब उनसे लोगो ने सवाल किया तो जवाब बिलकुल सीधा था की पहले से प्रोग्राम तय था और अपने वचन का पालन भी तो करना था ,इतने बड़े देश में कुछ न कुछ तो होता ही रहता है .

श्रीमान दिग्विजय सिंह जी ने भी हमेशा की तरह  अपने कर्तव्य का निर्वाह करते हुए मुसलमानों के  आतंकी घटना में शामिल   होने पर भी  लगे हाथ अपनी शंका जाहिर कर के संघ को भी घेरे में ले लिया और  कांग्रेस के पक्ष में  सबसे ज्यादा वोटो को प्रभावित कर के नंबर कमा लिए, और दल के बाहर  ही नहीं अन्दर के विरोधिओं को धोबी पाट लगा दिया . इतना ही नहीं कलमाड़ी और ए राजा को कोर्ट जमानत दे इसकी भी वकालत करदी और सुर्ख़ियों में छा गए . मैं तो सोच रहा था की मंत्रिमंडल विस्तार में इनको "बयान मंत्री" की कुर्सी तो पक्का  मिल जाएगी .

लेकिन सबसे ज्यादा धन्यवाद के पात्र तो आप है जो सोनिया जी को लेकर मुंबई के दुखी लोगो को बातों का मरहम (lip service) लगाया और जनता के साथ नेताओं को खुश कर फिर अपनी साफ और सुन्दर छवि को बरक़रार   रखा .


वैसे भी भारत सरकार जिसके की आप मुखिया है उसको चलाने की जिम्मेदारी आपने  राष्ट्रीय सलाहकार समित बना कर उसकी चेयर पर्सन  सोनिया जी को दे रखी है . आपके  मंत्रिमंडल में शामिल नवजवान मंत्री राहुल गाँधी की देख रेख में काम करते है और गटबंधन के मंत्री अपने -अपने आकाओं की सुनते है, हाल में हुई कालका मेल दुर्घटना में घायलों  का हालचाल पूछने को जब आपने रेल राज्य मंत्री मुकुल राय को  निर्देश दिया तो उन्होंने आपकी राय को अनदेखा कर के अपने बॉस यानि ममता बनर्जी के लिए काम करना बेहतर माना.ठीक है आप अपने को मजबूर प्रधान मंत्री चाहे न माने लेकिन सच्चाई तो यही है यानि यह भी मज़बूरी की इसको सार्वजानिक रूप से स्वीकार नहीं करसकते है. चलिए आप ने भी अपना मन ठीक ही बना रखा है जब तक गद्दी है मौज करों ,इतनी राजनीत  तो ७ साल में आप भी सीख   गए है की दूसरो  के सर पर कैसे दोष मढना है. अगर केवल अख़बार और टीवी  संपादको को चाय पर बुला के बयान देने से ,और राहुल के लिए रात्रि रक्षक (night guard) की तरह काम करके  सरकार का मुखिया बने रहा जा सकता है तो दाग भी अच्छे है और दागी भी .


जरा चाटुकारों की भीड़ को पास से हटा कर तो  देखिए की इस देश के दामाद श्री राबर्ट बढेरा कैसे सबसे तेजी से अरबपति बनने में कामयाब हो    गए है और देश के भावी प्रधान मंत्री राहुल गाँधी जी अपने नवजवान साथियों के साथ क्या -क्या रंगरेलिया कर रहे है . कहीं ऐसा न हो की पिछले स्वतन्त्रा दिवस पर दिया गया  आपका बयान की आप की कैबिनेट जवाहर लाल की कैबिनेट से बेहतर है  का मतलब यह निकले की जवाहर लाल के मंत्रियो की जो कोशिशे देश का सत्यानाश करने में कामयाब न हो पाई उनको आप के काबिल मंत्रियो की फ़ौज ने कर दिखाया  और आप भी देश को लूटने वालो के सरताज बन जाये . अभी भी समय है कांग्रेस का हाथ को   गरीब के साथ ही रहने दीजिये उसको  गरीब के गाल पर चपत न बनाइये . संप्रग सरकार के ७ साल के सुशासन ने गरीब की जिन्दगी वैसे ही महंगाई के कारण नरक हो गई है. आपके मंत्री महंगाई की तुलना करते हुए कहते है की यह नेपाल और बंगला देश में भी बढ़ी है लेकिन जब आतंकी हमलो की बात होती है महा सचिव  दिग्विजय जी कहते है यहाँ से ज्यादा हमले पाकिस्तान में हो रहे है .वाह भई वाह महंगाई की तुलना नेपाल से और आतंक की पाकिस्तान से .मतलब यह  की जहाँ से जो अच्छी चीज मिली ले ली. वाकई आप और आपकी कैबिनेट  दोनों लाजवाब है .


अजय सिंह "एकल"