Sunday, May 3, 2015

अच्छे दिनों के इंतजार का एक साल

मोदी सरकार कुछ दिनों में अपने एक साल पूरे करने वाली है,आम आदमी के लिए इसके दो मायने है।  एक तो आम आदमी की उम्मीदों के इंतजार का एक साल खत्म होने को है और उम्मीदे अभी भी सर उठाये है, दूसरा
मोदी सरकार को मिले पांच साल में से एक कम हो गया है। जिन वादों पर सरकार बनाने के लिए अपार जन समर्थन भारत की जनता ने दिया था उनका क्या हुआ उसका सिंघावलोकन कर कमिओं को दूर कर नयी ऊर्जा के साथ पुनः लग जाया जाये ताकि देश की दशा और दिशा में वांछित परिवर्तन की सार्थक शुरुवात हो और हम खोई हुई प्रतिष्ठा को प्राप्त कर विश्व में अपना स्थान बना सके।  चलिए एक एक कर वादो और उपलब्धियों का विश्लेषण करते है :

१. काले धन की वापसी :   इस देश की ख़राब आर्थिक स्थितियों के लिए जो नीतियाँ जिम्मेदार है उनमे  से एक अत्यंत  महत्व पूर्ण है देश के धन को विदेशों में जमा रखना।  बाबा रामदेव ने इस मुद्दे  के विभिन्न पहलुओं को पिछले पांच से भी अधिक वर्षो से आम जनता के सामने उठाया हुआ है।  भाजपा ने भी इसे समय समय पर खूब उछाला ,और मोदी जी ने अपने चुनावी अभियान का एक प्रमुख मुद्दा बना कर पेश किया। नतीजा आम आदमी का यह मुद्दा बड़ी आसानी से बहुत बड़ी आबादी को आकर्षित करने में सफल तो रहा,किन्तु पिछले एक साल में
जो प्रगति इस मुद्दे पर हुई है वह केवल सांकेतिक है।  पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली चुनाव  के पहले एक इंटरव्यू में यह कह कर की "यह वादा तो केवल चुनावी जुमला था " आम आदमी को बहुत निराश किया।  और इसका नतीजा तुरंत दिल्ली  के चुनाव में दिखाई भी पड़ गया है तो भी ऐसा नहीं दिखता है की सरकार कुछ विशेष कर रही है। यह सभी लोगो को मालूम है की यह अन्तराष्ट्रीय विषय है तथा कई बड़े कार्पोरेशन इससे प्रभावित होने वाले है  इसलिए भारत सरकार चाह कर भी बहुत तेज एक्शन  नहीं ले सकती है तो भी यदि सरकार के स्तर पर यदि कुछ प्रभावी कदमों के बारे में चर्चा हो और वह दिखाई भी पड़े तो जनता में खोया विश्वास लौट सकता है।
2. सब के लिए मकान :  सबके लिए रोटी, कपडा और मकान का वादा अच्छे दिनों के लिए दूसरा ऐसा चुनावी मुद्दा था जिसने मोदी की राह चुनाव में आसान बनाई थी । एक साल बीतने के बाद भी इस दिशा में कोई उलेखनीय प्रगति हुई है ऐसा आम आदमी को दिखाई नहीं पड़  रहा है। उलटे जमीन अधिग्रहण का मसला किसानों के लिए और सबके लिए घर योजना  सरकार के गले की हड्डी बनती  दिखाई दे रही है। सरकारी योजनाये, बजट में व्यस्थाएं ,बिल्डर को सुविधाएँ और नियम  न पालन करने पर कड़ी सजा का प्राविधान इत्यादि में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। आम आदमी की आशा के अनुरूप अभी कुछ खास नहीं हुआ है। दरअसल यदि सरकार कुछ कड़े निर्णय लेने का साहस करे और जो घर बने हुए है इनका उपयोग सुनिश्चित करने की योजना पर अमल करे तो समस्या का बड़ा हिस्सा तेजी से काबू आ सकता है। लेकिन इसके लिए सरकार को यह तय  करना होगा की वह इसका पालन कड़ाई से कर सकती है चाहे उसके अमीर समर्थक नाराज भी हो तो भी। करना केवल यह है की एक संस्था बना कर खाली पड़े सभी  मकानों को रहने के लिए उपलब्ध करना बाध्यकारी  होगा  और सरकार सुनिश्चित करेगी की जो भी मकान उपलब्द्ध कराये जायँगे उनकी भौतिक स्थिति और मालिक को आवश्यकता पड़ने पर तय समय में वापस हो जायेंगे। साथ ही मकानों में लगी पूंजी पर उचित फायदा मालिक को होगा।
