Friday, March 18, 2011

बुरा ना मानो ...

खींचो न कमानों को, न तलवार निकालो
जब तोप मुकाबिल हो, तो अख़बार  निकालो
                                                        ~   अकबर इलाहाबादी


दोस्तों,
वो पुराना जमाना था जब अख़बार निकालने की बात होती थी .अब तो मुकाबले के लिए वेब साईट होती है .सो बना दी विकिलीक्स ने और चल पड़ा मुकाबला करने.पता नहीं क्यों खुन्नस थी
अमरीका से   और तोप  का  मुहं घुमा दिया भारत की तरफ.और  खामखाँ    में मुसीबत खड़ी     करदी संकट मोचन दादा के लिए.अब दादा कहते है की सब कुछ टाइम बाउन्ड होना चाहिए १४वी लोकसभा के भ्रस्टाचार का जिक्र १५वी में कैसे हो सकता है . इससे कोई मतलब नहीं की लोग वही है. सरकार भी उसी पार्टी की है तो भी क्या हुआ ? यहाँ तक की  प्रधानमंत्री भी  वही है ,लेकिन सापेक्षता का सिधान्त तो यही बताता है न  की टाइम बदल जाने से पोजीशन    बदल जाती है ,इसलिए  अब यह चर्चा उचित नहीं है .

वैसे भी एक बार कह तो दिया प्रधानमंत्री ने  प्रेस कान्फरेंस में ,केवल प्रेस नहीं टीवी के सामने भी मान लिया  की गलती हो गयी मगर उतनी नहीं है जितनी आप लोग कह रहे है .आखिर मै क्या-क्या  कर सकता हूँ .अगर प्रधान मंत्री कार्यालय से  होने वाले के CVC के बायो  डाटा  की  रिपोर्ट गलत आयी ,या थामस साहेब ने ऐसी सेटिंग की ,कि किसी को पता ही नहीं चला की वोह पुराने घोटालेबाज हैऔर यहाँ भी अपनी चल चलेंगे और दाल गला लेंगे ,तो मै क्या कर सकता हूँ .मै प्रधान मंत्री हूँ ,अर्थशास्त्री हूँ लेकिन जादूगर नहीं हूँ ,कि बिना  बताये सब कुछ जान जाऊ  .और ये विपक्ष के पास तो न कोई काम न धाम बस जय सिया राम , न जाने कहा -कहा से सूचना ले आता    है विपक्ष.अगर मै इन बातो पर इस्तीफा दे देता तो अब तक कम से कम २०-३० बार देने का वर्ड  रिकार्ड बन जाता .और मैं दुनिया का सबसे ज्यादा बार इस्तीफा देने वाला प्रधान मंत्री बन जाता .लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया क्योंकि मुझे देश कि चिंता है.  दूसरा प्रधानमंत्री   जो मुझ से भी ज्यादा भ्रष्टाचारी निकला तो क्या करोगे .अब देखो न ६२ बरस के बाद भी लोग कहते है न कि इनसे तो अंग्रेज ही ठीक थे ,उनके ज़माने में घी २ रुपिया किलो बिकता था और कम से कम अत्याचार तो मानवता कि हद मे   रह कर करते थे .मेरे जाने के बाद  फिर ऐसे ही कहते घूमोगे कि इन बतोले बाजो से तो चुप्पा सिंह ही ठीक थे .कम से कम बोलते तो  नहीं थे ,और भ्रष्टाचार करने वालो को भी  पूरा मौका देते थे .क्योकि मै तो यह मानता हूँ कि दर्द का हद से गुजर जाना ही है खुद दवा होना .गीता मै भी लिखा है कि पाप का घड़ा भरेगा  तो फूटेगा ,तब भगवान का अवतार होगा ,तो मै अब   आप पर यह आरोप लगाता हूँ  कि  विपक्ष नहीं चाहता कि भगवान  जरा जल्दी से   पुनः  इस पवित्र भारत भूमि मै   जन्म ले और देश और प्रजा का  कल्याण करे . इसलिए मेरा मुहं मत खुलवायिए तो ही बेहतर है .

  अच्छा थोड़ी देर के लिए मान लो कि मै त्यागपत्र दे भी दूँ तो प्रधानमंत्री की कुर्सी  क्या लौह पुरुष को या सुषमा स्वराज को मिल जाएगी ? और मिल भी गयी तो क्या कर लेंगी ,जरा सी धमकी यदुरप्पा ने दी कि सबकी पोल खोल दूंगा तो ऊपर से नीचे  तक सब कि सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई .तो पहले  अपने घर में ठीक कर लो फिर मुझे कहना .याद रखना जब आप  एक उंगली दूसरे पर उठाते हैं तो आपकी  चार   उँगलियाँ आप की ओर इशारा करती हैं.

