Friday, November 22, 2019

असीम रोजगार की संभावनाएं है पानी में


दोस्तों ,

पानी  और हवा ईश्वर की  ऐसी देन है जिसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं  की जा सकती है। लेकिन आज के युग में शुद्ध हवा और शुद्ध पानी दोनों  ही मिलना  मुश्किल हो गया है। आज से बीस -पच्चीस  साल पहले तक जब बोतल वाला पानी और आरओ वगैहरा की   उपलब्ध  नहीं था  तो नलों  में सप्लाई  होने वाला  पानी सभी लोग निश्चिंत  हो कर पी  लेते थे। परन्तु अब जो लोग  आर्थिक रूप से संपन्न  है उन की कोशिश है की बोतल का पानी ही पिया जाये। ताकि अशुद्ध पानी पीने  के खतरे से बचा जा सके।  

पिछले बीस -तीस   वर्षो  में देश ने तकनीकी क्षेत्र में बहुत उन्नति की है। खास तौर पर सॉफ्टवेयर ,अन्तरिक्ष , ऑटोमोबिल इत्यादि में भारत ने विश्व में अपना स्थान बनाया है। किन्तु कुछ सेक्टर जैसे कृषि , ऊर्जा इत्यादि में हम उस मुकाबले में  उन्नति नहीं  कर पाए है।  हवा ,पानी जैसे कई अन्य   महत्वपूर्ण  क्षेत्र  तो  बिलकुल ही  पिछड़  गए है। नतीजा पर्यावरण और शुद्व पानी की समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है। भारत सरकार ने अब इसके लिए नए सिरे से युद्धस्तर पर प्रयास शुरू कर दिया है। उम्मीद की जानी  चाहिए की  स्थितियों में शीघ्र ही परिवर्तन देखने को मिलेगा।

पानी स्वास्थ्य के लिए तो महत्वपूर्ण है ही ,इस  क्षेत्र में रोजगार की भी  असीम सम्भावनाये है। उपयुक्त रणनीतिक योजना बना कर काम करने से अगले पांच वर्षो में दस लाख से ज्यादा रोजगार एवं  दस हजार से ज्यादा उद्दयम इस क्षेत्र में स्थापित हो  सकते है। यह प्रयास अर्थव्यस्था के फाइव ट्रिलियन के लक्ष्य के साथ ही यूनाइटेड नेशन्स के सेल्फ डेवलपमेंट गोल २०३०  को भी प्राप्त करने में सहायक होगा। प्रधान मंत्री मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के लाल किले के प्राचीर से हुए स्वतंत्रता दिवस के भाषण में  जल मंत्रालय के द्वारा किये जाने वाली  एक अति महत्वाकांक्षी योजना "वर्ष २०२४ तक हर घर में नल" पहुंचाने की घोषणा की है और इसके लिए तीन लाख पचास हजार करोड़ का बजट भी दे दिया है। इन लक्ष्यों की तय समय में प्राप्ति हो इसके लिए योजनाबद्ध तरीके  सभी आवश्यक पहलूओं पर काम करना होगा।  यह जरुरी है की जब हर   घर  मे नल पहुंचे तो उसमे निकलने वाला पानी पीने लायक हो। यह बहुत बड़ा काम है जिसको अंजाम देने के लिए  कुशल एवं प्रशिक्षित लोगो की बड़ी टीम की जरुरत पुरे देश में  होगी।   अभी देश में पानी के क्षेत्र  में कौशल विकास प्रशिक्षण का बहुत अभाव है। पीने के पानी के शुद्धिकरण और इसके वितरण प्रबंधन के लिए जिस  तरह का कौशल चाहिए उसके  लिए  केवल काम चलाऊ अनौपचारिक प्रशिक्षण  की व्यस्था  है।  नतीजतन  हम आज भी वर्षो पुरानी तकनीक का प्रयोग पानी के शुद्धि करण और वितरण के लिए कर रहे है।

वर्ष  २०१४ में मोदी सरकार के आने के बाद से ही इस दिशा काम करना शुरू हो गया था।  माननीय प्रधान मन्त्री  ने एक बड़े व्यापारिक प्रतिनिधि मंडल जिसमे नेशनल स्किल डेवलपमेंट कार्पोरेशन के प्रतिनिधी  भी शामिल थे के साथ  2015  में फ्रांस, जर्मनी कनाडा और अमेरिका चार देशो की यात्रा की थी। इस यात्रा में  कनाडा  के प्रसिद्ध  फ्लेमिंग कॉलेज जो पानी से सम्बन्धित प्रशिक्षण का प्रतिष्ठित केंद्र है,  के साथ एक ऍम ओ यू  साइन हुआ था।   पानी से सम्बंधित तकनीकी  के लिए कनाडा दुनिया का एक  अग्रणी देश है इस नाते से    भारत सरकार  की यह एक सराहनीय कोशिश  थी। लेकिन दुर्भाग्य से पांच साल बीत जाने के बाद भी  इसमें कोई प्रगति नहीं हो पायी है।