३. विदेश नीति : विदेश नीति पर मोदी सरकार को कुछ अपवादों को छोड़ दे तो कह सकते है की आशातीत सफलता मिली है। पश्चिम में अमेरिका ,कनाडा ,जर्मनी फ़्रांस पूर्व में ऑस्ट्रेलिया ,जापान, चीन ,फिजी इत्यादि पडोसी देशो में  श्रीलंका ,विएतनाम लगभग सभी देशों में मोदी जी  भारत के प्रमुख के नाते न केवल अपनी मौजूदगी का एहसास करवाने में सफल रहे है बल्कि देशो के साथ सम्बन्धो में गर्मजोशी, और वहां रह रहे भारत वंशियो में उत्साह एवं उनका सक्रिय सहयोग भारत के उत्थान में हो इसको सुनिश्चित करने के सभी उपाय मोदी सरकार ने किये है। भारत में  व्यापार नियमो को सरल एवं तर्कसंगत बनाना ,आने जाने के लिए आसानी से वीसा
की उपलब्धता ,विदेशी कम्पनियो के द्वारा लगाई जाने वाली पूंजी एवं उसपर मुनाफे के वापस ले जाने के नियम जैसे कई महत्व पूर्ण निर्णय मोदी सरकार ने पिछले एक साल में किया . अमेरिका के राष्ट्रपति का गणतंत्र दिवस पर मुख्य अथिती  बनना और वर्षो से लंबित सुगम व्यापार के  लिए मार्ग प्रशस्त करना ,फ्रांस के साथ रक्षा सौदा ,कनाडा का अणु बिजली के लिए अणु ईंधन इत्यादि कुछ ऐसी उपलब्धियाँ है जिन्हे कोई नकार नहीं सकता और यह भारत को विश्व पटल  पर एक शाक्तिशाली राष्ट्र के रूप में खड़ी करने में सहायक होंगी।
४. मेक इन इंडिया : मोदी सरकार द्वारा उद्घोषित  किया गया एक ऐसा अभियान है जिसके सफल होने पर देश की कई समस्याओं का निराकरण एक साथ संभव हो  सकता है।  भारत नौजवानों का देश है इनकी ऊर्जा का इस्तेमाल भारत निर्माण में होने से नौजवानों को काम और देश की जी डी पी में पॉजिटिव   बढ़ोत्तरी होंगी , व्यापारिओं को निवेश के नए उद्यम ,विदेश व्यापार में अपेक्षित तेजी ,विदेशी पूंजी को आकर्षित करने जैसी 
अनगिनत संभावनाओं को संभव करने की क्षमता वाला यह अभियान निश्चित रूप से गेम चेंजर साबित हो सकता है। मंत्रालयों के स्तर पर अनेक घोस्णाए इस सम्बन्ध में हुई है। मुद्रा बैंक का उद्घाटन भी इस दिशा  में एक अच्छा कदम तो है लेकिन घोषणा के एक माह बाद भी अभी इसकी नीतियाँ आम जनता के लिए उपलब्ध नहीं है। वेब साइट बनी नहीं है यानि अभी मामला आधा अधूरा सा  है।  सिडबी के माध्यम से मुद्रा बैंक काम करने वाला है लेकिन पूरी और स्प्ष्ट जानकारी वहां पर भी नहीं है।  यह जल्दी में उद्घटिक एक प्रोग्राम लगता है। सरकार को अपनी ऊर्जा लगा कर ऐसे मसलो को प्रार्थमिकता के आधार पर करना चाहिये ताकि जनता के बीच में सही सन्देश जाये और जनता का पूरा समर्थन योजना को प्राप्त हो सके।  
5. स्वच्छता  अभियान :  स्वतन्त्रता दिवस पर मोदी सरकार ने देश में स्वच्छता अभियान के शुरुवात की घोषणा कर भारत की जनता और खास कर गरीब तबके के लिए मानों वरदान ही मिल गया है ऐसा ऐहसास दिलवाया था। तबसे अनेक घोषणाएं इस अभियान को सफल बनाने  गयी है, उदहारण के लिए कंपनियों द्वारा इस अभियान पर निवेश   किया जाने वाले धन पर आयकर में छूट, गांवों में बनने वाले सार्वजानिक एवं वयक्तिगत शौचालय पर सरकार के द्वारा सब्सिडी देना , शहरी कूड़े से ऊर्जा उत्पादन के लिए कम ब्याज पर धन उपलब्ध करवाना इत्यादि इत्यादि। हालांकि सरकार के अभियान की घोषणा करते है बड़े औद्योगिक घरानो ने भी सहयोग
करने की अपनी इच्छा का ऐलान किया था ,यह ऐलान कितना प्रभावी हुआ है और इसके क्या नतीजे आये है इसके कोई आकंड़े अभी उपलब्ध नहीं है  तो भी दिन प्रतिदिन आने वाली सूचनाओं के आधार   कह सकते है की अच्छे नतीजों की उम्मीद की जानी चाहिये।

मोदी सरकार का एक साल २६ मई को पूरा होगा ,इसलिए हम इस लेख को  चार अंको में समापन करंगे।

अजय सिंह " एकल "










No comments: