Thursday, June 14, 2012

मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की

मित्रो ,
मर्ज  बढ़ता गया ज्यों-ज्यों  दवा की,यह बात जब मैंने अपने एक मित्र से कही तो वह तपाक से बोला क्या सरकारी अस्पताल मैं गए थे? मैं आश्चर्य में था और उससे   पूछा तुम्हे कैसे मालुम तो वह  बोला, देखो कैसे पहले इंजिनयरिंग  की दो प्रवेश परीक्षाये  होती थी, एक आइ आइ टी की और दूसरी ए आइ ई ई ई की . सरकार ने उसको हटा कर एक कर दिया नतीजा,  अब  करीब -करीब  सारे आइ आइ टी अपनी-अपनी  प्रवेश परीक्षा करंगे। कानपुर आइ आइ टी ने घोषणा कर दी  है बाकी  लाइन मे  है . नतीजा छात्रों की समस्याए कम होने के बजाय बढ गयी .पहले दो की तैयारी करने का दबाव था अब पन्द्रह का है और मर्ज  ऐसे ही बढ़ता रहा तो भगवान ही मालिक है.

यदि      आपको अभी   भी शक है तो सरकार के   कामन वेल्थगेम
 के समय शुरू हुए कनाट प्लेस के सुन्दरी करण का हाल देख लीजिये
 दो साल  ख़तम  होने को है लेकिन  वहां के  दुकान दारो  का दुकान में सीवर के पानी के घुसने का डर अभी भी बना हुआ  है  (You can read news by clicking on link) नतीजा सुन्दर होना तो दूर नए समस्या पैदा हो गयी है जिसका इलाज अब वहा के लोग धुड्ने  मैं लगे है. अब तो हो गया न विश्वास  की मर्ज बढ़ता गया ............


बचपन मैं एक कहानी सुना करते थे l एक मास्टर साहब  अपनी क्लास मैं बच्चो को पढ़ा रहे थे गंगा भोपाल होकर बहती है ,प्रिंसिपल साहब  को जब पता चला उन्होंने मास्टर से उसका स्पष्टी करण  को कहा तो उनका जवाब था की जितने पैसे आप देते हो उतने मैं तो गंगा भोपाल से ही बहेगी पूरे  पैसे दो तो मैं गंगा को कानपुर हो कर बहाऊंगा .बात मजाक की थी और चुटकुले की तरह सुनाई जाती  थी,पर अब इसको सच कर दिखाया है टेरी ने .दरअसल,पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने नेशनल गंगा रिवर  बेसिन अथारटी (NBRA) के लिए जो रिपोर्ट टेरी (Tata Energy Research Institute )  ने तैआर  की है उसमे पृष्ठ संख्या 124  पर गंगा नदी को बिहार के गया शहर से बहता बताया गया है (You can down load the report by clicking on link) मुझे नहीं पता  ऐसी  भूल गलती से हुयी है या जानबूझ कर .

भारत में  राष्ट्रपति का चुनाव इसबार काफी दिलचस्प है ,प्रणव दादा और हामिद अंसारी तो लाइन मैं थे ही, मुलायम और ममता की जुगल बंदी ने प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के नाम को प्रस्तावित करके शायद यह बताने की कोशिश  की है की उनकी सही जगह राय सीना हिल्स पर है क्योंकि वहां पर आम तौर पर उन्ही लोगो को भेजा जाता है जो सत्ता पार्टी और उसके नेतृत्व के लिए  वफ़ादारी के साथ रबड़ की मोहर की तरह काम कर सके और मनमोहन सिंह इसके लिए बिलकुल उपुयुक्त है और इसका सबूत  उन्होंने पिछले 8 सालो में दे दिया है. प्रधान मंत्री रहते हुए अपनी वफ़ादारी पर कोई शक  करने  की  वजह  नहीं बनने  दी  और  रबर  स्टैम्प से  ज्यादा
कुछ करने कि बात  सपने मैं भी नहीं सोची .

 स्टैण्डर्ड एंड पुअर नामक साख रेटिंग अन्तराष्ट्रीय एजेंसी ने देश की साख जंक मैं परिवर्तित करने की बात कह कर सरकार और व्यापर जगत में भूचाल ला दिया है.उस पर एस  एंड  पी  का यह कहना  की   यू पी ऐ  की   संगठन  प्रमुख श्रीमती सोनिया के नेतृत्व वाले  समूह में निर्णय लेने की क्षमता नहीं है इसलिए देश का आर्थिक विकास रुक गया है,भारतीय   करेंसी  साख खो रही रही है,उद्योग, धंधे चौपट हो रहे है इसलिए  भारत की साख  दावं पर है. और यदि स्थिति  में सुधार  नहीं हुआ तो  बाकि रही सही भी साख  ख़तम हो जायेंगी .जंक  ग्रैड  होने से नया निवेश नहीं आयेगा और पुराना भी वापस हो जायेगा क्योंकि भारत  निवेश  के लिए सेफ  नहीं रहेगा कुल मिला कर बँटाधार होने की तैयारी है।  कहते है कि  नीरो   उस समय बंसी बजा रहा जब रोम मैं आग लगी थी,इसलिए इस  बन्टाधारी  मैं मुझे  नया कुछ नहीं दीखता है, यू पी ऐ की नेत्री जो रोम से ही आयी है  वह भी कुछ  स्वाभाविक  गुड़ नीरो के ले कर  आयी होंगी, क्योंकि  आग  लगी दिख  रही है और फायर  ब्रिगेड की घंटी (बांसुरी  का संगीत) भी सुनाई दे रही  है।


                                            और अंत मैं 


मर्जे इश्क पर रहमत खुदा की  

मर्ज बढ़ता ही गया ज्यो -ज्यो दवा  की 
                     
                                                 मोमिन खान मोमिन 






              अजय सिंह "एकल"

1 comment:

Capt. Anand Kumar said...

Ajay ji, your style of writing is such a pleasure to read. It always reminds me of the great satirists of Hindi, Srilal Shukla and Harishankar Parsai.
However, if medication is fuelling the disease, what alternatives do you suggest? Let the patient die or try another medicine. Do we have another medicine?