Wednesday, March 21, 2012

समझो बस अंत आ गया



प्रिय पाठको,

अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री की घोषणा होने के साथ ऐसा लगता है अब उत्तर प्रदेश के दिन बदलने वाले है . समाज वादी पार्टी  को स्पष्ट बहुमत से भी ज्यादा सीटे मिलने के बाद सारी राजनैतिक  अटकले समाप्त हो गई है. अखिलेश एक तो जवान है ,पढ़े लिखे है, देश विदेश में पढ़े और बढे है आधी दुनिया  घूम चुके है और पूरी दुनिया का हाल जानते है , अतः कह सकते है की .प्र. में थोड़ी देर से ही सही पर बसंत गया है. सही कहा था अखिलेश ने की राहुल अभी तो पर्चे फाड़ रहे है और बाहें चढ़ा रहे है जब  नतीजे आयेंगे तो कही मंच से कूद जाये. प्रदेश की जनता जिसे कभी राहुल भैया  ने भिखारी कहने की हिमाकत की थी उसने दिखा दिया जनता सिर्फ बेचारी ही नहीं होती वक्त आने पर जनार्दन भी हो जाती है.

लेकिन जरा  पिछले चुनाव को याद करे जब मायावती को  बहुजन का मत मिला था पांच साल निर्विघन हो कर शासन चलाने के लिए ,सोशल इंजिनयारिंग  को नए आयाम देने के लिएतो भी बसंत आया था पर पांच साल के माया शासन से त्रस्त जनता ने बसंत को बस अंत में बदल दिया और  मायावती अब बगले झांक  रही है और राज्य सभा के जरिये अपने  को सुरक्षा कवर देने के जुगाड़ में लग गई हैI


इन सब के बीच रेल मंत्री के साथ ऐसी दुर्घटना हुई की उनका तो काम ही तमाम हो गया अभी लोग रेल बजट की तारीफ ही कर रहे थे की बेरहम ममता का बयान  आया और दिनेश त्रिवेदी के बजट में  किराया वृद्धी के प्रस्ताव  को   रोल बैक  करने  के साथ ही  उनका बोरिया और बिस्तर दोनों पैक करवा कर यह सिद्ध कर दिया की नागरिक शास्त्र का ज्ञान "प्रधान मंत्री अपनी पसंद से मंत्री मंडल तय करता है " गलत है अब ऐसा लगता है की देश का प्रधान मंत्री एक ऐसी कठपुतली है जिसकी  जो चाहे बांह मरोड़ सकता है. दिनेश त्रिवेदी को शहीद कर ममता ने बसंती रेल बजट पेश करने वाले मंत्री का बस अंत ही  कर दिया. 

चलो अच्छा हुआ सबको समझ आ गया गीता में भगवान कृष्ण द्वारा दिया गया  एक बेसिक सिद्धांत.   और वोह यह की जीवन शुरू होने के साथ ही मृत्यु यानि अंत भी शुरू हो जाता है अतः जीवन में बसंत आने  यानि सफलता मिलने के साथ ही सावधान, जरा सा चूके नहीं की बसंत बस अंत में बदल जाता है.इसलिए सफलता का आनंद उठाये लेकिन सर पर चढ़ कर न बोलने दे नहीं तो बसंत बस अंत में बदलते देर नहीं लगती है.

अजय सिंह "एकल"

2 comments:

PKI said...

We have become very short-sighted society. We are pleased with the result and not by the means which have been adopted to achieve that.

All these Yadavs have come to this stage by using the methods & people we all know. Still we expect them to perform good. Well set standards so low that any thing which happens seems to be good.

s n mishra said...

safalata, basant aur bas ant good comments, teaching for every body
-s n mishra