अब समय आ गया है की इस दिशा में योजना बद्ध तरीके से कार्य किया जाये। इसके लिए एक कार्य दल (टास्क फ़ोर्स) बना कर पानी के क्षेत्र में  किये जाने वाले सभी कामों की सूची बनाना ,उन कामो को करने के लिए जिस तरह के कौशल विकास की आवश्यकता है उसका निर्धारण करना।  काम को ठीक ढंग से अंजाम देने के लिए पूर्व योग्यता का निर्धारण और  इंडस्ट्री के साथ मिलकर पाठ्यक्रम बनाना कार्यदल का प्रथम कार्य होगा। इसके बाद कौशल प्रशिक्षण के लिए विशेषज्ञ शिक्षक (मास्टर ट्रेनर्स) तैयार करना  और हर प्रदेश में आवश्यक प्रयोगशालाओं  का निर्माण एवं प्रबन्धन करना। तत्पश्चात मास्टर ट्रेनर्स  की सहायता से पूरे  देश की  नगर पालिकाओं और जल विभाग के अधिकारिओं का प्रशिक्षण करके  नियमित रूप से इनका समय समय पर परिक्षण (ऑडिट) करके पूरी पारदर्शिता के साथ इस सूचना का वेब साइट पर प्रसारण होने की जिम्मेदारी भी  कार्यदल की होनी चाहिए। जिन कामों को किया जा रहा है उसकी गुणवत्ता  बनाये रखने की जिम्मेदारी जिन  लोगो की है  उन अधिकारिओं की जवाब देही तय करना और   उसमे  कमी होने पर  उनसे जवाब मांगे जाने की  व्यस्था हो जाने पर आम आदमी का  व्यस्था में  विश्वास पुनर्स्थापित होगा। और देश के लोगों का नगर पालिकाओं द्वारा वितरित  पानी  पीकर भी  स्वास्थ ठीक रहेगा इसे सुनिश्चित कर सकेंगे।  

अजय सिंह "एकल"   



   

Monday, November 11, 2019

भारत की नई शिक्षा निति :सब अच्छा नहीं


दोस्तों,
मोदी सरकार के पहले सत्र में जिस नई शिक्षा निति का आगाज किया गया था आखिरकार उस निति की घोषणा मोदी सरकार  के द्वितीय  सत्र में सत्ता सँभालते ही हो गयी है।  इस नीति को बनाने और घोषणा करने में चार वर्षो से ज्यादा का समय लगा। इस वर्ष जून- जुलाई में   घोषणा होने के बाद १०० से ज्यादा गोष्ठियां देश बाहर में आयोजित की जा चुकी है और दो लाख लोगो से ज्यादा लोगो ने इस पर अपने सुझाव दिए गए है। अब इन सुझावों को मसौदे में शामिल कर मंत्री परिषद् के सामने पेश किया जायेगा। इसके बाद नई शिक्षा नीति को लागु करने का रास्ता प्रशस्त हो जायेगा।

वास्तव में किसी भी देश की शिक्षा नीति से ही यह तय होता है की हम भविष्य में कैसे नागरिक चाहते है। इस शिक्षा नीति में पिछली नीतियों से सबक लेते  हुए उनको बहुत हद तक दूर करने की ईमानदार  कोशिश भी की गयी है।  लेकिन कुछ ऐसी कमियाँ जिनका जिक्र अभी तक ठीक से नहीं हो पाया है उनको इंगित करने और उन्हें ठीक करने की भी कोशिश की जानी चाहिए ताकि इसे और बेहतर बनाया जा सके। प्रस्तावित  शिक्षा नीति की कमियों को दूर कर के ही नए भारत के निर्माण का रास्ता सुनिश्चित किया जा सकेगा।