मै तो यहाँ तक कहता हूँ कि तुम जो मेरा साथ दो तो मै एक क्या सौ विकिलीक्स कि तोपों का मुहं घुमा दूँ ,नहीं तो भैया तुम जानो और तुम्हारा काम ,मेरा काम था चेताना इसलिए बता दिया वरना देवी जी याद रखना जिनके घर शीशे के बने होते है वोह कपड़े बेसमेंट  मै बदलते है .

बाबा रामदेव तो वैसे भी सफाई अभियान मे लगे है इसलिये २०१४ के इलेक्शन  के बाद तो किसी का भी प्रधान मंत्री बनना मुश्किल है. इसलिए ज्यादा खिटिर पिटर मत करो मजे से सोनिया एंड कंपनी के भ्रष्ट अचार   के साथ खाना खायो और होली में  मौज उडाओ तुम भी और मैं भी .

होली की शुभकामनाओ सहित ,

अजय सिंह "एकल"





Tuesday, March 1, 2011

शहीदों की चिताओं पर

दोस्तों,
हम कितने खुश  नसीब है  ,हमारा  देश कितना महान है और यहाँ पर  लोगों का क्या पूछना .अरे मरने वाले मर गए अब उनकी याद में क्यों परेशान होना है भाई .रात गई बात गई .आखिर यादों  को लेकर जिन्दगी भर बैठे थोड़ी रहेंगे .हम प्रोग्रेसिव है और इसका प्रमाण भी हम जब तब देते रहते  है . 
अब ये तो कोई बात न हुई की चन्द्र शेखर आजाद को मरे ८० साल हो गए और अब भी हम उन शहीदों की चिताओं  पर मेले  ही लगाते रहे .अरे  उस  ज़माने की बात और थी तब     चिताओं पर   मेले लगते थे  मेले में लोग आते थे शहीदों की याद में कुछ गीत कविताए होती थी आंसू बहते थे ,और अच्छी  खासी दुकानदारी हो जाती थी .पर अब किस के पास इतना टाइम धरा है जो मेले आये और आ कर शहीदों की याद करे .अब तो घर में भी कोई मर जाये तो आदमी १३ दिन के बजाये ३  दिन में ही निपटा देता है ,अरे टाइम कहाँ  है .और फिर कमाई भी तो करनी है .आखिर टाइम के साथ सब चीजे बदलती है अरे इसीको को कहते है मोडर्न होना.
तो भैया ८० साल बाद इलाहबाद में ठीक उसी जगह  और उसी दिन जहाँ चन्द्र शेखर आजाद शहीद हुए थे ,लोगो ने   लगा दिया कुत्तो का मेला (Dog show) .कुछ पुराने सिरफिरे किसिम के लोग आगये नारे वारे लगाते कहते थे यहाँ शहीदों की याद में मेला लगेगा ,पुलिस ने मार पीट के भगा दिया नारा लगाने वालो को .आखिर धंघे का मामला  हो तो सेटिंग तो करनी पड़ती है न, सो  उनका भी धंधा हो गया और हमारा  भी . 

और वैसे भी अब इस देश में आदमी और कुत्ते में ज्यादा फरक भी कहाँ है चाहे लाइफ स्टाइल का मामला हो या वफ़ादारी का ,बराबरी की जाये तो कुत्ता ही अव्वल आयेगा  .फिर आम आदमी की हालत तो गली के कुत्ते के जैसी ही है .इसलिए  अब 

शहीदों की  चिताओं पर लगेंगे  कुत्तो के मेले 
वतन पर मरने वालो का नहीं कोई निशाँ होगा 
                  
                         पूरा समाचार यहाँ पढ़े: 

Dog show organised, activists cry foul



















अजय सिंह "एकल"

दादा का बजट

दोस्तों,
हमेशा की तरह इसबार भी भारत सरकार का बजट पार्लियामेंट में पेश हो गया ,कांग्रेसियो ने तारीफ की और विरोधियो ने विरोध कर दिया  | कुछ लोगो ने इसे आम आदमी का बजट बताया तो कुछ ने खास लोगो को फायदा  पहुँचाने  वाला ,मतलब ये की सबने अपने-अपने हिसाब से बयान बाजी कर दी और अख़बार में छप   गए|

