Sunday, April 7, 2013

जाकी रही भावना जैसी ........

दोस्तों,
यह कोई पहली बार नहीं है जब भारत  की उपमा किसी ने  माँ या मधुमक्खी से की  है। इससे पहले उस समय  देश की प्रधान मंत्री और राहुल की   दादी मां की  तुलना  इंदिरा इज इंडिया कह कर की थी।जमाना  आपात काल का था और   उनकी चौकड़ी के एक सदस्य ने  ऐसी तुलना करके पहली बार चमचा गिरी के नए कीर्तिमान स्थापित किये थे और उसकी जब किरकिरी  हुयी तो  कांग्रेस चौकड़ी  के लोगो ने बड़े -बड़े तर्क दे कर उसको तर्क सिद्ध करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी । उत्तर प्रदेश के एक पदासीन मंत्री आजम खान  भारत माँ की तुलना डाईन से भी  कर चुके है और शान से मंत्री बने हुये है। इतिहास ने एक बार  फिर अपने को दोहराया है।

अब राहुल ने भारत की तुलना मधुमक्खी के छत्ते से की है। ऐसा नहीं है की मधुमक्खी में कुछ गुण नहीं है।यहअत्यंत मेहनती होती है और शहद के लिए बड़ी दूर दूर तक जाती है और  खास बात यह की सारी मक्खियाँ रानी मक्खी के लिए काम करती है। अब राहुल ने जन्म से यही देखा है पहले दादी मां और अब उनकी माँ रानी  मक्खी  बनी बैठी है और ऐसा  लगता है कि  पूरा देश  उनके लिए  मधुमक्खियों की तरह ही मेहनत से काम कर रहा  है। और ख़ास बात यह कि   यदि कोई उस छत्ते को हाथ लगायेगा तो  सारे   कांग्रेसी नेता मधुमक्खियों  की तरह ही पीछे लग जायेंगे। क्योंकी  रानी मधुमक्खी के लिए काम करते हुये कुछ शहद तो इनके हाथ भी लग जाता है।बस यही फर्क है, इसीलिए देश    मधुमक्खी नहीं है क्योंकी वहाँ बाकी मक्खियाँ रानी मक्खी के लिये पूरी ईमानदारी से काम करती है और यहाँ रानी के लिए काम करते हुए कुछ  शहद काम करने वाले  अपने लिए निकाल लेते है  जैसे की टू जी और कोल गेट जैसे अनंत घोटालों में पिछले सालो इस देश में हुआ  है। इसी वजह से राहुल के बयान पर तरह तरह के तर्क उनके मंत्री दे कर  उसको तर्क सिद्ध करने की कोशिश कर रहे है।
राहुल ब्रिगेड के सबसे उर्जावान सूचना और प्रसारण मंत्री ने राज उजागर करते हुए बताया की भ्रामरी देवी का एक मंदिर उत्तरांचल  में है और मधु मक्खी से देश की तुलना का  बयान देते हुए राहुल के दिमाग में वह देवी थी  इसलिए उन्होंने  भारत देश की तुलना   मधुमक्खी से  की थी। दूसरे उर्जावान  मंत्री राजीव शुक्ला साहब बताते है  की भाजपा को मुहावरे नहीं समझ आते है। इसलिये वह राहुल के बयान को समझ नहीं पाए है और बात का बतंगड़ बना रहे है। और इस तरह से राहुल कवच बनने की कोशिश कर रहे है।ठीक ही  है आखिर आदमी अपने स्वार्थ के आगे न देखने की प्रैक्टिस करके ही  वहाँ  तक पहुँच सकता जहाँ तक आप लोग पहुंचे है वर्ना आपसे ज्यादा काबिल लोग तो सैकड़ो पड़े है आपकी पार्टी में और  देश में तो हजारों  धक्के खा रहे है।आखिर जब आपको आपकी चमचा गिरी  का इनाम मिल जाये तो भी आपको यह लगातार करते रहना पड़ता है लगातार शहद पाने के लिये।

एक आदमी जिसने पूरा जीवन देश सेवा में  लगाया हो और सोते जागते केवल देश की भलाई का सपना  देखता हो सुबह शाम भारत को एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में विश्व गुरु बनाने की कल्पना और प्रार्थना करता हो तो निश्चित रूप से उसके लिए भारत माता ही हो सकती है। क्योकि कोई भी तर्क संगत बात करने वाला  बुद्धिमान  व्यक्ति शहद के लिए यह सब नहीं करेगा।और उसके लिए ही क्यों आखिर भगत सिंह   और उनके जैसे
अनगिनत क्रन्तिकारी साथियों ने हँसते हँसते फांसी का फंदा मधुमक्खी के लिए नहीं भारत को माँ समझ इसको  स्वाधीन कराने को चूमा था।गुरू गोविन्द सिंह सरीखे लोगो ने अपने बच्चो को जिन्दा दीवार में मधुमक्खी के छत्ते के लिए नहीं भारत माता की आन बान  और शान बचाने के लिए किया था। और महाराणा प्रताप ने भी घास की रोटी  मधुमक्खी के छत्ते को बचाने के लिये नहीं बल्कि भारत को अपना जन्म देने वाली माता से भी ज्यादा प्यार और सम्मान देने के लिए
खाई थी। लेकिन विदेशी माता और भारतीय पिता की सन्तान राहुल को तो देश भारत माता के बजाये रानी माँ के लिये शहद इकट्ठा करने का टूल ही दिखाई देगा।और आश्चर्य नहीं की अन्दर खाने मन में यह बात भी हो की शहद इकट्ठा होने के बाद इसको बर्तन  में   भरकर कहीं  ले भी  जाया  जा सकता है।

ठीक ही है पत्थर में भगवान देखने वाले को पत्थर के बने खम्बे से भी भगवान निकलते नजर आते है वर्ना भगवान के अस्तित्व को भी हलफ़नामा देकर नकारा  जा सकता है।ऐसे ही लोगो के लिए तुलसी दास ने चार सौ साल पहले कहा था
 
जाकी रही भावना जैसी प्रभु  मूरत देखी तिन तैसी
अब हमारे जैसे  मधुमक्खी की तरह  मेहनत  करने वाले  लोग तो केवल ईश्वर से इन लोगो को सद्बुद्धि  देने की प्रार्थना ही कर सकते है।और यह कामना भी कि  हमारा लाया और कमाया हुआ शहद खाये कोई भी लेकिन कम से कम देश में ही रहे और देश के काम आये।


और अंत मे  

वो जिसके हाथ मैं छाले हैं ,पैरों मैं बिंवाई है 
उसी के दम से रौनक आपके बंगले मैं आयी है
इधर एक दिन की आमदनी का औसत है चवन्नी का
उधर लाखो में गाँधी जी के चेलो की कमाई है।

अजय सिंह "एकल "

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