दुनिया में जिस तरह से मशीनी करण और स्वचालित यंत्रो का उपयोग बढ़ रहा है ऐसा लगता है बहुत से रोजगारो को करने लिए आवश्यक कुशलता में तेजी से परिवर्तन आएगा। इसलिए आवश्यक है की इसको ध्यान में रख कर रोजगार पूरक पाठ्यक्रम बनाया जाये। रचनात्मक कुशलता एवं एवं व्यहारिक कौशल के गुण केवल मनुष्यो में हो सकते है। यन्त्र तो केवल जिस काम के लिए  बने है उसी को सकते है।  इसलिए इन गुणों को विकसित करने की युति शुरू से इस तरह से की जानी चाहिए ताकि यह वयक्ति की प्रकृति बन  जाये चेतना बन जाये।  इन गुणों को प्रयोग में लाने या  ना  लाने का विकल्प ही उपलब्ध न रहे।

दूसरी महत्व पूर्ण बात है की नव युवको  के सामने जब जीवन   वृत्ति के लिए  चुनाव करने का प्रश्न आता है तो केवल उन्ही पेशों के बीच चुनाव करने की सलाह दोस्त और परिवार जनो से मिलती है जिसमे धन कमाने की पर्याप्त सम्भावनाएं हों जैसे डॉक्टर,इंजीनियर या इसी तरह के कुछ और जो अच्छी तरह से जांचे परखे हुए काम है जिससे समाज में सम्मान और पर्याप्त धन मिल सके। जबकि कोई भी व्यक्ति केवल उसी काम को शानदार और सर्वश्रेष्ठ  तरीके से कर सकेगा जिसमे उसकी रूचि हो। अब नवयुवकों के पास  ज्ञान और अनुभव की कमी  होने के कारण अधिकांश मामलों में उन्हें मार्गदर्शन परिवार के बड़े बूढ़ो और मित्रो से मिलता है जो बिना उसकी रूचि जाने हुए अपने अनुभवों के आधार पर सुझाव देते है। पर्याप्त जानकारी के आभाव में उपलब्ध विकल्पों में से चुनाव करने की मज़बूरी होती है। परिवार की आर्थिक स्थिति का भी इसमें गंभीर योगदान होता है।

उदाहरण के लिए यदि कोई युवक जिसे प्रकृति  और  पोधो के साथ काम करना अच्छा लगता है और इसे वह जीवन यापन के लिए चुनना चाहे तो इस बात की सम्भवाना अधिक है की उसे इस विकल्प को चुनने की स्वतंत्रता ही न मिले और मज़बूरी में उसे वह विकल्प स्वीकार करना पड़े जिसमे अधिक धन और सम्मान की सम्भावना हो। इस कठिनाई को दूर करने का केवल एक ही तरीका है हमें ऐसा  पारिस्थितिकी तंत्र   विकसित करना पड़ेगा जिसमे वैकल्पिक व्यवसाओं के बारे में विस्तृत जानकारी आसानी से उपलब्ध हो। और इस ज्ञान को  युवक के पास जब वह छोटी कक्षा का छात्र हो पहुंचाने की व्यस्था करनी चाहिए।  साथ ही युवको की रूचि जानने के लिए मुफ्त परिक्षण की व्यस्था भी स्कूल के स्तर पर होनी चाहिए ताकि समय समय पर इसकी जाँच करना संभव हो सके। और नवयुवक पहले तो अपनी रूचि के बारे में जान सके और फिर सम्बद्ध  व्यसायों के बारे में जान कर कैसे अपनी सारी संभावनाओं का पूरा उपयोग कर सके इसकी योजना भी बना सके।  इस चुनाव को पूरा करने में आर्थिक परिस्थितयो से कैसे निपटा जाना है इसकी योजना भी शिक्षा नीति का ही हिस्सा होना चाहिए।

अजय सिंह "एकल"  




Saturday, November 9, 2019

और देश जीत गया

 दोस्तों ,
आज का दिन ऐतिहासिक है। नौ नवम्बर का दिन भारत ही नहीं दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है। नौ नवम्बर १९८९  आज ही के दिन बर्लिन की दीवार  टूटी   थी और ४५ साल बाद दो दिल मिल गये।  भारत पाक बॅटवारे के बाद गुरु नानक देव जी  का बोधि स्थल जो सिख समाज के लिए तीर्थ है पाकिस्तान में होने के कारण अपने गुरु स्थान पर जाने से वंचित था।  आज करतारपुर कॉरिडोर खुलने से दर्शन के लिए तीर्थ स्थल जाने का मार्ग भी खुल गया है। गुरु नानक देव जी के ५५० वर्ष पूरे होने पर आज ही के दिन पूरी दुनिया के सिख समाज और हिन्दू समाज को आज ही के दिन यह अनमोल तोहफा मिला है। 