मुझे तो दादा बंगाल के जादूगर सरीखे नजर आये | शो के समय जैसा दिखाना चाहते थे दिखाया ,जब बाहर निकले तो लोगो की जेब हलकान थी और माल सरकार के पास कैसे पहुचेंगा इसकी बाकयदा प्लानिंग हो चुकी थी | 

८० साल पार कर गए लोगो का इनकम  टैक्स  कम लगेगा अरे भाई ठीक ही है ,जब आदमी के जिन्दा रहने में इतनी मुश्किले है और लोग तिल तिल कर मर रहे हो तो इतनी महंगाई   मे  ८० साल जी लेने वाले को  इनकम टैक्स की छूट के अलावा भारत सरकार का "शतायु पुरुस्कार" भी मिलना ही  चाहिए |  ऐसे लोगो का  उदाहरण दे कर सरकार जवानो का मुह बंद कर सकती है |और फिर दादा के सारे साथी भी तो इसी ग्रुप मे है और दादा तो सबमे सीनियर है , अब आखिर मंत्री तो जिन्दगी  भर रहेगे नहीं इसलिए  मंत्री रहते भविष्य तो सुरक्षित कर लेने में ही फायदा है , वर्ना कल किसने देखा है | अरे हाँ परेशानी के इस माहोल मे आदमी जल्दी बूढ़ा होता जा रहा है यह सरकार को भी पता है तभी तो सरकार ने ऐसी व्यवस्था कर दी है की अब  सीनियर सिटिज़न का ख़िताब और उपहार ६० बरस मे ही मिलजायेंगे ताकि मन मे ये न रहे की हम तो जी भर के जी  नहीं पाए और  सीनियरसिटिज़न का लाभ नहीं मिला|

यही  दादा महंगाई कम करने के लिए दबाव पड़ने पर कहते है की मै कोई जादूगर थोड़ी हूँ ,लेकिन महंगाई बढाने की जादूगरी  तो कर ही लेते है | और दादा ही क्यों ,शरद पवार भी तो कहते है की मै जादूगर नहीं हूँ यहाँ तक प्रधानमंत्री तक को भी यह मानना पड़ा की वो जादूगर नहीं है ,यानि मंत्रिमंडल मै कोई जादूगर है नहीं और सरकार को यह पता है की जनता दुःख    बढ़ा   तो कोई भी सकता है लेकिन दूर करने को जादूगर ही  चाहिए तो जादूगर बंगाल मे मिलते है |अरे भाई  U .P. A. सरकार  में दादा और दीदी दोनों ही बंगाल  का  काला   जादू  कर रहे है | 

अब  देखिये दीदी की जादूगरी   उनकी रेल बिना ड्राईवर ,गार्ड के चल रही है न | दीदी कलकत्ता मे बैठ कर दिल्ली मे रेल चलाती है ,लोगो की रेल बनाती  और पिछले 3 सालो मे ऐसी  रेल चलाई की सीधी राइटर बिल्डिंग जा कर रुकेंगी,है न दीदी की जादूगरी|

क्या ऐसा नहीं हो सकता अगले चुनाव मै जादूगरों को मौका दिया जाये ,और अगर  ५४१ ट्रेंड लोग  पार्लियामेंट    के लिए  न मिल सके तो इसका बाकयदा पाठ पढाया जाये ,ट्रेनिंग दी जाये |सरकार को  एक नए इंडियन इंस्टीटूट ऑफ़ मैजिक (I I M ) की घोषणा करनी चाहिए | ताकि हिंदुस्तान की जनता का कष्ट  सरकार दूर कर सके |इसी तरह विधान सभा के लिए  भी ऐसे वोकेशनल  ट्रेनिंग  कोर्से भी शुरू हो सकते है | ताकि जिम्मेदार पदों पर ऐसे लोग बैठे की जो समस्याओ को बढ़ाने के साथ उसको कंट्रोल करने के उपाए भी निकल सके |ये ना हो  की बयान दे कर समस्या बढ़ा तो दे और जब कंट्रोल करने की जरुरत पड़े तो बोले की हम कोई जादूगर थोड़े ही है | इससे    कम से कम आम आदमी को जीने का सहारा तो मिलेगा ,वरना अगले चुनाव तक तो लंगोटी भी नजर नहीं आयेगी | 

अजय सिंह "एकल"