Sunday, November 13, 2011

गुस्सा आता है ?

प्रिय दोस्तों ,
पहली बार इस देश के किसी नेता ने जनता से पूछा है की आपको व्यवस्था पर गुस्सा क्यों नहीं आता है .बहुत अच्छा लगा . सदा मुस्कराते रहने वाले राहुल गाँधी  जब गुस्सा करते है तो सारी मिडिया का ध्यान आकर्षित करते है और उनके पार्टी जन उनकी इस अदा पर फ़िदा हो जाते है .राहुल का दलित के घर जाना और वहां खाना ,कभी मेट्रो ट्रेन में जाना ,कभी मुंबई की लोकल में सफ़र करना राहुल की अदाओ में शुमार है और क्योंकि मीडिया में इस बहाने से चर्चा हो जाती है इसलिए समय -समय पर  ऐसा करना जरुरी है  . नेता गिरी करने के लिए मीडिया में बने रहना राहुल की जॉब प्रोफाइल का हिस्सा है .

मगर राहुल को यह पता नहीं है की गुस्सा करने के लिए दो आवश्यक बाध्यताए है जिनके बिना कोई गुस्सा कर ही नहीं सकता ,एक तो उसका पेट भरा होना चाहिए और दूसरा कोई गुस्सा देखने वाला होना चाहिए . तो जनाब राहुल के पास दोनों है और इस देश की ७० फीसदी जनता के पास दोनों नहीं है .इसी लिए मिर्जापुर में राहुल साहेब ने जब पूछा की आप लोगो को व्यवस्था पर गुस्सा क्यों नहीं आता  तो जनता को कोई जवाब नहीं सूझा.

लेकिन देश की ३० फीसदी जनता जो अपना  पेट किसी तरह भर लेती है और और जिसका गुस्सा भी कोई न कोई देखने वाला है को गुस्सा आता  है :

जब महंगाई बे हिसाब बढती और कमाई कम पड़ने लगती है .और अर्थशास्त्र के ज्ञाता   प्रधान मत्री जी कहते है की उनके पास जादू की छड़ी नहीं है.

जब हर दूसरे महीने पेट्रोल के दाम बढ़ जाते है और वित्त मंत्री जी कहते है की हम कुछ नहीं कर सकते है.

जब बेकसूर  जनता आतंक वादियो के द्वारा मारी जाती और देश के  गृह मंत्री का बयान आता है की ३२ महीने से कोई आतंकवादी घटना नहीं हुई  यह क्या कम है .और देश के युवराज राहुल कहते है आतंकी घटनाओ को १०० फीसदी रोक पाना असंभव है.

जब कोई मंत्री देश की जनता की गाढ़ी कमाई को लूट कर अपना और सम्बन्धीयो का घर भर लेता है और उसको जेल में भी घर जैसी सुविधाएँ प्राप्त होने की खबर आती है.

जब आपकी पार्टी के कानून मंत्री दागी कंपनियो के अधिकारियो को छोड़ देने की वकालत यह कह कर करते है की इससे देश में लोग व्यापार करने में झिझकेंगे .

जब संचार मंत्री ५० करोड़ के जुर्माने को ५ करोड़ कर देते है और विरोध करने पर जवाब आता है की फिर कोई मंत्री निर्णय नहीं ले सकेगा इसलिए आप  इसकी तारीफ करें या न करे लेकिन आलोचना तो बिलकुल न करे.

जब आपकी पार्टी हर उस आदमी को परेशान करने लगती है लो भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठता है चाहे वोह बाबा राम देव हो या अन्ना हजारे .

जब देखता हूँ की मोंटेक सिंह अहलुवालिया जी का जी -२०  मीटिंग के बाद बयान आता है की यूरोप    को भारत बेल आउट पैकेज दे सकता है .

जब भारत के  प्रधान मंत्री भारत के खिलाफ अतंकवादियो की फ़ौज तैयार करने वाले देश पाकिस्तान के प्रधान मंत्री को  शांति का मसीहा बताते है.

कहाँ तक आपको  बताऊँ बड़ी लम्बी है फेहरिस्त .लेकिन अच्छा है  आप देखने को तैआर हो  तो जनता समय -समय पर आपको बताती रहेगी. इसकी एक बानगी आपको उत्तर प्रदेश के चुनाव के नतीजो में  पांच महीने बाद देखने को मिलेजाएगी    इसी आशा के साथ,

आपका 

अजय सिंह "एकल"