आज का दिन भारत के इतिहास का सबसे सुखद दिन  है जब ५०० वर्षो से हिन्दू समाज के लिए कलंक की तरह बाबरी मस्जिद विवाद का सुप्रीम कोर्ट के पांच माननीय जजों की संवैधानिक पीठ ने तमाम तरह के शक सुबहे और आशंकाओं को ख़तम करते हुए ऐसा न्याय किया जो समाज के सभी वर्गों के  लिए  प्रसन्नत्ता  और संतोष लेकर आया है। इतने गंभीर   विवादित मुद्दे पर इतने कम समय (४० दिन) में  सटीक निर्णय करना वास्तव में न्यायालय के लिए कठिन काम था लेकिन इसके लिए जिस दृढ़ता और आत्मशक्ति का परिचय मुख्य  न्यायाधीश और उनकी टीम ने दिया है उसकी जितनी सराहना  की जाये कम है। सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशो का  एक मत हो कर निर्णय करना अपने आप में एक बड़ी बात है।  इसके लिए कानून का विशेषज्ञ होने के साथ देश हित समाज हित के साथ देश के साथ भावनात्मक जुड़ाव जरुरी है।  और हाँ कहा जाता है  की कानून अँधा होता है लेकिन आज के सर्वसम्मति से हुए निर्णय को सुन कर यह विश्वास हो गया की कानून अँधा नहीं है। अदालत में हुए निर्णय को अपने स्वार्थो के चश्मे से देखने वाले लोग अंधे होते  है।  वास्तव में न्याय वही है जो सब के लिए प्रसन्नता का कारण  बने  समाज में सद्भाव बना कर रखे और देश की उन्नति की सीढ़ी बढे, आगे बढ़ने की राह प्रशस्त करे और आने वाली पीढ़ी को  देश हित का  सन्देश दे  हो। आखिर कानून मनुष्यों के लिए है और ऐसा कानून जो समाज के लिए देश के लिए ठीक नहीं उसका पालन न करना ही ठीक है।  आखिर राष्ट्र पिता  गाँधी ने भी तो इसी कसौटी पर कानून को जाँच कर नमक  कानून की अवज्ञा की थी। 

राम मंदिर बनाने के लिए देश के कितने ही समाज सेविओ ने अपनी जान की परवाह न करते हुए अपने जीवन को आहूत कर दिया।  विश्व हिन्दू परिषद् के माननीय अशोक सिंघल जी को इस अवसर पर याद करना आवश्यक है जिन्होंने अपना पूरा जीवन इस सुन्दर कल्पना को साकार करने के लिए अर्पित किया। कोठारी बंधू और उनके जैसे अनगिनत लोगो ने जिन्होंने अपने जीवन का बलिदान कर दिया ऐसे सभी लोगो के लिए  आज का दिन वास्तव में केवल यादगार दिन नहीं बल्कि  जीवन का  सबसे  सुन्दर दिन है और यह लोग जहा कही भी हो अति प्रसन्न होंगे।  हम हिन्दू समाज के  सभी लोग ऐसे सभी लोगो को याद करके अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते है जिनकी वजह से हिंदू समाज के भाग्यशाली लोगो के जीवन में  यह पुनीत अवसर आया है। 

देश में सुन्दर भव्य राम मंदिर बनाने का  रास्ता देश की सर्वोच्च अदालत ने आज  साफ़ कर दिया है।  इसके लिए कुछ दिशा निर्देश सरकार को दिये गए है। आशा  की जानी चाहिए भारत की सरकार और समाज के सभी वर्ग इस पुनीत कार्य में अपना सहयोग कर देश की प्रतिष्ठा पुनर्रस्थपित करने में अपना सक्रिय सहयोग कर जल्दी से जल्दी मंदिर निर्माण कर अपने आराध्य प्रभु श्रीराम को पुनः मंदिर में प्रतिष्ठित कर सकेंगे। क्योकि जिस समाज के आराध्य को सम्मान नहीं मिलता उस समाज को भी कभी सम्मान नहीं मिल सकता है। यही से देश के विश्व गुरु बनने के मार्ग प्रशस्त होगा और देश नए भारत के निर्माण की ओर अग्रसर हो कर दुनिया का नेतृत्व करेगा। समस्त मानवता का जीवन सुखी और समृद्ध बनाने का यही एक मात्र रास्ता है। 

जय  श्री राम 

अजय सिंह "एकल "