Tuesday, May 19, 2015

बारह महीने सत्रह देश :मोदी सरकार का एक साल

मित्रों,
नरेंद्र मोदी जी ने २६ मई २०१४ को शपथ लेने के बाद से एक साल में करीब १९ विदेश यात्रायें  की है।  इसमें पंद्रह  यात्रा स्टेट प्रमुख के नाते हुई है तीन यात्रायें शिखर सम्मलेन में भागीदारी के लिए और एक यात्रा सिंगापुर के पूर्व प्रधान मंत्री की अन्येष्टि में भाग लेने के लिए थी।नेपाल की यात्रा दो बार हुई एक बार स्टेट प्रमुख के नाते और दुबारा शिखर सम्मलेन में भाग लेने के लिए। 

विरोधी दल कांग्रेस ,जनता परिवार के लोग और वाम नेता सरकार पर मोदी के देश में कम और विदेश में ज्यादा रहने का आरोप  लगा कर जनता को गुमराह करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते  है।लेकिन आपको जान कर आश्चर्य होगा की जिस बात पर संसद से जमीन  तक शोर मचा हुआ है उसकी सच्चाई क्या है ?और वास्तव में क्या मोदी जी ने विदेश यात्रायें बहुत ज्यादा की है ?क्या वह देश के एन आर आई प्रधान मंत्री है ?

नीचे दिया हुये  चार्ट  से स्पष्ट है की मोदी जी ने एक साल में ५३ दिन विदेश में बिताये और मनमोहन सिंह ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले साल में ४७ दिन  देश से बाहर बिताये यानी एक सप्ताह ज्यादा। यदि यह तुलना राहुल गांधी के विदेश में रहने से की जाये तो वह विदेश में ५६ दिन एक साथ लम्बी छुट्टी मन कर देश लौटे है। यानि मोदी के काम करने के लिए जाने पर एतराज और अपने  ऐश करने पर चुप्पी


 अब आइये जरा दोनों प्रधान मंत्री की यात्राओं का विजिटेड देशो के साथ सम्बन्धो का वहाँ रह रहे भारत वंशियो पर प्रभाव की तुलना करेंगे तो पता चलेगा की मनमोहन सिंह की यात्राओं का लोगो को तब पता चलता था जब उनके जाने की खबर अख़बार में या टी वी पर आती इसके मुकाबले में मोदी के जाने के पंद्रह दिन  से लेकर एक महीने पहले से चर्चा शुरू होकर एक महीने बाद तक रहती है और जितना बिज़नेस मोदी की यात्राओ के दौरान हो रहा है शायद यह अपने आप में एक रिकार्ड बनने वाला है।  हर देश का मुखिया मोदी के आने की तैयारी करता है स्वागत करता है और सम्बन्धों  में गर्मजोशी भरने में कोई कसर छोड़ता है। चाहे वह अमरीका के ओबामा हो या जापान के प्रधान मंत्री शिंजो अबे या चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग हो।
भारत वंशियो को फिर देश हित  से जोड़ना ,विदेशी पूंजी को देश में लेन के लिए समझौते करना ,रक्षा सौदा ,परमाणु बिजली के लिए तकनीक,परमाणु ईंधन ,यूनाइटेड नेशन में भारत की स्थाई जगह इत्यादि मोदी के विदेश दौरों का एजेंडा रहा है और बहुत हद तक मोदी ने इसमें अपने एजेंडा अनुसार सफलता प्राप्त की है इसको विरोधी भी स्वीकार कर रहे है और विदेशी भी। जिन अंतर्राष्ट्रीय समझौतों पर वर्षो से प्रगति विभिन्न कारणों से नहीं हो रही थी अधिकांश में सफलता मोदी जी ने प्राप्त की है और देश का मान बढ़ाया है।

देश के सर्वांगीण विकास के लिए पडोसी तथा शक्ति शाली और विकसित देशो के साथ अच्छे सम्बन्ध होना एक खास आवश्यकता है मोदी जी अपने करिश्माई व्यक्तित्व एवं बड़ी और राष्ट्रीय सोंच से काम करने वाले पहले प्रधान  मंत्री बने है। इसका व्यापक प्रभाव दुनिया में हो रहा है और भारत का सम्मान बढ़ा है।


अजय सिंह "एकल "




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